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संवाद और परिचर्चा

श्री महेंद्र सिंह भदौरिया, थाना प्रभारी -  महू  (इंदौर)

  • 21 Jul 2022

DGR @ एल.एन.उग्र (PRO )
क्या आपके यहां किसी राजनीति के जनप्रतिनिधि का फोन किसी को छुड़वाने के लिए कभी आता है ?
इस तरह का तो कोई फोन नहीं आता है, लेकिन यह सामान्य रूप से है कि पुलिस को कई बार स्थानीय लोगों की जानकारी नहीं होती है और जनप्रतिनिधि जो होते हैं वह हमें फोन लगाकर कई बार बताते हैं।  कोई जानकारी मिलती है, इसमें कोई बुराई नहीं है । अपराधी को छुड़ाने के लिए इस तरह का कभी कोई फोन नहीं आता है, बल्कि हम तो उसको सकारात्मक देखते हैं । चुकी कानून के दायरे में हमको काम करना होता है तो वह तो हमारी प्राथमिकता रहती है।  और हमको अगर कोई फोन करके यह बताता है, जानकारी देता है, तो हम जांच करने के बाद ही निर्णय लेते हैं। 

ग्रामीण थाना क्षेत्र और शहरी थाना क्षेत्र में अंतर क्या होता है ?
दोनों में बहुत अंतर है ,ग्रामीण क्षेत्र के लोगों का व्यवसाय खेती किसानी होता है।  वही शहर के जो लोग हैं वहां पर बाहरी लोगों का  आना जाना बहुत होता है।  और बाहरी लोग ज्यादा रहते हैं । ग्रामीण क्षेत्र के परिवेश में सभी एक दूसरे को जानते हैं ,वहीं शहर में अनजान होते हैं और ग्रामीण परिवेश में अपराध भी कम होते हैं । अपराध अगर होते भी हैं तो छोटे-मोटे लड़ाई झगड़े के मारपीट के अपराध होते हैं । शहर में विविध प्रकार के अपराध होते हैं, बाहरी लोग होते हैं, अज्ञात लोग होते हैं, शहर में सभी तरह के अपराध होते हैं । अतः हम  कह सकते हैं कि ग्रामीण थाना क्षेत्र और शहर थाना क्षेत्र में वहां के कार्य करने में अंतर होता है। 

क्या ग्रामीण क्षेत्रों में भी पारिवारिक विवाद के कोई मामले आते हैं ?
पारिवारिक विवादों में पुलिस के द्वारा पहले आपस सामन्जस्य का प्रयास किया जाता है,दोनों पक्षों को बुलाकर काउंसलिंग के माध्यम से उन को समझाने का प्रयास हमारा रहता है । पति पत्नी के झगड़े हैं और परिवार के अन्य झगड़े हैं जिनको FIR की जरूरत नहीं है, उनको हम कोशिश करते हैं कि आपसी समझौते से समस्या का समाधान हो जाए यही हमारा प्रयास होता है ।  महिला अधिकारी भी नियुक्त है उन के माध्यम से भी समस्या का समाधान का प्रयास होता है।  फिर भी अगर समस्या हल नहीं है तो फिर कानूनी जो प्रक्रिया है उस प्रक्रिया के तहत हम लोग कार्रवाई करते हैं और इस समस्या का समाधान करने का प्रयास करते हैं ।

क्या पुलिस के द्वारा सामाजिक सुधार के लिए भी भूमिका निभाई जाती है ?
हां पुलिस के द्वारा नियम और कायदे कानून में रहकर बहुत सारे कार्य किए जाते हैं।  इसमें सामाजिक सुधार के लिए भी जो कानूनी प्रक्रिया है उसके द्वारा सामान्य कानून के दायरे में रहकर कार्य किया जाता है।   पुलिस के द्वारा कभी-कभी समाज में हमारे द्वारा ऐसे अभियान भी चलाए जाते हैं,हम लोग शामिल होकर  समाज सुधार के लिए कार्य करते हैं।  फिर कानून तो अपना काम करता ही है।   उसी के अनुसार काम किए जा सकते हैं ।

अपराधी होने के पीछे आप क्या कारण मानते हैं ?
अपराधी होने के पीछे अलग-अलग तरह के कारण होते हैं । एक कारण नहीं हो सकता है, तो हम यह कह सकते हैं कि अपराधी होने के पीछे बहुत सारे कारण हैं । जैसे नशे का आदी होना, या संगत का असर होता है, संगत का बुरा असर हुआ तो भी आदमी अपराधी जल्दी बन जाएगा,  यह भी हो सकता है कि कई बार वह अपराधी मजबूरी में बन जाता है । कई बार होता यह है कि लोग ऐसे अपराधियों को अपना हीरो मान लेते हैं और उनकी देखा देखी अपराध करने में लग जाते हैं । उनको फॉलो करके अपराधी बनने का कारण भी नजर आता है।

बड़े शहरों की अपेक्षा आप छोटे ग्रामीण क्षेत्रों में किस तरह के अपराध होते हैं ?
वैसे तो हमारा थाना क्षेत्र शहर की तरह ही है और यहां पर भी सभी तरह के अपराध होते हैं।  फिर भी पुराना छोटा शहर है, झगड़े मारपीट चोरी वाहन चोरी ज्यादा है।  

अपराधों की संख्या आपके यहां पिछले वर्ष की तुलना में कैसी है ?
यहां पर बड़े अपराधों की संख्या कम है ,ऐसा मेरा मानना है । फिर भी हम यही कहेंगे अपराध तो अपराध है और अपराधियों की संख्या समय समय के हिसाब से कम ज्यादा होती रहती है । फिर भी ऐसे बड़े कोई यहां पर नहीं है।

क्या आपके रकार्यक्षेत्र में राजनीतिक हस्तक्षेप को आप को मानते हैं ?
ऐसा तो नहीं है, पुलिस की कार्यवाही जो होती है वह कानून के दायरे में होती है।   सामान्य तौर पर कोई राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं होता है ,नेताओं के साथ यह हमारा एक समन्वय होता है।  आपसी समन्वय के माध्यम से समस्याओं को समाधान करने का प्रयास हमारा होता है।  नियम बनाने वाली सरकार से जुड़े हैं और हम लोग को उन नियमों को पालन करना।  तो आपसी समन्वय के माध्यम से निश्चित किया जाता है । मैं इसे राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं कहूंगा, बल्कि मैं तो यह कहूंगा कि उनके द्वारा पुलिस को सहयोग के माध्यम से इस तरह से इसको देखा जाना चाहिए।

शहर की आधुनिकता का ग्रामीण परिवेश में क्या फर्क पड़ा है ?
हर चीज का फर्क पड़ता है हर चीज का प्रभाव पड़ता है।  धीरे-धीरे शहर की आधुनिकता गांव के और भी बढ़ रही है और इसका प्रभाव शहर के साथ-साथ गांव में भी हो रहा है । गांव में उसका असर देखने को मिलता है। तो हम कह सकते हैं कि शहर का प्रभाव निश्चित रूप से गांव के परिवेश में भी जगह बना रहा है। 

क्या नाबालिग अपराधी आपके थाना क्षेत्र में बढ़ रहे हैं?
नाबालिग अपराधी तो होते ही हैं, हर जगह होते हैं,छोटे बच्चे भी अपराधी हो जाते हैं ।फिर उनको जो नाबालिग अपराधियों हैं।  उनके साथ जो कानून का दायरा है उसकी व्यवस्था करके हमारे द्वारा न्यायालय को प्रस्तुत किया जाता है । निर्णय किया जाता है।  न्यायालय द्वारा सभी पक्षों की विवेचना जानकारी के बाद उस पर निर्णय लिया जाता है  कि वह अपराध और उसकी सजा क्या है । 

महिला अपराध का ग्राफ आपके यहां पर कैसा है ?
महिला अपराध का ग्राफ बहुत ज्यादा बड़ा नहीं होता है।  महिलाएं सामान्य रूप से अपराध की ओर नहीं जाती है । फिर  होता है यह हे कि  जैसे नाबालिग लड़की ने शादी कर ली, तो वह भी एक नाबालिग महिला अपराध  है, पति-पत्नी के आपसी झगड़े हैं, डायवर्स के झगड़े हैं, इस तरह के महिला अपराध होते हैं । पर फिर भी मैं यही कहूंगा कि शहर गांव में महिला अपराध संख्या या ग्राफ कम है ।कभी-कभी सुनने को मिलते हैं दहेज प्रताड़ना जैसे अपराधी भी ।

आपके यहां क्या आदतन अपराधी का ग्राफ बढ़ा है ?
देखिए आदतन अपराधी के मामले में मैं यह कहूंगा कि अपराधी जो है जो सूचीबद्ध हो गए हैं, या निगरानी वाले अपराधी हैं, वह आदतन अपराधी है, गुंडे बदमाश हो, उनकी लगातार मॉनिटरिंग होती है । और हमारा यह प्रयास होता है कि वह दोबारा कोई अपराध ना करें । उनको सूचीबद्ध किसी रखा जाता है ताकि उनके ऊपर निगरानी रखी जा सके । और ऐसे आदतन अपराधियों पर कड़ी निगाह रखी जा सके।  इससे  क्या होता है कि जो होने वाले अपराध हैं उन पर कंट्रोल रहता है।  और सारे अपराधी हमारी नजर में रहते हैं ।

बेरोजगारी के पीछे क्या अपराध भी छुपा हुआ है या कहें एक कारण हो सकता है ?        
अपराधी होने के पीछे बेरोजगारी बहुत बड़ा कारण नहीं हो सकता है, अपराधी कई कारण से हो सकते हैं, सिर्फ बेरोजगारी को हम यह नहीं कह सकते हैं कि बेरोजगार है इसलिए वह अपराध कर रहा है, बेरोजगार होना ही अपराध के लिए कारण नहीं है।  बेरोजगार कोई भी काम कर सकता है,लेकिन हम यह कह सकते हैं कि सिर्फ बेरोजगार होने के लिए अपराधी नहीं है। 

भ्रष्टाचार पर आप क्या टिप्पणी करेंगे ?
यह एक सवाल है जिसका हमारे विभाग से बहुत ज्यादा कोई लेना - देना नहीं है । भ्रष्टाचार के लिए विजिलेंस विभाग काम करता है, समाज के जो भी भ्रष्टाचार होते हैं उन पर उस विभाग के द्वारा कार्यवाही की जाती है । तो मैं तो यही कहूंगा कि सीधे-सीधे भ्रष्टाचार का पुलिस विभाग से कोई संबंध नहीं है। 

आपकी पुलिस सर्विस के समय ऐसा कोई अपराध हुआ जिसने आप को चौंकाया हो ?
अपराध तो सभी चौकानेवाले होते हैं और हम मानते हैं कि अपराध नहीं होना चाहिए।  लेकिन जो भी अपराध होता है वही होता है और हम तो यह चाहते हैं कि कोई भी अपराध ना हो।  लेकिन अपराध जो होता है तो वह निश्चित रूप से हमको चौंकाने वाली होता है ।  सामान्य अपराध के अलावा जो भी अपराध है, जो बड़े अपराध है, वह सब हमें चौकने के लिए पर्याप्त है। तो ऐसा कोई परिभाषित नहीं कर सकते गंभीर जो अपराध होते हैं  वह भी हमे चोकातें ही हैं। 

क्या यहां भी ड्रग्स व्यापार या सम्बन्धित अपराध बढ़ा है ? 
ड्रग का व्यापार चल रहा है।  बड़े लोगों में भी और हम कह सकते हैं कि ड्रग का जो काला बाजार है वह क्लब वगैरह आज क्या आधुनिकता में समाया जा रहा है । लेकिन पिछले समय से पुलिस विभाग सरकार और नारकोटिक्स विभाग के द्वारा बड़ी सतर्कता से कार्य किया जा रहा है।  और इस पर नियंत्रण करने का प्रयास लगातार किया जा रहा है । इसको अभियान के रूप में हम लोग कार्यवाही भी कर रहे हैं।   तत्काल हमारा प्रयास होता है कि उसका जो नेटवर्क है उसको खत्म किया जाए । 

पुलिस और पब्लिक के बीच कैसा संबंध होना चाहिए?
हमारा यह कहना है कि पब्लिक और पुलिस के बीच समन्वय अनिवार्य।  पुलिस के पास कोई जादू नहीं है जिससे अपराध होते ही पहुंच जाए।  पक्की सूचना मिलने के बाद ही हम लोगों के लिए आसान हो जाता है । घटनास्थल पर पहुंचकर हमारे द्वारा यह प्रयास होता है कि अपराधी को पकड़ा जाए।  तो मैं तो यही कहूंगा कि पुलिस का और पब्लिक का संबंध अच्छा होना चाहिए । और इसी से सफलता मिलती है।  मैं फिर कहूंगा कि हमारा तो सूचना तंत्र ही पब्लिक है ,वही का उसी मोहल्ले का उसी शहर का व्यक्ति जो किसी के टच में नहीं होता है, वह हमारे टच में रहता है।   वह हमें समय पर खबर करता है वही हमारा मुखबिर होता है सटीक जानकारी भी हमें वही उपलब्ध कराता है । उन्हीं के माध्यम से बड़े-बड़े मसले हल किए जाते हैं। 

कोई परेशान व्यक्ति आप तक पहुंच कैसे रखता है ?
हमारे पास हर व्यक्ति की एप्रोच है ,जो व्यक्ति जब चाहे जब समस्या हो वह हमसे आकर मिल सकता है।  और हमारा यह प्रयास होता है कि उसकी समस्या का समाधान करें।  हम थाने पर उपलब्ध होते हैं, हम हर चौराहे पर उपलब्ध रहते हैं, कोई भी कहीं भी हमसे संपर्क कर सकता है।  हर व्यक्ति जहां चाहे वहां हम से संपर्क कर सकता है और अपनी समस्या का समाधान करवा सकता है । हमारे द्वारा पूरी मदद की जाती है।