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भोपाल

शिवराज बोले- दिग्विजय के हाथ खून से सने, संसद में मुलताई गोलीकांड का जिक्र; बोले- मुझे छेड़ोगे तो छोडूंगा नहीं

  • 06 Aug 2024

भोपाल। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को राज्यसभा में मुलताई गोलीकांड का नाम लेकर कहा कि दिग्विजय सिंह यहां बैठे हैं। उनके हाथ खून से सने हैं। 24-24 किसानों को मारा। उन्होंने अन्य राज्यों में किसानों पर हुई गोलीबारी की घटनाओं का जिक्र कर कांग्रेस को घेरा।
दरअसल, शिवराज सिंह चौहान ने अपना वक्तव्य देना शुरू किया तो विपक्ष ने हंगामा कर दिया। इस पर उन्होंने कहा- मुझे छे़ड़ो मत, मुझे छेड़ोगे तो छोडूंगा नहीं। शिवराज के वक्तव्य के दौरान कांग्रेस सांसदों ने सदन से वॉकआउट कर दिया। बाद में दिग्विजय सिंह ने मीडिया से चर्चा में कहा- कृषि मंत्री को मैं सालों से जानता हूं। वे आदत से लाचार हैं, झूठ बोलने के आदी हैं।
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सदन को गुमराह किया है। इसके लिए उनके खिलाफ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव लाया जाएगा। यह जानकारी कांग्रेस के राज्यसभा सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला और दिग्विजय सिंह ने दी।
शिवराज ने गिनाई किसानों पर हुई गोलीबारी की घटनाएं
शिवराज ने कहा- अब इन्होंने छेड़ा है तो ये सुन लें, 1986 में जब बिहार में कांग्रेस की सरकार थी तब 23 किसानों की मौत गोलीबारी से हुई थी। 1988 में दिल्ली में इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि पर किसानों पर गोली चलाई गई, दो किसान मारे गए। 1988 में मेरठ में इन्होंने किसानों पर फायरिंग की, 5 किसान मारे गए। 23 अगस्त 1995 को हरियाणा में गोली चलाई गई और 6 किसान मारे गए। 12 जनवरी 1998 को मुलताई में किसानों पर गोली चली, कांग्रेस की सरकार थी, 24 किसान मारे गए।
विपक्ष के हंगामे और वॉकआउट पर सभापति ने की टिप्पणी
विपक्ष के वॉकआउट पर सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा- ये दुर्भाग्यपूर्ण है, और दर्दनाक भी है। किसान वर्ग सबसे महत्वपूर्ण है। जब उस वर्ग के बारे में चर्चा हो रही है तो हर सदस्य का ये मौलिक कर्तव्य है कि वो चर्चा में गंभीरता से भाग लें। इस विषय पर चर्चा के लिए जिसने जितना समय मांगा उतना समय मैंने दिया।
मुझे उम्मीद थी कि सरकार का पक्ष सुनकर यदि कोई बात निकलेगी तो कानून के तहत मुद्दा उठाया जाएगा। जो व्यवधान पैदा किया है वो नियमों के विपरीत है। मेरे निर्देश के बाद ये शासन की अवहेलना है। ये अत्यंत गंभीर है।
कांग्रेसी प्रधानमंत्रियों के भाषणों में किसानों का जिक्र नहीं
सभापति की बात खत्म होने के बाद शिवराज ने फिर कहा- मैं जब कृषि मंत्री बना तो मुझे लगा कि जितने प्रधानमंत्री भारत में आज तक हुए हैं उन सबके भाषणों को पढ़ना चाहिए। सबसे महत्वपूर्ण भाषण 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस को लाल किले की प्राचीर से दिए जाने वाला भाषण होता है।
स्वर्गीय पंडित नेहरू के सारे भाषण पढ़े 1947 से लेकर 1961 तक किसान शब्द नहीं आया। ये आपकी प्राथमिकता है। कभी किसी के सम्मान को ठेस पहुंचाने का मैं आदी नहीं हूं। शिवराज ने इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के भाषणों का जिक्र करते हुए कहा उनकी प्राथमिकता में कभी किसान नहीं रहा। नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद भाषणों में किसान का जिक्र हुआ।
एक नेता ने रियल दिखने के लिए खेत में जाकर रील बनाई
शिवराज ने कहा- नाटक से किसान की जिंदगी नहीं बदलेगी। एक नेता जिन्होंने बड़ी-बड़ी यात्राएं निकालीं, वे यात्रा के दौरान हरियाणा के सोनीपत गए, रियल दिखने के लिए रील बनाई। 2023 का सोनीपत का वीडियो है। वे अचानक खेत में पहुंच गए किसान से ज्यादा कैमरे थे। दो लोग पकड़कर खेत में पहुंच गए। कैमरामैन से पूछ रहे थे क्या करना है। मेरे पास उसकी पूरी वीडियोग्राॅफी की पेनड्राइव है।
शिवराज ने कहा- ये किसान के नाम पर नाटक करते हैं
शिवराज ने कहा- मैं सदन के पटल पर रखता हूं। ये किसान के नाम पर नाटक करते हैं। जब इनको हल भेंट किया जाता है तो ये पूछते हैं ये है क्या? और एक स्वर्गीय प्रधानमंत्री ऐसे हुए जिन्होंने देखा कि लाल मिर्ची के दाम हरी मिर्ची से ज्यादा हैं तो उन्होंने कहा किसानों लाल मिर्ची ज्यादा क्यों नहीं उगाते। ये किसानी की बात करेंगे। जहां चर्चा करना हों कर लें। मैं किसान का बेटा हूं और खुद भी खेती करता हूं।
दिग्गी बोले- कृषि मंत्री झूठ बोलने के आदी
दिग्विजय सिंह ने कहा- कृषि मंत्री को मैं सालों से जानता हूं। वो एक आदत से लाचार हैं। झूठ बोलने के आदी हैं। मप्र में चल गया, लेकिन अब वो केंद्र में कृषि मंत्री हैं। कमलनाथ जी की सरकार ने मप्र में लगभग 37 लाख किसानों का कर्जा माफ किया था। जिसमें शिवराज सिंह चौहान के गांव जैत जिला सीहोर में शिवराज सिंह चौहान के रिश्तेदारों का कर्जा माफ किया।
दिग्विजय ने कहा- शिवराज सिंह चौहान के कृषि मंत्री का बयान आया कि कांग्रेस के राज में कर्जा माफ हुआ लेकिन सदन में कृषि मंत्री कहते हैं कि कांग्रेस को जो मौका मिला था उसमें उन्होंने कोई कर्जा माफ नहीं किया। उसके प्रमाण हमारे पास हैं उसकी प्रोसिडिंग आपको दे दूंगा।
मुझ पर लांछन लगाया कि 2003 में जब दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री पद छोड़ा तब केवल साढे़ लाख एकड़ में सिंचाई होती थी, उन्होंने 47 लाख हेक्टेयर में सिंचाई कर दी। मेरे पास उन्हीं के मंत्रालय का डिटेल है 1997-98 में पोटेंशियल क्रिएटिव ऑफ 33 लाख हेक्टेयर, मेरे कार्यकाल में और जब मप्र का विभाजन हुआ तब 33 लाख हेक्टेयर में सिंचाई उपलब्ध थी इसके कई प्रमाण हैं।