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जबलपुर

श्वानों में बढ़ रही मोतियाबिंद की समस्या

  • 04 Sep 2021

जबलपुर। नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाले पशु अस्पताल में एक सप्ताह में करीब 10 श्वान आते हैं जिन्हें मोतियाबिंद की शिकायत है। इन पालतू श्वानों के मालिक इनका इलाज कराना चाहते हैं लेकिन अस्पताल के पशु चिकित्सक इनमें से दो या तीन का ही इलाज कर पाते हैं अन्य को या तो किसी निजी अस्पताल या फिर भोपाल िस्थत प्रदेश पशु चिकित्सा अस्प्ताल में जाने की सलाह दे दी जाती है। इसकी सबसे बड़ी वजह है कि जबलपुर के पशु अस्पताल में मोतियाबिंद की सर्जरी के लिए सबसे उपयुक्त फेको मशीन नहीं है। जबकि श्वानों में बढ़ती मोतियाबिंद की समस्या को देखते हुए विश्वविद्यालय द्वारा निरंतर फेको मशीन की मांग की जा रही है लेकिन अभी तक इस पर ध्यान नहीं दिया गया है।
नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. सीता प्रसाद तिवारी ने बताया कि कई बार जबलपुर के वेटरनरी अस्पताल में फेको मशीन की बढ़ती आवश्यकता व उपयोगिता को देखते हुए इसकी मांग की जा रही है। लेकिन अभी तक मशीन नहीं आई है। जबकि भोपाल के पशु अस्पताल में फेको से सर्जरी करने वाले विशेषज्ञ भी नहीं है। जब वहां जरूरत होती हैं तो विशेषज्ञ हमारे अस्पताल से भोपाल जाता है और सर्जरी करता है।
सर्जरी विभाग की प्रमुख और वेटरनरी अस्पताल की समन्वयक डॉ. अपरा शाही ने बताया कि बीते कुछ सालों में श्वानों में मोतियाबिंद की शिकायत बढ़ी है। हमारे पास फेको मशीन न होने के कारण हम उनका बेहतर इलाज नहीं कर पाते। फेको के जरिए 2 मिलीमीटर का चीरा लगाकर मोतियाबिंद की सर्जरी हो जाती है और आंख पर ज्यादा असर नहीं होता। जबकि हम जो हाथ से सर्जरी करते हैं उसके लिए श्वान की आंख में 7 से 8 एमएम का चीरा लगाना पड़ता है। इतने बड़े चीरे को भरने के लिए लंबा समय लगता है। अब श्वान को यह तो समझाया नहीं जा सकता कि वो आंख का ध्यान रखे।इसलिए ऐसी सर्जरी से श्वान की आंख खराब होने की संभावना रहती है और संक्रमण भी हो सकता है। इसलिए श्वानों को परेशानी से बचाने के लिए फेको मशीन की आवश्यकता बहुत है।