(जन्म- 13 फ़रवरी, 1879, हैदराबाद; मृत्यु- 2 मार्च, 1949, इलाहाबाद)
सुप्रसिद्ध कवयित्री और भारत देश के सर्वोत्तम राष्ट्रीय नेताओं में से एक थीं। वह भारत के स्वाधीनता संग्राम में सदैव आगे रहीं। उनके संगी साथी उनसे शक्ति, साहस और ऊर्जा पाते थे। युवा शक्ति को उनसे आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती थी। सरोजिनी चट्टोपाध्याय ने अपनी माता वरदा सुंदरी से बंगला सीखी और हैदराबाद के परिवेश से तेलुगु में प्रवीणता प्राप्त की। वे शब्दों की जादूगरनी थीं। शब्दों का रचना संसार उन्हें आकर्षित करता था और उनका मन शब्द जगत में ही रमता था। वे बहुभाषाविद थीं। वह क्षेत्रानुसार अपना भाषण अंग्रेज़ी, हिन्दी, बंगला या गुजराती भाषा में देती थीं। लंदन की सभा में अंग्रेज़ी में बोलकर उन्होंने वहाँ उपस्थित सभी श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया था।
व्यक्तित्व विशेष
सरोजिनी नायडू
- 02 Mar 2022