जबलपुर/शहडोल तमिलनाडु में कुन्नूर के जंगलों में बुधवार दोपहर 12:20 बजे सेना का एमआइ-17व्ही5 हेलिकॉप्टर क्रैश हो गया। इसमें चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी मधुलिका रावत की मौत हो गई है।
हादसे की जानकारी लगते ही मध्य प्रदेश के शहडोल जिले में भी दुख की लहर दौड़ गई, क्योंकि बिपिन रावत का ससुराल शहडोल के सोहगपुर में है। शहडोल में लोग टीवी के सामने डटे रहे। राज घराने से ताल्लुक रखने वाली मधुलिका सिंह के पिता मृगेंद्र सिंह सोहागपुर क्षेत्र के इलाकेदार थे। घटना के बाद सेना के अधिकारियों ने स्वजनों को शहडोल से दिल्ली बुला लिया है। वहीं उनकी मां को लेने सेना की गाड़ी शहडोल भेजी गई है।
सीडीएस बिपिन रावत के छोटे साले हर्षवर्धन सिंह ने बताया कि अभी दशहरा के समय उनकी दीदी और जीजा बिपिन रावत से मुलाकात हुई थी। वो जनवरी में शहडोल आने वाले थे और उन्होंने कहा था कि वो शहडोल को एक सैनिक स्कूल देना चाहते हैं।
घर में बताया था दो दिन बाहर रहेंगे
जानकारी के अनुसार मंगलवार को मधुलिका ने घर में भाई से बात की थी। बातचीत के दौरान उन्होंने बताया था कि वे दो दिन बाहर रहेंगी। सेना की जानकारी गोपनीय होने के कारण उन्होंने यह नहीं बताया था कि वे कहां जाएंगी। रावत की दो बेटियां हैं। बड़ी बेटी कृतिका रावत की शादी मुंबई में हुई है। वहीं, छोटी बेटी तारिणी रावत अभी पढ़ रही हैं।
पहली बार पीतांबरा आए थे जनरल रावत, 7 घंटे पीतांबरामाई की भक्ति में रहे थे लीन
देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत का तीन महीने पहले ग्वालियर आना भी हुआ है। वैसे तो उनका ग्वालियर में रुकने का कार्यक्रम नहीं था। यहां से विमान बदलकर दतिया पीतांबरा माई के दर्शन कर विशेष अनुष्ठान में भाग लेना था, लेकिन एक इत्तेफाक (खराब मौसम) के कारण कई घंटे उन्हें ग्वालियर एयरबेस पर ही गुजारने पड़े। इस दौरान की यादें यहां सेना के अफसरों के पास है। ष्टष्ठस् बिपिन रावत ने यहां अफसरों से चर्चा की थी। चर्चा में वह एक सैनिक के हौसले पर बात करते रहे। साथ ही, बॉर्डर से लेकर अंदर सेना के बेस कैंप तक के हालातों पर बात की थी। इसके बाद 14 सितंबर को वह सुबह साढ़े सात बजे दतिया पहुंचे। यहां 7 घंटे तक उन्होंने विशेष अनुष्ठान किया। देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ
दतिया में की थी विशेष पूजा
14 सितंबर को सुबह साढ़े सात बजे जनरल बिपिन रावत, पत्नी मधुलिका रावत के साथ दतिया पीतांबरा पीठ पहुंचे थे। यहां वह करीब 7 घंटे तक रहे थे। इस दौरान सुरक्षा व्यवस्था के चलते किसी को भी मंदिर परिसर में जाने की इजाजत नहीं थी। पूरी व्यवस्था फौज ने अपने हाथों में ले रखी है। पहले से ही चयनित पुजारियों के दल ने उनको पूजा पाठ कराया है। यहां उन्होंने नवचंडी यज्ञ में भाग लिया था। इसके बाद दोपहर करीब 2.30 बजे वह ग्वालियर पहुंचे और यहां से सेना के विशेष विमान से दिल्ली के लिए रवाना हो गए।
झांसी कैंट में व्हाइट टाइगर डिवीजन का निरीक्षण किया
जनरल रावत ने 13 सितंबर को ग्वालियर से मौसम साफ होने के बाद झांसी स्थित सैनिक छावनी पहुंचकर वहां व्हाइट टाइगर डिवीजन का निरीक्षण करने के साथ ही सैनिकों की दक्षता को परखा। यहां उन्होंने सेना के आला अफसरों के साथ तात्कालीक घटनाक्रम पर चर्चा की।
अफसरों को आज भी याद है उनका अंदाज ए बयां
कहने को तो बहुत कम समय के लिए बिपिन रावत यहां ठहरे थे, लेकिन इतने कम समय में भी वह अपनी शख्सियत की छाप अफसरों पर छोड़ गए थे। हर मसले पर उनकी टिप्पणी और अंदाज के बयां ने अफसरों को उनका कायल कर दिया था। सेना के कुछ अफसरों से बात करने पर पता लगा था कि जनरल ने हर किसी से अलग अंदाज में मुलाकात की थी।
जबलपुर
सैनिक स्कूल देने का सपना अधूरा छोड़ गए सीडीएस जनरल बिपिन रावत
- 09 Dec 2021