भोपाल। बिल्डिंग निर्माण में जुटे श्रमिकों के वेलफेयर के 416.33 करोड़ रुपए ऊर्जा विभाग के सब्सिडी खाते में डाले गए हैं। श्रम विभाग ने पैसा यह कहकर दिया है कि बिजली की संबल-सरल स्कीम के तहत 100 रुपए में बिजली का लाभ भवन एवं अन्य संनिर्माण वेलफेयर बोर्ड से पंजीकृत तीन लाख गरीब मजदूरों को मिला है। जो सब्सिडी मजदूर को मिली है, वही पैसा बिजली विभाग को दिया गया है।
बताया गया है कि बिजली विभाग ने सब्सिडी लेने के लिए नोटशीट लिखी थी, जिसके बाद ही एक साथ तीन साल 2018-19, 2019-20 और 2020-21 का पैसा दिया गया है। श्रम विभाग के प्रमुख सचिव सचिन सिन्हा का कहना है कि अगस्त 2018 की कैबिनेट में यह निर्णय हुआ है। इसी आधार पर सब्सिडी का पैसा दिया गया है।
बिजली विभाग हर साल देता है 21 हजार करोड़ की सब्सिडी
अलग-अलग योजनाओं (कृषि व घरेलू) में बिजली विभाग साल में करीब 21 हजार करोड़ रुपए की सब्सिडी देता है। हाल ही में बिजली विभाग ने कैबिनेट बैठकों में इस बात को उठाया कि सब्सिडी कम अथवा उसका दायरा और सीमित किया जाए। इस पर फिलहाल निर्णय होना है।
बोर्ड में ऐसे इकट्ठा होता है फंड
मप्र में जितनी भी शासकीय (केंद्र व राज्य) और निजी बिल्डिंग निर्माण होते हैं, उसमें यदि लागत 10 लाख रुपए से अधिक है, तो कुल लागत का एक प्रतिशत पंचायतों व निकायों के माध्यम से बोर्ड को मिलता है। भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार (नियोजन एवं सेवा शर्तों का विनियमन) अधिनियम 1996 अंतर्गत धारा 22 फंक्शन ऑफ द बोर्ड के क्रियाकलाप एवं धारा 24 (3) के तहत बोर्ड के द्वारा जो कार्य श्रमिकों के हित में किए जाएंगे या कल्याण में जो योजनाएं चलाई जाएंगी उसका 5 त्न ही प्रशासनिक व्यय किया जा सकता है।
मप्र सह पठित नियम 2005 नियम 280 के तहत निर्देश दिए गए हैं की बोर्ड के फंड का उपयोग केवल श्रमिकों के हितार्थ जो योजनाएं चलाई जाएंगी उस पर ही व्यय होगा। केवल योजनाओं पर व्यय की गई राशि का 5 त्न ऑफिस एक्सपेंसेस या प्रशासनिक खर्च किया जा सकता है। उपकर के रूप में प्राप्त राशि केवल श्रमिकों के हित यानि जो बोर्ड के द्वारा योजनाएं चलाई जा रही हैं, उस पर ही खर्च की जा सकती है।
यह मजदूरों का पैसा था, इसे डायवर्ट क्यों किया गया?
मामले में एक कानूनी नोटिस भी मंत्री, अफसर और कर्ताधर्ताओं को जारी किया है कि यह मजदूरों का पैसा था, जिसे डायवर्ट किया गया है। सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट निर्देश हैं कि मजदूरों की 19 स्कीमों में ही यह पैसा खर्च होना था। इसमें यह भी कहा गया कि 2019-20 में तो 100 रुपए में सौ यूनिट बिजली की स्कीम सभी के लिए एक जैसी थी तो सब्सिडी का पैसा देना सवाल खड़े करता है।
इन पर होता है खर्च
फंड का इस्तेमाल श्रमिकों की दुर्घटना में मदद, डिलेवरी, मृत्यु सहायत आिद कामों में होता है। रिटायर होने वाले श्रमिकों को पेंशन, लोन व एडवांस, ग्रुप इंश्योरेंश, कल्याण योजनाओं को मजबूती देने में भी राशि जाती है। विदेश में पढ़ाई के लिए जाने वाले श्रमिकों के बच्चों, सुपर 5000 आदि स्कीमें भी इसी फंड से चलती हैं।
भोपाल
सामने आई बड़ी गड़बड़ी, तीन लाख श्रमिकों के वेलफेयर के 416 करोड़ रुपए बिजली की सब्सिडी में डाले
- 09 Oct 2021