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उज्जैन

सावन महीने के हर सोमवार को भगवान महाकाल भी रखते हैं व्रत

  • 11 Jul 2023

भस्म आरती के दौरान मंदिर में प्रवेश से पहले घंटी बजाकर आज्ञा लेनी होती है
उज्जैन। उज्जैन में भगवान महाकाल की झलक पाने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है। तीनों लोक में जिन तीन शिवलिंगों को पूज्य माना गया है, उसमें पृथ्वी लोक पर भगवान महाकाल की प्रधानता है, जो उज्जैन में विराजमान हैं।
आकाशे तारकांलिंगम, पाताले हाटकेश्वरम।
मृत्युलोके महाकालं, सर्वलिंग नमोस्तुते।।
यानी आकाश में तारकलिंग, पाताल में हाटकेश्वर और पृथ्वी लोक में महाकाल की प्रधानता है। इसी तरह देश की सभी दिशाओं में द्वादश ज्योतिर्लिंग हैं। इनमें केदारनाथ उत्तर में, रामेश्वर दक्षिण में, सोमनाथ पश्चिम में, मल्लिकार्जुन पूर्व में और मध्य में भगवान महाकाल। महाकालेश्वर एक मात्र ज्योतिर्लिंग है, जो दक्षिणमुखी है। सावन के सोमवार को लेकर महाकालेश्वर भगवान का अपना प्रोटोकॉल होता है। ये बात कम ही लोग जानते हैं कि सावन महीने के हर सोमवार को भगवान महाकाल भी व्रत रखते हैं।
चूंकि भगवान महाकाल को उज्जैन का राजा माना जाता है, इसलिए सोमवार को सवारी के रूप में प्रजा का हाल जानने निकलते हैं। इसके बाद ही वे नैवेध (भोग) ग्रहण करते हैं। राजा की तरह भगवान महाकाल का भी प्रोटोकॉल होता है। वैसे तो, भस्म आरती से लेकर शयन आरती तक का प्रोटोकॉल प्रतिदिन का होता है। सावन में इतना फर्क रहता है कि सावन के प्रत्येक सोमवार को भगवान महाकाल व्रत रखते हैं।
पंडित महेश शर्मा ने भस्म आरती से लेकर शयन आरती तक के प्रोटोकॉल के बारे में बताया-
राजाधिराज भगवान महाकाल को रोजाना अल सुबह भस्म आरती के लिए जगाया जाता है। उन्हें जगाने से लेकर रात में शयन आरती तक कई नियम हैं, जिनका पूरी सख्ती और पवित्रता के साथ पालन किया जाता है। महाकाल मंदिर में अल सुबह भगवान महाकाल की भस्म आरती का विधान है, लेकिन इस प्रक्रिया में नियमों का पालन करना जरूरी है। महाकाल को राजा के रूप में पूजा जाता है। भस्म आरती सावन महीने में प्रति सोमवार को 2:30 बजे और बाकी दिनों में 3 बजे शुरू होती है। कम ही लोगों को पता होगा कि आखिर इसके लिए भगवान महाकाल क्या प्रोटोकॉल होता है। महाकाल मंदिर में भस्म आरती सिर्फ 16 पुजारी या उनका परिवार ही कर सकता है। प्रत्येक 6-6 महीने में भस्म आरती करने वाले पुजारी बदलते हैं। इस दौरान पुजारी पवित्रता का पूरा ध्यान रखते हैं। जिस दिन भगवान की आरती करनी होती है, उस दिन ब्रह्मचारी की तरह रहते हैं। घर से स्नान कर सुबह 2:30 बजे मंदिर के मुख्य द्वार पर पहुंचते हैं। यहां पुजारी एक बार फिर मंदिर की कोटि तीर्थ का जल लेकर खुद को शुद्ध करते हैं। मंदिर में प्रवेश से पहले घंटी बजाकर भगवान से आज्ञा लेनी पड़ती है।
भगवान के जागने से लेकर रात को सोने तक 5 आरतियां-
श्री महाकालेश्वर एक, लेकिन रूप अनेक हैं। विश्व में अकेले श्री महाकाल हैं, जो विविध रूपों में भक्तों को दर्शन देते हैं। कभी प्राकृतिक रूप में तो कभी राजसी रूप में। भगवान महाकाल कभी भांग, कभी चंदन और सूखे मेवे से तो कभी फल-फूल से श्रृंगारित होते हैं। भगवान श्री महाकाल की भस्म आरती से लेकर शयन आरती तक प्रतिदिन पांच आरती होती है।