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इंदौर

सांसद  लालवानी तथा कलेक्टर  ने ली स्कूल संचालकों की बैठक, अधिकाशं स्कूलों ने कोरोना से मृत अभिभावकों के बच्चों की शत-प्रतिशत फीस माफ करने का लिया संकल्प

  • 01 Jul 2021

इंदौर ।  इंदौर जिले में जिन बच्चों के अभिभावकों की कोरोना से मृत्यु हो चुकी है, उनकी स्कूलों से फीस माफ कराने के लिए एक अभिनव योजना सांसद सेवा संकल्प शुरू की गई है। यह योजना जिला प्रशासन के सहयोग से क्रियान्वित की जा रही है। इस योजना के अंतर्गत ऐसे बच्चे जिनके अभिभावकों की कोरोना से मृत्यु हुई है, उनकी स्कूली फीस शत-प्रतिशत माफ कराई जायेगी। इस संबंध में आज इंदौर के सांसद शंकर लालवानी और कलेक्टर मनीष सिंह प्रीतमलाल दुआ सभागृह में प्राइवेट स्कूलों के संचालकों से चर्चा की। बैठक में अधिकांश स्कूलों ने कोरोना से मृत अभिभावकों के बच्चों की शत-प्रतिशत फीस माफ करने की सहमति प्रदान की।
बैठक में संयुक्त कलेक्टर तथा जिला शिक्षा अधिकारी रवि सिंह, सहायता संस्था के अनिल भण्डारी, मुस्कान ग्रुप के  संदीपन आर्य, सीबीएसई स्कूलों के सहोदय ग्रुप के अध्यक्ष  यू.के. झा सहित विभिन्न स्कूलों के संचालक मौजूद थे। बैठक में सांसद श्री  लालवानी ने योजना की जानकारी देते हुये बताया कि यह योजना कोरोना मृत हुये अभिभावकों के बच्चों की स्कूली शिक्षा को निरंतर बनाये रखने तथा बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ाने के लिये शुरू की गई है। उन्होंने कहा कि हम सब का दायित्व है कि ऐसे वक्त में जब बच्चों ने अपने अभिभावकों को खोया है, हम उनके अभिभावक बनकर मदद करें। उन्होंने सीबीएसई सहित सभी पाठ्यक्रमों के स्कूल संचालकों से आग्रह किया कि वे अपने यहां ऐसे सभी बच्चों की शत-प्रतिशत फीस माफ करें। इस संबंध में उन्होंने बताया कि सभी स्कूलों को पत्र लिखकर इस संबंध में आग्रह किया गया है। वेबसाइट बनाकर ऐसे बच्चों की सूची आवेदन मंगाकर तैयार की जा रही है। उन्होंने कहा कि अगर और भी बच्चे संज्ञान में आते है, तो स्कूल अपने स्तर से भी मदद करें। बैठक में कलेक्टर श्री मनीष सिंह ने कहा कि इंदौर की गौरवशाली परम्परा रही है कि संकट के वक्त सभी मिलजुल कर जरूरतमंदों की मदद करते है। इसी परम्परा को जरूरतमंद बच्चों की फीस माफ कर आगे बढ़ाया जाये। उन्होंने कहा कि योजना का प्रभावी क्रियान्वयन हो और अधिक से अधिक बच्चों को इसका लाभ मिले यह सुनिश्चित किया जाये। कार्यक्रम का संचालन सुश्री सुनेयना शर्मा ने किया। बैठक में मिशनरी, विभिन्न ट्रस्ट और संस्थाओं आदि द्वारा संचालित सीबीएसई के स्कूलों, अन्य पाठ्यक्रमों के स्कूलों के संचालकों ने अपनी पूर्ण सहमति दी कि वे ऐसे बच्चों की हर संभव मदद करेंगे।