श्योपुर। सरकारी स्कूल में पदस्थ महिला टीचर। पति और दो बेटों के व्यवहार ने ऐसा आहत किया कि अपनी एक करोड़ से ज्यादा की संपत्ति हनुमानजी के नाम कर दी। यहीं नहीं बेटों से अंतिम संस्कार का हक तक छीन लिया।
ये कहानी है शिवकुमारी जादौन की। वह श्योपुर जिले के विजयपुर क्षेत्र में खितरपाल गांव में सरकारी स्कूल में पदस्थ हैं। पति से इतनी आहत है कि 10 साल से अलग मायके में रह रही हैं। दो बेटे भी हैं। एक बेटा जेल में हैं तो दूसरा अलग रहता है। महिला ने अपनी एक करोड़ से ज्यादा कीमत की संपत्ति छिमछिमा हनुमान मंदिर ट्रस्ट के नाम कर दी। उसने दोनों बेटों को मकान और कुछ संपत्ति पहले ही दे रखी हैं। पढि़ए टीचर की पूरी कहानी
मंदिर ट्रस्ट के नाम महिला टीचर की वसीयत
महिला टीचर शिवकुमारी ने वसीयत में लिखा- मेरे मरने के बाद मेरा मकान और चल-अचल संपत्ति छिमछिमा मंदिर ट्रस्ट की होगी। संपत्ति में मेरा मकान, प्लाट, शासन से मिल रहा वेतन, बैंक-बैलेंस, जीवन बीमा पॉलिसी की राशि, सोने-चांदी के आभूषण शामिल है। मेरे मरने के बाद क्रियाकर्म ट्रस्ट के लोग मिलकर करें। मैं जब तक जियूंगी, तब तक मकान में रहूंगी। इसके बाद ये मकान भी मंदिर ट्रस्ट का हो जाएगा।
25 वर्ष पहले मिली थी शिक्षक की नौकरी
महिला टीचर शिवकुमारी बचपन से ही भगवान की पूजा आराधना करती रही हैं। उनकी नियुक्ति 7 अक्टूबर 1998 में हुई थी। वर्तमान में तमाम फंड में पैसा कटने के बाद उन्हें 56 हजार रुपए प्रति महीने के हिसाब से वेतन मिल रहा है।
10 साल पहले से पति से अलग रह रही शिक्षक
शिवकुमारी अपने पति से करीब 10 साल से अधिक समय से अलग होकर अपने मायके विजयपुर में रह रही हैं, अपनी सैलरी से मायके के पास ही उन्होंने मकान बनाया है और प्लाट खरीदा है। बड़ा बेटा प्रबल जादौन हत्या के केस में जेल में बंद है। इसलिए शिव कुमारी ने यह सोचकर उसे पैरोल पर नहीं छुड़ाया कि वह जेल से बाहर निकल कर फिर किसी महिला की मांग का सिंदूर न उजाड़ दे, या किसी मां से उसका बेटा न छीन ले। दूसरा बेटा मृत्युंजय जादौन ग्वालियर में रहता है, उससे भी शिवकुमारी के विचार नहीं मिलते। क्योंकि, उसकी भी सोहबत अच्छी नहीं है। अब महिला ईश्वर भक्ति में डूबी रहती है। ड्यूटी के बाद वह भगवान के पूजा पाठ में व्यस्त हो जाती हैं। वह अपने पति से इतनी ज्यादा आहत है कि उनका नाम तक लेना पसंद नहीं करती।
श्योपुर
हनुमानजी के नाम की एक करोड़ की संपत्ति, अपनों से छीना अंतिम संस्कार का हक; पति-बेटों से आहत टीचर की कहानी
- 01 Dec 2022