किन्नर, स्टूडेंट से लेकर हाउस वाइफ तक मेयर कैंडिडेट; कुछ के पास प्रचार का भी पैसा नहीं
भोपाल। मध्यप्रदेश में पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव चल रहे हैं। पंचायत चुनाव के दो चरण हो चुके हैं। नगरीय निकाय चुनाव के पहले चरण का प्रचार थम चुका है। सभी 16 नगर निगमों के लिए 146 मेयर कैंडिडेट मैदान में हैं। इनमें चायवाले से लेकर मजदूर, ट्रांसजेंडर और एक छात्रा भी शामिल हैं। सबसे ज्यादा 28 कैंडिडेट बिजनेसमैन हैं। इसके बाद 22 हाउस वाइफ हैं, जो पहली बार चौका-बर्तन-किचन और बच्चों की जिम्मेदारी के साथ चुनाव में खड़ी हुई हैं। वहीं वकालत-कानून की पढ़ाई कर चुके 17 कैंडिडेट भी ताल ठोंक रहे हैं।
45 वार्ड के लोग आते हैं चाय पीने: चायवाला
रीवा के मेयर कैंडिडेट रामचरण शुक्ला 20 साल से चाय का ठेला लगाते हैं। उनका कहना है कि उनकी दुकान में 45 वार्ड के लोग आते हैं, सभी से लगाव है। शहर की समस्याओं से वाकिफ हूं। एक साल पहले हनुमान जी सपने में आए और कहा कि अगर लोगों की सेवा करनी है, तो चुनाव लडऩा। बस इसके बाद सभी शुभचिंतकों के बोलने पर मैं भी चुनावी मैदान में कूद गया। यहां की समस्याओं को लेकर किसी नेता और अब तक रहे महापौरों में से किसी ने कुछ नहीं किया। मेरे पास पैसा तो नहीं है, लेकिन लोगों के सहयोग से कोई पोस्टर, बैनर बनवा दे रहा है, तो कोई गाड़ी दे देता है। पहले रोज सुबह 6 से रात 8 बजे तक चाय दुकान खोलता था, लेकिन अब सुबह 10 से शाम 5 तक प्रचार में चला जाता हूं, तो दोस्त यार ही दुकान चलाते हैं। लोगों का अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है, जरूर जीतेंगे।
प्रचार तक का पैसा नहीं-ट्रांसजेंडर
छिंदवाड़ा की मेयर कैंडिडेट ट्रांसजेंडर अंजलि उइके ने बताया कि वह कभी राजनीति में नहीं आना चाहती थी, न ही राजनीति से उनका कोई जुड़ाव रहा है। उन्होंने कहा- जिस पार्टी ने मुझे उम्मीदवार बनाया है, उनके ही लोग मेरे पास आए और कहा कि खड़ी हो जाओ। शहर में सामाजिक जुड़ाव और अपने पेशे की वजह से लोगों से लगातार जनसंपर्क होता रहता है, इसलिए मैं भी चुनाव में खड़ी हो गई। आरक्षित सीट होने की वजह से ट्रांसजेंडर में मुझे खड़ा किया, नहीं तो हमारे बीच मुझसे ज्यादा योग्य भी उम्मीदवार हैं। अब प्रचार में 5-6 घंटे समय ही दे पाती हूं, क्योंकि गाड़ी से प्रचार के लिए पैसा नहीं है, जितना बन पाता है उतना ही करती हूं। लोगों का सहयोग तो अच्छा मिल रहा है, मोहल्ले के लोग व बच्चे प्रचार में साथ में जाते हैं। इस शहर की गंदगी-कचरा को साफ करना है। मेरे माता-पिता व परिवार भी यहीं रहते हैं लेकिन वे रिश्ता नहीं रखते हैं, वे प्रचार में मेरे साथ नहीं जुड़े हैं। मेरी गुरु मां और गुरु भाइयों का ही सबसे ज्यादा सहयोग है।
22 हाउस वाइफ भी मैदान में, योगा स्टूडेंट भी लड़ रही चुनाव
मेयर चुनाव में प्रदेश की 16 सीटों में अलग-अलग पार्टी और निर्दलीय उम्मीदवारों के रूप में 62 महिलाएं खड़ी हुई हैं। इसमें सागर से एमए (योगा) की पढ़ाई कर रही छात्रा के साथ खेती-किसानी करने वाली दो महिलाओं के साथ 22 हाउस वाइफ भी मैदान में हैं। इनमें से लगभग सभी पहली बार अपने घर के काम, चौका-बर्तन व बच्चों की जिम्मेदारी निभाने के बाद राजनीति में अपना दावा ठोंक रही हैं। प्रदेशभर में 62 महिलाओं में 11 मुस्लिम उम्मीदवार भी खड़ी हैं। इसके अलावा असदुद्दीन ओवैसी ने अपनी पार्टी ्रढ्ढरूढ्ढरू की तरफ से भी बुरहानपुर और खंडवा से मेयर कैंडिडेट के रूप में दो मुस्लिम महिलाओं को खड़ा किया है।
146 में से 15 पर केस-आपराधिक मामले
एमपी में 15 मेयर कैंडिडेट के खिलाफ कोर्ट के संज्ञान और क्रिमिनल मामले दर्ज हो चुके हैं। इनमें से 3 दोषमुक्त भी हो चुके हैं, अधिकतर के मामले लंबित हैं। भोपाल-मुरैना में महिला कैंडिडेट्स के खिलाफ दो-दो मामले दर्ज हैं, जिसमें कोर्ट के संज्ञान के भी केस हैं। यही नहीं, सिंगरौली के एक मेयर कैंडिडेट के खिलाफ कोर्ट के संज्ञान के 9 केस और उज्जैन में एक पार्टी के प्रत्याशी पर 3 केस दर्ज हैं।
पीजी और ग्रेजुएट भाजपा में अधिक, कांग्रेस-आप दूसरे व तीसरे नंबर पर
सभी 146 मेयर कैंडिडेट्स में से सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे भाजपा के हैं, जिनमें 6 पोस्ट ग्रेजुएट और 6 ग्रेजुएट हैं। इसके अलावा कांग्रेस के 5 पोस्ट ग्रेजुएट, 3 ग्रेजुएट और आम आदमी पार्टी के 4 पीजी, 4 ग्रेजुएट कैंडिडेट खड़े हुए हैं। 8वीं से कम पढ़े-लिखे 15 कैंडिडेट हैं, जिसमें 5 ऐसे हैं, जिनको सिर्फ नाम लिखना-पढऩा आता है। साथ ही, 12वीं तक या उससे कम एजुकेशन वाले में 28 कैंडिडेट हैं। रुरुक्च और रुरुरू डिग्री वाले 17 उम्मीदवार, डॉक्टर फील्ड के 3 और इंजीनियरिंग के 6 उम्मीदवार अपने-अपने निगम क्षेत्र में महापौर का दावा ठोंक रहे हैं। यह जानकारी मप्र राज्य निर्वाचन आयोग की ऑफिशियल वेबसाइट में उम्मीदवारों द्वारा दिए गए शपथ-पत्र के आधार पर है। वेबसाइट में देवास के उम्मीदवारों की जानकारी नहीं दी गई है।
भोपाल
हनुमानजी ने कहा, इसलिए चुनाव लड़ रहा चायवाला
- 05 Jul 2022