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हाईकोर्ट ने पत्नी को किया बरी: कहा- 'कहीं जाकर मर'... कहना आत्महत्या के लिए उकसाने वाला नहीं

  • 31 Aug 2022

चंडीगढ़। पति को तमाचा मारने के बाद ‘कहीं जाकर मर’ कहने वाली पत्नी को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने बरी करने का आदेश दिया है। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि आपसी लड़ाई में इस तरह की बात कहना आत्महत्या के लिए उकसाने के लिए काफी नहीं है। बरनाला निवासी पिता ने पुलिस को शिकायत दी थी कि उनके बेटे का विवाह 22 मार्च 2015 को हुआ था। 
पत्नी स्नातक थी और वह अनपढ़ पति को अपने बराबर नहीं समझती थी। इस वजह से दोनों में आए दिन झगड़ा होता रहता था। समय के साथ दोनों में कलह बढ़ता चला गया। हालत यह हो गई कि पत्नी कभी भी झगड़ा कर मायके चली जाती थी। ससुरालवाले हर बार उसे मनाकर ले आते थे ताकि रिश्ता न टूटे। 
शिकायतकर्ता का आरोप है कि 28 जून 2015 को बेटे और बहू में खूब झगड़ा हुआ। इस दौरान बहू ने उनके बेटे की गाल पर तमाचा जड़ते हुए कहा कि कहीं जाकर मर क्यों नहीं जाता। इसके बाद बेटे ने कमरे में जाकर अंदर से कुंडी लगा ली। कुछ समय बाद कमरे से धुआं निकलता दिखा तो पड़ोसियों की मदद से दरवाजा तोड़ा गया। 
अंदर बेटे ने खुद को आग लगा ली थी। उसे पटियाला के अस्पताल में भर्ती करवाया गया, जहां उसने दम तोड़ दिया। इस मामले में पुलिस ने जांच की और निचली अदालत ने बहू को दोषी मानते हुए सात साल की सजा और 1.25 लाख रुपये जुर्माना लगा दिया। सजा के इसी आदेश को बहू ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। 
हाईकोर्ट ने बहू की याचिका को मंजूर करते हुए कहा कि इस मामले में गवाह केवल मृतक के माता-पिता हैं कोई अन्य नहीं। कोर्ट ने कहा कि अगर यह मान भी लिया जाए कि याची की बहू ने थप्पड़ मारा और ऐसा कहा कि जा के मर कहीं तो भी यह पति को आत्महत्या के लिए उकसाने का अपराध नहीं बनता है। हाईकोर्ट ने बहू की सजा को रद्द करते हुए जुर्माने की राशि उसे वापस करने का आदेश दिया है। 
साभार अमर उजाला