उज्जैन। 27 बच्चों से भरी मैजिक पलटने में सिर्फ ड्राइवर ही दोषी नहीं है, यह सिस्टम की भी बड़ी खामी है। सुप्रीम कोर्ट की स्पष्ट गाइड लाइन है कि स्कूल वाहन चलाने वाला ड्राइवर कम से कम दस साल का अनुभवी होना चाहिए और जिस गाड़ी में बच्चे बैठते हैं उसमें स्पीड गवर्नर होना अनिवार्य है। यह सब हर तीन महीने में चेक करने का जिम्मा आरटीओ व स्कूल प्रबंधन का है। जो हादसा हुआ है उसके बाद यह तय है कि दोनों ने ही अपना काम ठीक से नहीं किया, वरना यह घटना ही नहीं होती। पालक इसे लेकर गुस्से में हैं।
देवास रोड के धतरावदा मोड़ पर सोमवार को अंधगति से मैजिक दौड़ा रहे ड्राइवर की लापरवाही के चलते उसकी खुद की जान तो गई, गाड़ी में सवार मदरलैंड स्कूल के 27 बच्चे भी गंभीर रूप से घायल हो गए थे। इनमें अभी भी सात बच्चों को गंभीर चोटें हैं जो शहर के जिला अस्पताल समेत दो निजी अस्पतालों में भर्ती है। सात में एक बच्ची आईसीयू में है।
इस हादसे के बाद यह बात सामने आई है कि मैजिक का परमिट नहीं था। साथ ही यह भी स्पष्ट हो गया कि स्कूल बच्चों के लिए जो कोर्ट की गाइड लाइन तय है उसका पालन नहीं हो रहा था न कराया जा रहा था। अगर पालन कराया जा रहा होता तो ड्राइवर इस तरह अंधगति से वाहन नहीं दौड़ाता क्योंकि उसमें स्पीड गवर्नर से तय मापदंड अनुसार स्पीड 30 से अधिक 40 होती।
नियम- सभी स्कूल वाहन की जांच हो
कोर्ट के निर्देश की बात करें तो नियम व गाइड लाइन यही है कि जब तक बच्चा स्कूल से घर नहीं पहुंच जाता, तब तक स्कूल प्रबंधन की जवाबदेही है। सड़कों पर दौड़ रहे स्कूल वाहन में ड्राइवर अनुभवी है या नहीं, गाड़ी में स्पीड गवर्नर लगा है अथवा नहीं, फस्र्ट एड बॉक्स से लेकर फायर इक्यूपमेंट और यहां तक कि गाड़ी का फिटनेस और परमिट सबकुछ चेक करना परिवहन अमले और ट्रैफिक पुलिस की ड्यूटी है। आरटीओ के लिए तो स्पष्ट तय है कि स्कूल वाहन को फिटनेस प्रमाण पत्र ही तभी मिलेगा जब पूरी गाइड लाइन का पालन किया जा रहा हो। इसके बावजूद बच्चों के साथ जो हादसा हुआ, इससे जाहिर है कि हमारे अफसर कितने गैर जिम्मेदार हैं।
स्कूल प्रबंधन को आरटीओ का नोटिस
देवास रोड के पंचक्रोशी-धतरावदा मार्ग पर सोमवार को स्कूली बच्चों से भरी टाटा मैजिक के दुर्घटनाग्रस्त होने के मामले में आरटीओ ने मदरलैंड पब्लिक स्कूल प्रबंधन को नोटिस जारी किया है। आरटीओ संतोष मालवीय ने बताया कि नोटिस में स्कूल प्रबंधन से पूछा गया है कि उन्होंने क्षमता से अधिक बच्चे वाहन में क्यों बैठाए? चालक प्रशिक्षित है या नहीं, इसकी जांच क्यों नहीं की गई?
इन सवालों के स्पष्टीकरण के साथ ही नोटिस के जरिए स्कूल प्रबंधन से उनके यहां के अटैच सभी वाहनों के संचालन से जुड़े दस्तावेज तलब किए गए हैं। इन वाहनों को चलाने वाले ड्राइवरों के नाम-पते और लाइसेंस आदि भी बुलवाए गए हैं। स्पष्टीकरण, सभी दस्तावेज व जानकारी के साथ स्कूल प्रबंधन को 31 मार्च की दोपहर आरटीओ के समक्ष प्रस्तुत होना है।
आरटीओ मालवीय ने बताया कि स्पष्टीकरण व दस्तावेजों की जांच-परीक्षण के आधार पर तय होगा कि स्कूल प्रबंधन पर क्या कार्रवाई की जाए। गौरतलब है कि उक्त दुर्घटना में चालक की मौत हो गई थी जबकि टाटा मैजिक में सवार 27 में से अधिकांश बच्चे घायल हो गए थे।
स्कूल पर भी कार्रवाई होगी
पंचक्रोशी मार्ग पर धतरावदा मोड़ पर सोमवार को हुए हादसे के बाद जिला शिक्षा अधिकारी, बीआरसी ने मौका मुआयना किया। डीईओ आनंद शर्मा का कहना है कि प्रथम दृष्ट्या मैजिक चालक की लापरवाही सामने आई है। उसने ओवरलोडिंग की थी। इतने बच्चों को एक वाहन में नहीं बैठाया जाना चाहिए। मामले में जांच रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं। उसके बाद संबंधित स्कूल के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।
उज्जैन
हादसे के बाद सामने आया सच- अनुभवी ड्राइवर और वाहन में स्पीड गवर्नर जरूरी, चेक करना आरटीओ का काम लेकिन नहीं किया
- 30 Mar 2022