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इंदौर

होली को लेकर उत्साह चरम पर, शुम मुहूर्त में अनेक स्थानों पर होगा होलिका दहन

  • 17 Mar 2022

इंदौर। कोरोना संक्रमण के दो साल बाद अब रंगों का पर्व होली और रंगपंचमी को लेककर लोगों का उत्साह चरम पर है। आज गुरुवार को शाम के समय शुभ मुुहर्त में होलिका दहन का काम शुरु किया जाएगा। हालाकि कई जगहों पर देर रात या सुबह के समय होली जलाई जाएगी। होलिका दहन में अब तक जलाऊ लकडिय़ों का उपयोग होता था लेकिन अब कंडों के प्रयोग ने जोर पकड़ लिया है जिसके चलते इनकी मांग में भी वृध्दि होने लगी है। बाजार में इन दिनों 8 रुपए से लेकर 15 रुपए नग तक कंडे मिल रहे हैं जिनकी कीमतें होली के समय बढ़ जाती है।
मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान में कोरोना संक्रमण खत्म होने के बाद होली और रंगपंचमी को उत्साह और उमंस से मनाने की घोषणा कर दी है। घोषणा के बाद उत्सव समितियों ने तैयारियां शुरु कर दी है। दो साल से होली पर्व के दौरान कोरोना संक्रमण के चलते इसके रंग फीके हो जाते थे। हालाकि इस बार ये रंग काफी तेज देखने को मिलेगा। आज गुरुवार को जहां शहर में होली जलाई जाएगी वहीं कल धुरेंडी का पर्व भी धूमधाम के साथ मनाया जाएगा। आज सुबह से ही होली की सजावट कंडों से होगी जिसके चलते इनकी मांग के साथ कीमतें भी काफी बढ़ गई है।
कंडों की मांग बढ़ी
होलिका दहन में लगने वाले कंडों की मांग लगातार बढ़ रही है। उत्सव समितियां इसके लिए 100 से 150 कंडों का इस्तेमाल करती है। ग्रामीण क्षेत्रों में कुछ लोगों के पास कम मात्रा में कंडे होते हैं इसलिए एक सप्ताह पहले से ही इनका आर्डर कर दिया जाता है ताकि समय पर मिल जाएं।
होली के पहले बाजारों में आए हर्बल कलर
रंगों का त्योहार होली आ गया है। धुलेंडी पर रंगों से शहर सराबोर रहेगा। जमकर रंग खेला जाएगा और खूब मस्ती-धमाल होगी। इसके लिए लोगों ने बड़े स्तर पर तैयारियां की हैं। रंगों और पिचकारियों की बाजार में खूब खरीदारी हुई है। कोरोना की तीसरी लहर के बावजूद इस साल रंगों के इस त्योहार पर यह खौफ बेअसर सा होता दिख रहा है। स्कूल-कॉलेजों में तो धुलेंडी के एक दिन पहले ही रंगों की मस्ती चढ़ गई। यूनिवर्सिटी में भी रंगों की धूम मची रही। कई सेक्शंस में स्टूडेंट्स ने एक-दूसरे को रंग लगाकर धुलेंडी मनाई। इस साल बाजारों में हर्बल रंग से लेकर शरीर के सातों चक्रों के अनुसार रंग और गुलाल बाजारों में दिखाई दे रहा है। वहीं टेसू के फूलों और भुट्टे से बने प्राकृतिक रंगों से पूरा बाजार सजा हुआ है। इस वर्ष बाजारों में अधिकांश हर्बल रंग और गुलाल ही मिल रहे हैं। इनसे स्किन को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचता है। पिछले कुछ वर्षों से सबक लेते हुए सिर्फ हर्बल रंगों की बाजार में भरमार है। हलके रंग जो शाइन करते हैं, लेकिन थोड़े से पानी से तुरंत निकल जाते हैं। होली में इस्तेमाल किए जाने वाले रंगों से स्किन एलर्जी, आखों में जलन जैसी दिक्कतें पैदा हो सकती हैं। इसलिए इससे बचने के लिए सबसे पहले यह कोशिश करें कि आप ऑर्गेनिक या हर्बल रंगों से ही होली खेलें।
चुकंदर पीसकर पानी में उबालें और बनाएं लाल रंग
इस मौसम में चुकंदर आसानी से मिल जाते हैं। इन्हें पीसकर पानी में उबाल लें और लाल रंग तैयार है। गहरा पिंक रंग चाहते हैं, तो इसमें पानी ज्यादा मिलाएं। इसके अलावा इसे पीसकर पेस्ट भी बना सकते हैं। वहीं नीम की पत्तियों को पीसकर तैयार पेस्ट से हरा रंग बना सकते हैं। इस पेस्ट को पानी में मिलाकर भी रंग खेला जा सकता है। यह फेस पैक की तरह भी काम करेगा। नीम एंटिबैक्टीरियल और एंटी एलर्जिक होने के कारण स्किन के लिए फायदेमंद है। इसके अलावा पलाश के फूलों से केसरिया रंग तैयार किया जा सकता है।
दो स्थानों पर बिकेगा पलाश के फूलों से बना रंग
रंगों से सराबोर होने का पर्व होली को लेकर जहां वन विभाग ने जंगलों में जलाऊ लकड़ी की कटाई रोकने के लिए टीम तैनात कर दी है, वहीं पलाश के फूलों से बने रंग भी आज से बेचा जा रहा है। चोरल से 500 पलाश के फूलों से रंगों के पैकेट मंगाए गए हैं, जिसे नवरतन बाग स्थित मुख्य डिवीजन व नौलखा स्थित रेंज कार्यालय में बेचा जाएगा। 100 ग्राम के रंग की एक पैकेट की कीमत 30 रुपए है। पलाश के फूलों से बने रंग हर्बल होने के कारण नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। जरूरत पडऩे पर और रंगों के पैकेट मंगाया जाएगा। चोरल रेंज की ग्राम समितियों से जुड़ीं महिलाओं ने पिछले 8 दिनों से जंगल में घूमकर पलाश के फूल एकत्रित किए। रेंजर रविकांत वर्मा ने बताया कि अभी 1000 हर्बल रंग के पैकेट तैयार किए गए हैं। यह रंग शरीर के लिए बेहद फायदेमंद होता है। इसे बनाने में कड़ी मेहनत करनी पड़ती है, तब जाकर तैयार होता है। जलाऊ लकड़ी की कटाई रोकने के लिए इंदौर के नाहर झाबुआ, डबल चौकी सहित चोरल, महू एवं मानपुर के जंगलों में टीम तैनात कर दी गई है। डीएफओ नरेंद्र पंड्या द्वारा अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि ऐसी व्यवस्था करें कि कहीं भी जलाऊ लकड़ी नहीं कटे। टीम 24 घंटे सतत जंगलों पर नजर रख रही है।
छात्राओं ने कालेज में आर्गेनिक रंगों से मनाई सूखी होली
एक ओर राधा कृष्ण की पारंपरिक वेशभूषा से सजी रास खेलती उत्साहित छात्राओं का हुजूम तो दूसरी ओर होली की महफिल में मिठास घोल देने वाली फाग गीत की मंडली का मदमस्त कर देने वाला रंगमय वातावरण। कहीं होली के पर्व से सजे गानों की धुन पर थिरकते कदम रुकने का नाम नहीं ले रहे थे तो कहीं फूलों की बरसात के बीच आर्गेनिक रंग उड़ाती टोली सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रही थी। यह नजारा था एमकेएचएस गुजराती कन्या महाविद्यालय में आयोजित फाग उत्सव का। होली के पावन पर्व के दो दिन पूर्व आयोजित इस कार्यक्रम में छात्राओं का उत्साह चरम पर था। महाविद्यालय के प्राचार्य डा. गोविंद सिंघल ने कहा कि त्यौहार हमारी सभ्यता और संस्कृति का प्रतीक होते हैं। कई स्थानों पर होलाष्टक से लेकर होलिका दहन तक फाग उत्सव मनाया जाता है, फूलों की होली खेली जाती है। उसी परंपरा का निर्वहन आज हम सभी रंगों से सजे इस पर्व के माध्यम से कर रहे हैं।
बताई जल की उपयोगिता
आयोजन की सबसे प्रमुख बात यह हैं कि जल की उपयोगिता व महत्व को ध्यान में रखते छात्राएं सूखे रंगों से होली खेलते हुए सभी से जल बचाने का अनुरोध भी कर रही हैं। महाविद्यालय के चेयरमैन रमेश भाई शाह ने सभी को अपनी शुभकामनाएं प्रेषित करते हुए कहा कि यह पर्व आपके जीवन में खुशियों के अनेक रंग लाए। कार्यक्रम संयोजक डा. मनोज पडिय़ा व प्रो. निकिता ठक्कर ने सभी छात्राओं का उत्साहवर्धन करते हुए फाग गीत व नृत्य प्रतियोगिता में प्रस्तुति देने वाले कलाकारों के प्रति सम्मान व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन डा. वीणा सोनी ने किया और आभार डा. विवेक पाटनी ने माना। महाविद्यालय के एलुमनाई एसोसिएशन की ओर से फाग गीतों की प्रस्तुति देने वाली ज्योति सोमानी व उनकी टीम का सहयोग सराहनीय रहा।