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इंदौर

होली पर रंगत की छूट, रंग-गुलाल और पिचकारियों की कमी, दाम भी बढ़े

  • 12 Mar 2022

बाहर से खपत के मुकाबले आधा आया माल, शहर के गुलाल बनाने वाले कारखाने भी नहीं कर पा रहे पूर्ति
इंदौर। कोरोना महामारी के चलते 2 साल से फीकी चल रही होली की रंगत इस साल शहर में लौटने वाली है। मुख्यमंत्री चौहान की घोषणा के बाद टोलियों ने रंगपंचमी पर निकलने वाली गेर की तैयारी शुरू कर दी है, तो लोगों ने होली खेलने की, लेकिन शहर के कारोबारी खपत के मुकाबले आधे मिले माल को लेकर परेशानी में हैं। इंदौर के रानीपुरा में रंग-गुलाल और पिचकारियों का थोक कारोबार होता हैै। यहीं से पूरे प्रदेश में होली से जुड़ा सामान जाता है।
थोक कारोबारियों के मुताबिक, पिचकारियां दिल्ली , मुंबई से आती हैं। इस साल प्लास्टिक दाना और पेट्रोलियम के दाम बढ़े होने से और खपत के मुकाबले माल कम आने से पिचकारियों के दाम 50 फीसदी तक बढ़ गए हैं। यही हाल रंग और गुलाल के भी है। इंदौर में हर्बल गुलाल हाथरस (उत्तरप्रदेश) से आता है। तीसरी लहर के डर के चलते रंग और हर्बल गुलाल बनाने का काम देर से शुरू हुआ, जिसके चलते खपत के मुकाबले सप्लाई नहीं हो पा रही है, इसलिए रंग और गुलाल के दामों में भी इस साल मामूली बढ़त हुई है।
शहर के कारखानों में रात-दिन काम
इंदौर में रंग और गुलाल बनाने की 6 बड़ी फैक्ट्रियां हैं, जहां 26 जनवरी के बाद रंग और गुलाल बनाना शुरू हुआ। अब रात-दिन यहां काम हो रहा है, लेकिन फिर भी रंग-गुलाल की डिमांड जितनी पूर्ति नहीं हो पा रही है। थोक कारोबारी संजय कुमार चौधरी ने बताया कि इंदौर से ही पूरे मध्यप्रदेश में रंग-गुलाल, पिचकारियां और अन्य सामान जाता है, लेकिन इस साल सप्लायर्स की ओर से माल कम आने की वजह से मांग पूरी नहीं हो पा रही है। कारोबारियों के मुताबिक, होली पर रंग-गुलाल और अन्य सामान मिलाकर करीब 10 करोड़ का कारोबार होता आया है। कम सप्लाई के बावजूद इस बार इंदौर के बाजार में बच्चों के लिए पिचकारियों की कई नई वैरायटी मौजूद है, जिसमें सीजफायर नाम की एक पिचकारी नई है, जिसे प्रेशर देने पर रंग-गुलाल तेजी से बाहर आता है। इसके अलावा टैंक, प्रेशर गन, फैंसी पंप जैसी कई अलग-अलग पिचकारियां मौजूद है, थोक व्यापारी देवानंद बालचंदानी के मुताबिक, इंदौर के थोक बाजार में 3 रुपये से लेकर 1 हजार रुपये तक की पिचकारियां मौजूद है, जिसकी बच्चों में ज्यादा मांग है।