भोपाल। प्रदेश में करीब 1000 लोगों से 100 करोड़ से ज्यादा की ठगी कर फरार होने वाले बिल्डर को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। मामला भोपाल में यूनिहोम्स प्रोजेक्ट से जुड़ा है। आरोपी ने खरीदारों को फ्लैट व दुकान बनाकर देने का झांसा दिया था। बदले में एडवांस में रुपए भी ले लिए थे और फरार हो गया था। जिसके बाद राजधानी की कोलार पुलिस ने बिल्डर सुमित खनेजा को रविवार को दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया। आरोपी बिल्डर ने बैरागढ़ चींचली इलाके में एग्रीमेंट कर करीब एक हजार लोगों से रुपए लिए थे। वो करीब 4 साल से फरार था। रविवार को पुलिस ने उसे कोर्ट में पेश किया।
2010 में अफोर्डेबल हाउसिंग प्रोजेक्ट किया था लॉन्च
यूनिटेक नाम की कंपनी ने 2010 में भोपाल के बैरागढ़ चींचली में 23 एकड़ जमीन पर यूनिहोम्स नाम से अफोर्डेबल हाउसिंग प्रोजेक्ट लॉन्च किया था। कंपनी ने कोलाज ग्रुप के साथ एसवीएस बिल्डकॉन नाम से जॉइंट वेंचर कंपनी बनाई थी। प्रोजेक्ट के तहत 8 टॉवर बनाए जाने थे। कंपनी ने राजधानी में करीब 500 फ्लैट्स के लिए एडवांस लेकर बुकिंग की थी।
2-बीएचके के लिए 26 लाख 31 हजार और 3-बीएचके के लिए 35 लाख 89 हजार रुपए के हिसाब से अनुबंध किया। कार पार्किंग के 1.25 लाख और फ्लोर के हिसाब से 35 हजार से 1.10 लाख रुपए अलग से वसूल किए थे। बिजली कनेक्शन इंस्टॉलेशन के लिए 50 हजार और 20 हजार रुपए मेंटेनेंस चार्ज भी लिया था।
नवंबर 2017 में धोखाधड़ी का केस हुआ था दर्ज
यूनिहोम्स सोसायटी के अध्यक्ष एसएस यादव ने बताया कि काफी समय तक लोगों को घर नहीं मिले। ऑफिस में जाकर देखा, तो वहां कोई नहीं मिला। सुमित खनेजा कंपनी का डायरेक्टर था। इसके बाद लोगों ने मिलकर नवंबर 2017 में कोलार थाने में सुमित खनेजा, उसके भाई अमित खनेजा और एसके अरोरा के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज कराया।
गृहमंत्री से मिले थे
पुलिस की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं होने पर हाल में गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा से मिलकर आरोपी की गिरफ्तारी के लिए गुहार लगाई थी। आखिरकार गृहमंत्री के हस्तक्षेप के बाद पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। मामले में अमित खनेजा और एसके अरोरा फरार हैं। कोलार थाना प्रभारी चंद्रकांत पटेल ने बताया कि सुमित को दिल्ली से पकड़ा गया है। कोरोना की वजह से पुलिस रिमांड में नहीं लेगी।
2012 में मिल जाने थे फ्लैट
पीडि़त के मुताबिक उसने सितंबर 2010 में दो फ्लैट बुक किए थे। एक महीने बाद एग्रीमेंट भी हुआ। इसके मुताबिक 2012 में फ्लैट का पजेशन मिलना तय हुआ था। हम 29 लाख का भुगतान कर चुके हैं।
140 को मिला पजेशन, लेकिन न बिजली न सड़क
यूनिहोम्स भोपाल रेसिडेंशियल वेलफेयर सोसायटी के पदाधिकारियों का कहना है कि पैसे डूब जाने के डर से 140 लोगों ने पजेशन ले लिए हैं, लेकिन यहां न तो कॉलोनी के भीतर सड़कें बनी हैं और न ही पीने का पानी मुहैया कराया जा रहा है। बिजली कनेक्शन भी अस्थाई तौर पर मिले हैं।
सीबीआई भी कर रही जांच
मामले में सीबीआई भी जांच कर रही है। जांच एजेंसी उपभोक्ताओं के साथ हुए एग्रीमेंट और बिल्डर को हुए भुगतान के दस्तावेज जुटा चुकी है। जांच में सामने आया था कि ज्यादातर एग्रीमेंट में दो साल के भीतर फ्लैट का पजेशन देने का दावा कर उपभोक्ताओं से 75 प्रतिशत तक राशि ले ली गई। बावजूद भी उन्हें पजेशन नहीं मिला। हाईकोर्ट में पेश आवेदन के मुताबिक 250 से ज्यादा उपभोक्ताओं से प्रति उपभोक्ता 21 लाख रुपए लिए गए। हालांकि यूनिहोम्स रेसिडेंशियल वेलफेयर एसोसिएशन के पदाधिकारियों का कहना है कि प्रोजेक्ट के ज्यादातर फ्लैट बुक हो चुके हैं।
रेरा 50 से ज्यादा केसों में खिलाफ दे चुका है फैसला
मामले में शिकायत के बाद रेरा भी बिल्डर को पीडि़तों को मुआवजा देने के लिए आदेश दे चुका है, लेकिन इस पर अमल नहीं हो सका। उधर, प्रोजेक्ट का काम ठप पड़ गया।
DGR विशेष
100 करोड़ की ठगी, एक हजार लोगों से रुपए लेकर हुआ फरार, 4 साल बाद बिल्डर गिरफ्तार
- 24 Jan 2022