ग्वालियर। एक हजार बिस्तर के निर्माणाधीन अस्पताल का काम कब पूरा होगा..? ये तो निर्माण एजेंसी पीआईयू के अधिकारी तय नहीं कर पा रहे। लेकिन निर्माण में अफसरों की मिलीभगत से होने वाली आर्थिक गड़बडिय़ां लगातार सामने आती जा रही है। निर्माण कार्य से जुड़े 230 करोड़ रुपए के टेंडर में अफसरों को नियमानुसार दस फीसदी राशि बढ़ाने का अधिकार है लेकिन इसके विपरीत 26 फीसदी की वृद्धि कर 60 करोड़ रुपए की पूरक स्वीकृति दे दी। जबकि दस फीसदी के हिसाब से यह वृद्धि 23 करोड़ रुपए की होना चाहिए थी।
इससे पहले जुलाई 2021 में जहां तत्कालीन परियोजना यंत्री पीएन रायपुरिया ने लगभग 3 करोड़ 85 लाख रुपए की गड़बड़ी का मामला वरिष्ठ अधिकारियों तक पहुंचाया था। वहीं अब 10 महीने बाद एक बार फिर करोड़ों रुपए की वित्तीय गड़बडिय़ों को लेकर ये प्रोजेक्ट चर्चा का विषय बना हुआ है। इस गड़बड़ी में प्रोजेक्ट पर तैनात सहायक परियोजना यंत्री से लेकर अतिरिक्त परियोजना संचालक तक भूमिका संग्दिध होती जा रही है।
नियमों पर भारी अफसरों की मनमानी
कोरोना की तीसरी लहर को देखते हुए अस्पताल बिल्डिंग को जल्द से जल्द तैयार करने के नाम पर कई कार्यों में बदलाव किया गया। जैसे कि बिल्डिंग में लकड़ी की चौखट लगनी थी लेकिन इसकी जगह डब्ल्यूपीसी और ग्रेनाइट चौखट लगाई गई। ऐसे ही टॉयलेट में दरवाजे का आयटम, नेम प्लेट, साइनेज लगाने के मामले में भी बदलाव हुए। पीआईयू (परियोजना क्रियान्वयन इकाई) के अतिरिक्त परियोजना संचालक वीके आरख 5 बार में 960 करोड़ की पूरक स्वीकृतियां जारी की। जबकि उन्हें ठेका लागत 230 करोड़ से सिर्फ 23 करोड़ की स्वीकृति देने का ही अधिकार है। 10 प्रतिशत से अधिक की स्वीकृति के लिए फाइल शासन के पास जाती है। मगर आरख ने इसे खुद ही पास कर दिया।
ग्वालियर
1000 बिस्तर के अस्पताल का मामला ... 230 करोड़ के टेंडर में अफसर को 23 करोड़ बढ़ाने का था अधिकार, बढ़ा दिए 60 करोड़
- 14 May 2022