कोरोना काल में जब वायरस के कारण पूरी दुनिया में लोग पीड़ित थे, तब डॉक्टरों के साथ ही नर्सों की भूमिका बहुत अहम हो गई थी। कोविड संकट के दौरान हेल्थ वर्कर कोरोना वॉरियर्स बनकर इस वायरस से हमारी सुरक्षा करते रहे। दिन रात डॉक्टरों के साथ नर्सों ने लोगों की सेवी की। किसी भी रोगी के स्वास्थ्य के लिए एक डॉक्टर जितना अहम भूमिका में होता है, उतना ही महत्वपूर्ण रोल नर्स का भी होता है। नर्स ही बीमार की देखभाल करती है। पूरा दिन एक डॉक्टर एक मरीज के पास नहीं रह सकते हैं। नर्स मरीज की हालत की निगरानी करती है। नर्स के इसी सेवा भाव को सम्मानित करने और उनके योगदान की सराहना करने के लिए हर साल दुनियाभर में अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस मनाया जाता है। आइए जानते हैं कि नर्स दिवस मनाने की शुरुआत कब और कैसे हुई? यहां जानें अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस की थीम, महत्व और इतिहास।
प्रतिवर्ष 12 मई को नर्स दिवस मनाते हैं। इस दिन को मनाने की शुरुआत जनवरी 1974 से हुई थी। हालांकि बाद में मई में नर्स दिवस मनाया जाने लगा। इसके पीछे की एक खास वजह है।
दरअसल, नर्स दिवस आधुनिक नर्सिंग की संस्थापक फ्लोरेंस नाइटिंगेल को समर्पित है। इसलिए इस दिन को 12 मई को मनाते हैं। फ्लोरेंस नाइटिंगेल का जन्म 12 मई को ही हुआ था। उन्होंने ही नोबेल नर्सिंग सेवा की शुरुआत की थी।
इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ नर्स ने 1974 को अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस मनाने की घोषणा की थी। उस दौरान नर्सों को किट वितरण कराने का काम इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ नर्स का होता था। वहीं नर्सों के काम से संबंधित चीजों की देखरेख करता था।
इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ नर्स प्रतिवर्ष एक विशेष थीम पर अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस मनाता है। नर्स दिवस 2023 की थीम '(Our Nurses, Our Future) 'आवर नर्सेस, आवर फ्यूचर' है। इसका अर्थ है, हमारी नर्सें, हमारा भविष्य।
साभार अमर उजाला
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12 मई को क्यों मनाते हैं अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस?
- 12 May 2023