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भोपाल

13 महीने बाद जेल से बाहर आए मिर्ची बाबा

  • 08 Sep 2023

भोपाल कोर्ट ने रेप केस में किया बरी; पीड़ित ने कोर्ट में आरोपी को पहचानने से किया इंकार
भोपाल। रेप के आरोप में भोपाल की सेंट्रल जेल में बंद वैराग्यानंद गिरी उर्फ मिर्ची बाबा 13 महीने बाद जेल से बाहर आ गए। भोपाल की कोर्ट ने उन्हें रेप केस में बरी कर दिया है। बुधवार दोपहर में कोर्ट का फैसला आने के बाद रात को मिर्ची बाबा को जेल से रिहा कर दिया गया। जेल से रिहा होते ही मिर्ची बाबा ने कहा- सत्य की जीत हुई है। कांग्रेस से नजदीकी होने के चलते मुझे फंसाया गया। गौमाता को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की लड़ाई जारी रहेगी।
रायसेन की 28 साल की नि:संतान महिला ने मिर्ची बाबा पर नशीली भभूति खिलाकर दुष्कर्म करने का आरोप लगाया था। पीड़ित महिला ने 8 अगस्त 2022 को भोपाल के महिला थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। पुलिस ने शुरूआती जांच के बाद मिर्ची बाबा के खिलाफ रेप का केस दर्ज किया था। इसके अगले दिन यानी 9 अगस्त 2022 को पुलिस ने मिर्ची बाबा को ग्वालियर से गिरफ्तार किया था। मिर्ची बाबा के वकील श्रीकृष्ण घोंसले के मुताबिक, पीड़िता जिस दिन भोपाल में रायसेन रोड स्थित मिनाल रेसीडेंसी में घटना होने की शिकायत की थी। उस दिन मिर्ची बाबा ग्वालियर में थे। इसके कई अलग-अलग सबूत दिए गए थे। जिनमें फोटो वीडियो तक कोर्ट में अभियोजन पक्ष को सौंपे गए थे।
कोर्ट में बाबा को देखकर पीड़िता ने कहा - यह वह व्यक्ति नहीं, जिसने गलत काम किया
पीड़ित ने कोर्ट में मौजूद आरोपी मिर्ची बाबा को देखकर कहा कि यह वह व्यक्ति नहीं है, जिसने गलत काम किया है। उसने बताया कि उसकी शादी चार वर्ष पहले हो चुकी है और उसके बच्चे नहीं है। उसने बैनर पर नंबर देखकर फोन लगाया था। वह फोन नंबर गोपाल का था। वह अकेले आॅटो से बाबा के आश्रम गई थी। वहां गोपाल भी था।
पीड़िता ने बताया कि वहां वह बेहोश हो गई थी, उसे होश नहीं था। उसके साथ गलत काम (बलात्कार) हुआ था। लेकिन कोर्ट में मौजूद आरोपी को देकर पीड़ित ने कहा कि वह यह व्यक्ति नहीं है। फिर वह साध्वी दीदी के साथ घर चली गयी थी। 15-20 दिन के बाद साध्वी दीदी ही उसे महिला थाने ले गयी थी।
महिला थाने में साध्वी पीतम्बरा ने लिखवाया आवेदन
पीड़िता ने अपने बयान में यह भी बताया कि महिला थाने में साध्वी पीतम्बरा ने ही आवेदन लिखवाया था, जिस पर उसने अंगूठा निशान लगाया था। साध्वी पीतम्बरा और पुलिस वालों ने आवेदन पढ़कर उसे नहीं सुनाया था। पुलिस ने उससे थाने पर कई कोरे कागजों पर अंगूठा लगवाया था। पुलिस ने घटनास्थल का नक्शा मौका तैयार किया था, जिस पर उसका अंगूठा निशानी है। साक्षी द्वारा कहा गया कि वह घटना स्थल पर नहीं गई थी।