शास्त्र के अनुसार 14 लोग जीवित हो तो भी मरे हुए हैं.... 140 बेटियों ने प्राण विगलित किया ...यानि जिसने 14 वस्तु को 0 (जीरो) कर दिया वो ये बेटियां हैं... इन 14 में से एक भी वस्तु इन बेटियों को लागू नहीं पड़ती ....इन्होंने 14 को 0 कर दिया इसलिए आज व्रजवाणी की महिमा गाई जाती है.....
1... कौल ..वाममार्गी ...पूरा जगत जिस मार्ग पर चलता हो उससे उल्टे मार्ग पर चलें उसको कौल कहते हैं.... और उल्टे रास्ते पर चलने वाले जीवित होते हुए भी मरे हुए हैं ....ये बेटियों का गायन सामवेद है ...वाम मार्ग नहीं ..राम मार्ग खड़ा हुआ है....
2... काम वश ....अत्यंत वासना वाला आदमी मरा हुआ है ....ये बेटियां देहातीत हैं ...वहां कोई वास्ता नहीं....
3... कृपण ...लोभी... कितनी उदारता है ...ह्रदय विशाल है ....कितनी आजादी ली है वर्षों के बंधन से और इस महारास में प्रवेश किया है.....
4... विमूढ....जिसको कोई समझा ना सके वो विमूढ मरा हुआ है ...तलगाजरडा को लगता है कि मेरी जो बेटियां यहां विगलित हुई हैं उनमें मूर्खता नहीं ...उनको गूढ़ रहस्यों की जानकारी है.... उनको पता है कि शरीर तो एक बार जाने ही वाला है... जवानी चली जाएगी.... इसलिए विमूढ भाव नष्ट हुआ ...और गूढ रास में प्रवेश हुआ .....
5...अति दरिद्र...जो अतिशय दरिद्र है वो मरा हुआ ही है... वो प्रारब्ध से ही मरा हुआ है ...उसको मारा न जाए.... ये बेटियां दरिद्र नहीं उदार हैं ...स्थूलता छोड़ना ये बड़ा औदार्य है ....
सती का अर्थ है दान.... हमारी स्थूल आंखें विनाश देख रही है कि हाहाकार हो गया यहां ....और सूक्ष्म आंख कहती हैं दान हुआ है.... समर्पण... त्याग हुआ है....
6.. अजसि ...जिसको अपयश मिला है ...जिसकी बेइज्जती हुई है... जो बदनाम हुआ है... वो मृत्यु पा चुका है.... यहां इन बेटियों को अपयश नहीं मिला ...उनका यश... उनकी कीर्ति गाने ही यहां बावा आया है.... इन बेटियों की आरती उतारने आया हूँ ... उनका भंडारा करने आया हूँ ....
7.... अत्यंत बूढ़ा... वृद्ध आदमी मरा हुआ ही है.... ये बेटियां वृद्ध नहीं है.... स्थूल रुप में युवान बेटियां थी....चिरयौवना ....
8... 24 घंटे... कई सालों से बीमारी में पड़े हो ...कोई दवा लागू ना पड़ती हो वो मरा हुआ है ....अत्यंत रोगी.... इन बेटियों में कोई रोग नहीं ....शून्य हो गए सारे रोग... काम.. क्रोध.. लोभ.. मद ....
9... 24 घंटे क्रोध में रहता हो वो मरा हुआ ही है..... इन बेटियों में क्रोध नहीं... बोध है ....
10...विष्णु से विमुख वो मृतक है ...जो नारायण से... परमात्मा कृष्ण से विमुख नहीं... ये अहीर की बेटियां हैं... कृष्ण की उपासना है ...यादव कुल... विष्णु विमुख कैसे हो सकती हैं ?...
11... श्रुति और संत विरोध ...कोई साधु का विरोध करे वो वेद का विरोध करेगा ....और जो वेद का विरोध करे वो साधु का विरोध करे.... जो ऐसा करे वो मृतक है.... इन बेटियों ने किसीकी निंदा नहीं की.....
12... जो केवल अपने शरीर के पोषण में ही डूबा हुआ हो ...आत्म केंद्रित नहीं ...केवल देह केंद्रित ....बस मेरा हो जाए.... दूसरे का जो होना हो वो हो ....इन बेटियों ने तन का बलिदान दिया है ...शरीर को केंद्र नहीं माना... आत्मा को केंद्र माना....
13... जगत में जो तमाम की निंदा ही करता हो वो मरा हुआ ही है....
14... अघ खानी ...पाप की खान ...महा पापी... ये मृतक है ....इन बेटियों ने उत्तम श्लोक को प्रेम किया है... पुण्यश्लोक को प्रेम किया है ...कोई पाप नहीं.....
।। रामकथा।। मानस व्रजवाणी।।
(गुजराती से हिंदी अनुवाद)