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1500 रुपये में शुरू किया व्यापार, संगीता पांडेय आज हैं करोड़ों की कंपनी की मालकिन

  • 30 Jun 2023

कई भारतीय महिलाएं बिजनेस जगत में काफी मशहूर हैं। दुनियाभर में वह बड़ी कंपनियों की मालकिन और सीइओ के पद पर कार्य कर रही हैं। वहीं उत्तर प्रदेश के एक जिले की साधारण सी महिला ने अपने दम पर करोड़ों की कंपनी खड़ी कर दी। यह महिला न तो किसी बड़े उद्योगपति परिवार से ताल्लुक रखती है और न ही व्यापार का कोई बहुत अधिक ज्ञान उन्हें शुरूआती तौर पर था। लेकिन चंद पैसों में उन्होंने व्यापार शुरू किया और खुद के दम पर करोड़ों की कंपनी की मालकिन बन गईं। इस सफलता तक पहुंचने में कई रुकावटें आईं, पर गोरखपुर की महिला ने सबका सामना किया। आइए जानते हैं गोरखपुर जिले की महिला व्यापारी संगीता पांडे के बारे में ।
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में रहने वाली संगीता पांडे ढाई करोड़ की कंपनी की मालकिन हैं। वह अपने व्यापार से लाखों की कमाई कर रही हैं। उनकी इस सफलता और जज्बे के लिए सरकार ने उन्हें गोरखपुर रत्न से सम्मानित किया है।
कम संसाधनों में छोटे व्यापार को शुरू कर उसे बुलंदियों तक पहुंचाने का जज्बा रखने वाली संगीता सिंह आज महिलाओं ही नहीं बल्कि व्यापार करने वाले पुरुषों के लिए भी प्रेरणा बन गई हैं। संगीता पांडेय गोरखपुर के झरणाटोला की रहने वाली हैं। संगीता सैनिक परिवार से ताल्लुक रखती हैं। उनके पिता और भाई सेना में हैं।
संगीता ने शुरुआती पढ़ाई केंद्रीय विद्यालय से की और बाद में गोरखपुर विश्वविद्यालय से स्नातक किया। पढ़ाई के बाद उनकी शादी हो गई लेकिन उनकी महत्वाकांक्षा कभी कम न हो सकीं।
साधारण घरेलू महिलाओं की तरह जीवन जी रही संगीता ने कुछ करने की ठानी और मिठाई की पैकेजिंग के लिए फैंसी डिब्बे तैयार करने की योजना बनाई। जिले के पादरी बाजार में स्थित शिवपुर सहबाजगंज में मिठाई की दुकानों के लिए फैंसी पैकिंग डिब्बे बनाने वाले एक कारखाने की शुरुआत की।
व्यापार की शुरुआत महज 1500 रुपये में की। संगीता गोलघर की एक प्रतिष्ठित दुकान में ऑर्डर के लिए पहुंचीं। उनके पास एक साइकिल थी, जिससे वह ऑर्डर के तलाश में जाती थीं। दुकान से पहला ऑर्डर मिला तो संगीता ने 20 डिब्बे तैयार किए। दुकानदार को ये डिब्बे पसंद आए, उसके बाद उन्हें और अधिक ऑर्डर मिलने लगे।
आज संगीता लगभग डेढ़ सौ महिलाओं को रोजगार दे रही हैं। उनकी कंपनी करोड़ों कमाती है। जो लोग उनके काम पर ताने मारते थे और सपोर्ट नहीं देते थे, उन सब को संगीता ने अपने बुलंद हौसलों से झुका दिया।
साभार अमर उजाला