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16 साल बाद पांच लोगों के माथे से हटा कलंक, हाई कोर्ट- बिना अपराध 11 साल जेल में रहे

  • 20 Aug 2021

ग्वालियर। बीते 16 साल से अपहरणकर्ता का तमगा लेकर जी रहे पांच लोगों को मप्र हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच से बड़ी राहत मिली है। पांचों आरोपियों की ओर से वर्ष 2008 में दायर की गई अपील को स्वीकार करते हुए जस्टिस जीएस अहलूवालिया और जस्टिस आरके श्रीवास्तव की डिवीजन बेंच ने निचली अदालत के उस फैसले को निरस्त कर दिया, जिसमें सभी को अपहरण का दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा दी गई थी।
कोर्ट ने आदेश में कहा- सभी आरोपियों ने जीवन के बहुमूल्य 11 साल बिना जुर्म जेल में व्यतीत किए। इससे उनके मौलिक अधिकारों को हनन हुआ, जो भारत का संविधान उन्हें देता है। सीआरपीसी में मुआवजा देने का प्रावधान नहीं है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश में संविधान के आर्टिकल -142 में दी गई शक्तियों का प्रयोग करते हुए मुआवजा दिलाया था, जिन्हें झूठे आरोप लगाकर फंसाया गया था। इसी को आधार बनाकर हाई कोर्ट ने शासन को एक माह में पांचों अपीलार्थियों को 3-3 लाख रुपए मुआवजा देने का आदेश दिया।
इन 6 कारणों से इन्हें माना गया बेगुनाह
1. रामप्रकाश (जिसका अपहरण हुआ) ने बयान में फिरौती की राशि 10 लाख बताई, जबकि उसके भाई मनोहर सिंह और विवेचक राघवेंद्र सिंह ने 1 लाख।
2. रामप्रकाश ने ये नहीं बताया कि फिरौती के लिए उसके परिजनों से कैसे संपर्क किया गया।
3.किसी भी गवाह ने नहीं बताया कि फिरौती की राशि दी गई।
4. रामप्रकाश ने प्रतिपरीक्षण में बताया कि आरोपी एक दूसरे को नाम से पुकारते थे। बाद में कहा कि कोड वर्ड से पुकारते थे।
5. रामप्रकाश ने कहा कि वह भाग कर घर पहुंचा, जबकि विवेचक राघवेंद्र ने बताया कि उसने रामप्रकाश को ग्राम भगुवापुरा से बरामद किया था।
6. पुलिस ने इस जगह का नक्शा तक नहीं बनाया, जहां रामप्रकाश को बंदी बनाकर रखा गया था।
यह था मामला
एडवोकेट शोभेंद्र तिवारी और एडवोकेट अनूप निगम ने बताया कि 9 अगस्त 2005 को इस मामले में पुलिस थाना गोदन में प्रकरण की रिपोर्ट दर्ज कराई गई। मनोहर सिंह ने थाने जाकर बताया कि उसका भाई रामप्रकाश शाम सात बजे के लगभग भिटारी हार की तरफ भैंस लेकर गया था। इसके बाद से ही वह गायब है। बाद में रामप्रकाश ने बताया कि जब वह भैंस लेकर लौट रहा था। तभी रास्ते में उसे तीन व्यक्ति (राजेश बब्बा, नंदू और एक अज्ञात) मिले। तीनों ने उसकी बनियान और लुंगी उतरवाकर उससे ही हाथ बांध दिए, और अपने साथ पकड़ ले गए। 13 दिन रतनगढ़ के जंगल और आठ दिन किसी अन्य स्थान पर रहने के बाद एक दिन जब सभी सो रहे थे। तभी में मौका देखकर वहां से भाग निकला। इस मामले में पुलिस ने सुरेश ढीमर, भग्गू ढीमर, राजेश उर्फ बब्बा बरार, कैलाश ढीमर, रामचरण ढीमर के खिलाफ अपहरण सहित अन्य धाराओं में मामला दर्ज किया।