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Exclucive: Inodre / प्रतिदिन 2 से 4 पुरूष कर रहे खुदकुशी www.dgr.co.in

  • 16 Dec 2019

महिलाओं की तुलना मेंपुरूष कर रहे है आत्महत्या
आत्महत्या के प्रयास के मामले में भारत विश्व में दूसरे स्थान पर
इंदौर। भारतीय संविधान में स्त्री पुरूष में समानता की बात दर्ज होने एवं तथाकथित रूप से भारतीय समाज को पुरूष प्रधान माने जाने के उपरांत भी देश में पुरूष्रों की स्थिति कितनी दयनीय है। संस्था पौरूष के अनुसार इंदौर में प्रतिदिन 2 से 4 पुरूषों द्वारा आत्महत्याएं की जा रही है।
 नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो की रिपोर्ट एवं पुरूष अधिकारों के लिए कार्यरत संस्था पौरूष के अनुसार देश भर में पुरूषों की आत्महत्या की दर जो सन 2005 में 52 हजार 589 प्रति वर्ष थीं,वह सन 2018 में बढ़कर 1 लाख 52 हजार 307 हो चुकी है। सन 2005 से 2018 तक कुल 13 सालों में ये संख्या 11 लाख 96 हजार 587 हो  चुकी है,जो तथाकथित महिला  आत्महत्या की दर से साढ़े चार  गुना  अधिक है। जबकि  नेशनल हेल्थ प्रोफाइल के अनुसार भारत में औसत जीवन प्रत्याशा 68.35त्न है।
संस्था पौरूष (पीपुल अर्गेस्ट अनइक्वल रूल्स यूज्ड टू शेल्टर हैरासमेंट) एवं एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार देश भर में हर चार मिनट में एक पुरूष  औरत के झूठे इल्जामों के कारण आत्महत्या कर रहा है,वही दूसरी और हर ढेड मिनट में देश के किसी न किसी कोने में महिला द्वारा पुरूष को झूठे केस में फंसाने की धमकी,प्रताडऩा,थाना,कोर्ट,कचेहरी इत्यादि की धौस दी जाती है।
संस्था पौरूष के अध्यक्ष अशोक दशोरा का कहना है कि देश में महिलाओं के लिए करीब 5 दर्जन कानून होने एवं डेढ दर्जन से अधिक महिला हेल्प प्रावधान होने के कारण उत्दंड एवं अपराधी किश्म की महिलाओं द्वारा कानूनों का दुरूपयोग धड़ल्ले से किया जा रहा है। जिसके कारण प्रताडि़त पुरूषों की सुनवाई कही पर भी न होने से  अवसाद ग्रस्त होकर आत्महत्या कर रहे है। पुलिस एवं प्रशासन द्वारा इन आत्महत्याओं को महिला आयोग एवं नारी संगठनों के दवाब में आकर अलग रंग देकर मीडिया को परोस दिया जाता है।
दुनिया भर में प्रतिवर्ष 9 से 12 लाख लोग आत्महत्या करते है्,जो मानव मृत्यु का दसवां बड़ा कारण है। अंतरराष्ट्रीय  स्तर पर ब्रिट्रिश कामेडियन रिचर्ड हेरिंग द्वारा  पुरूषों के अधिकारों के लिए गो फंड मी नामक एनजीओं चलाया जा रहा है। जबकि भारत में ऐसी कोई संस्था नहीं है।
अधिकांश पश्चिमी देशों में  आत्महत्या कानून अपराध नहीं है। भारत में धारा 309 (आईपीसी) आत्महत्या के प्रयास हेतु दंडनीय अपराध माना जाता था,किन्तु 29 मई 2017 को जारी शासकीय अधिसूचना के द्वारा अब इसे गैर अपराधिक माना गया है। आत्महत्या के प्रयास के मामले में भारत विश्व में दूसरे स्थान पर है।
संस्था पौरूष के अध्यक्ष अशोक दशोरा के  अनुसार सन 2009 में सबसे ज्यादा आत्म हत्याएं पश्चिम बंगाल में दर्ज की गई थी। इस मामलें में पश्चिम बंगाल को देश में पहला स्थान एवं मप्र पाचवां स्थान है। किसानों की आत्महत्या के मामले में मप्र तीसरे स्थान पर है। देश भर में हर चार मिनट में होने वाली आत्महत्या में तीन में एक युवा होता है,जो 30 साल से कम का होता है। अर्थात हर 12 मिनट में एक युवा द्वारा आत्महत्या की जाती है।
युवा आत्महत्या के मामलें में अरूणाचल में 18 से 30 वर्ष की आयु की आत्महत्या की औसत दर देशभर की 55 प्रतिशत है,वही दिल्ली की औसत दर 49.8 प्रतिशत है। विभिन्न राज्यों में पुरूषों की आत्महत्या के आकड़े निम्नानुसार है
क्रमांक    राज्य              सन 2016             सन 2017              सन 2018

1    पश्चिम बंगाल           14,648              15,161                  15,768

2    आंध्र प्रदेश              14,500              15,008                  15,609

3   तमिलनाडू               14,424               14,928                  15,526

4  महाराष्ट्र                  14,300              14,801                  15,393

5  मध्य प्रदेश               12,145               12,671                  14,127

संस्था पौरूष के अनुसार इंदौर में प्रतिदिन 2 से 4 पुरूषों द्वारा आत्महत्याएं की जा रही है। इस प्रकार प्रतिमाह 80 से 105 पुरूष आम्महत्या कर रहे है।इस प्रकार है आकड़े

वर्ष           प्रतिदिन             औसत           प्रतिमाह           प्रतिवर्ष

2016        2 से 3              2.5त्न            80               960

2017       2 से 3.8             2.75त्न           87               1044

2018      2 से 4               3.5त्न             105             1260

आत्महत्या बढऩे के कारण

सन 2017  में धारा 309 समाप्त किए जाने एवं सन 2018 में जारकर्म की धारा 497 को सुप्रीम कोर्ट के द्वारा खत्म किए जाने के बाद पुरूषों की आत्महत्या की दर 8 प्रतिशत से  बढ़ कर 12 प्रतिशत हो गई।

आत्महत्या करने का कारण

देश में पुरूष आत्महत्या का मुख्य कारण परिवारिक विवाद एवं महिला कानूनों का दुरूपयोग के कारण उत्पन्न अवसाद है। इसके बाद संपत्ति विवाद,आर्थिक कारण और नौकरी तथा व्यापार में असफलता है। डब्ल्यूएचओ एटलस 2017 के अनुसार भारत में मानसिक स्वास्थ्य (अवसाद) के ईलाज हेतु न तो कोई चिकित्सकीय प्रावधान किए गए है और न ही कोई भावी योजना उपलब्ध है। इसी कारण परिवारिक विवादों में अवसादग्रस्त पुरूषों के द्वारा तेजी से आत्महत्या की जा रही है।

ये है बड़े  हाईप्रोफाइल लोग

महिला द्वारा प्रताडि़त इन हाईप्रोफाइल आत्महत्या के मसलों में शामिल है,बक्सर (बिहार)  के जिला कलेक्टर मुकेश पांडे,सहारनपुर( उप्र) के एसपी सुमित दास,दिल्ली के एसीपी अमित सिंह,जेनपैक्ट कंपनी के वाइस पेसिडेंट स्वरूप दास,दिल्ली हाई कोर्ट एडोवोकेट अरविंद  भारती,चैन्नई आईएएस अकादमी के सीईओ प्रो. शंकर देवराज एवं राष्ट्रसंत भययू महाराज। ये वो सभी हाई प्रोफाइल लोगों है जिन्होंने महिलाओ  की प्रताडऩा एवं झूठे आरोपों से परेशान होकर आत्महत्या का रास्ता चुना।  

**पुष्पेंद्र पुष्प**