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बैतूल

2 मौत, 60 अस्पताल में, अज्ञात बीमारी से दहशत

  • 30 Aug 2024

ग्रामीण बोले- अचानक नसें खींचने लगती है, बेहोशी छा जाती
बैतूल, (एजेंसी)।  जिले की ग्राम पंचायत गुरुवा के टेरम गांव में इन दिनों दहशत का माहौल है। लोग इस गांव में घुसने से भी डर रहे हैं। कारण अज्ञात बीमारी। उल्टी-दस्त, बुखार और नसों के खिंचने से दो लोगों की मौत और 60 लोगों के चपेट में आने के बाद हालात बिगड़ गए हैं। सभी बीमारों को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भीमपुर में भर्ती करवाया गया, जहां से 13 की हालत गंभीर होने पर जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया है। बीएमओ दूषित वातावरण और खुला भोजन खाने और दूषित पानी पीने से उल्टी-दस्त और बुखार होने की बात कह रहे हैं, लेकिन बीमारी फैलने के कारण स्पष्ट नहीं है।
वहीं, पीएचई विभाग के अफसर का दावा है कि हम पानी के रोज सैंपल ले रहे हैं, पानी में बीमारीफैलने जैसे कोई सैंपल नहीं मिले हैं। हालांकि स्वास्थ्य व प्रशासनिक विभाग की टीम गांव में संपर्क बनाए हुए हैं।
जंगलों से घिरा गांव, अधिकांश लोग कोरकू समुदाय से
बैतूल से 105 किमी दूर भीमपुर ब्लॉक का टेरम गांव में इन दिनों स्वास्थ्य, पीएचई और जिला प्रशासन के केंद्र पर है। जंगलों से घिरे गांव में 150 घरों की आबादी में अधिकांश कोरकू समुदाय के लोग रहते हैं। भीमपुर विकासखंड मुख्यालय से खामापुर होकर जाने वाली सड़क पर जब गुरुवा पिपरिया पंचायत की तरफ हम मुड़े तो कच्ची पगडंडी टेरम गांव की तरफ ले जाती है। एक से दो कमरे के कच्चे मकानों के सामने जानवरों के बांधने के बाड़े बने हुए हैं।
तीन दिन पहले गांव के बिसराम (30) पिता शोभाराम की अचानक मौत हो गई।? बिसराम उल्टी-दस्त और पैर की नसों के खिंचाव से पीड़ित 55 साल की मिठिया को इलाज के लिए अस्पताल लेकर आया था। यहां बिसराम की तबीयत बिगड़ी और उसने दम तोड़ दिया। हालांकि कुछ घंटे बाद मिठिया की भी मौत हो गई। इसके बाद एक-एक कर गांव के 60 लोग बीमार पड़ गए।
झांड-फूंक वाले ने दैवीय प्रकोप बताया
यह बात भी निकल कर सामने आई है कि गांव के भगत ने बीमारी फैलने के बाद ग्रामीणों को दैवीय प्रकोप बताकर डरा दिया था। वह हर घर-घर जाकर झाड़ फूंक करता रहा। उसने ग्रामीणों को साफ कह दिया था कि वे अपने घरों से न निकलें और कहीं बाहर न जाएं। घर में कोई भी खाना बघार कर यानी फ्राई करके न बनाए। इसी वजह से ग्रामीण बीमार होने के बावजूद घरों से नहीं निकले। जब गांव में दो मौत हो गई और समस्या बढ़ने लगी तो उन्होंने अस्पताल का रुख किया।
गांव में चार-चार ढाने, 150-200 मकान
ग्रामीण वामन पोटे के मुताबिक जिस ढाने में युवक की मौत हुई है, वहां दहशत है। गांव के चार चार ढाने हैं, जो एक दूसरे से दो सौ मीटर दूरी पर है। इसमें करीब 150 से 200 मकान है। जिनकी 1500 आबादी है, लेकिन मौत के बाद इन लोगों ने उस ढाने में जाना बंद कर दिया है। उन्हें लगता है कि बीमारी कहीं उन्हें न लग जाए।
गांव का ट्यूबवेल सील, हैंडपंप भी बंद
ग्रामीण ट्यूबवेल का पानी पी रहे थे। पीएचई के अफसर ने बताया कि हमने जल स्रोत की जांच कराई, उसमें कुछ नहीं निकला। फिर भी इसे सील कर दिया है। एसडीएम शैलेंद्र हनोटिया बताते हैं कि गांव में अब टैंकर से पानी भेजा जा रहा है, ताकि अगर पानी से समस्या हुई हो तो वह रुक जाए। गांव से 60 लोग भीमपुर भेजे गए थे, जिनमें कुछ बैतूल रैफर किए गए हैं। ये सारी समस्या खाने-पाने की ही है।