उज्जैन। संक्रमित हुए मरीजों में शारीरिक के साथ कोरोना से असर देखा जा रहा है। उनकी कार्यक्षमता कम हुई है यानी कोरोना होने से पहले वे जितना कार्य कर लेते थे, उससे कम कार्य कर पा रहे हैं। मुख्य रूप से 30 से 60 और इससे अधिक के एज ग्रुप के लोग कमजोरी से उबर नहीं पा रहे हैं।
कोविड विशेषज्ञों ने मरीजों की जांच में पाया है कि उनकी 30 प्रतिशत तक कार्यक्षमता घटी है। ऐसे मरीज जिन्हें बीपी, हार्ट व शुगर की बीमारी है, वे अब तक संक्रमण के असर से उबर नहीं पा रहे हैं। कोविड के एक मरीज को तो ब्रेन हेमरेज हो गया है, जिसे कोविड हॉस्पिटल में भर्ती रखकर ऑक्सीजन पर रखा गया है।
आरआर टीम के नोडल अधिकारी डॉ. रौनक एलची का कहना है कि कुछ मरीजों में अब भी कोविड का दुष्प्रभाव पाया जा रहा है। इसमें मरीजों की प्रतिरोधक क्षमता कम होने के साथ में कमजोरी व थकान बने रहना, याददाश्त में कमी, सांस फूलना, नसों में शिथिलता आना, शरीर के किसी अंग का सुन्न होना व नींद नहीं आने की समस्या सामने आ रही है।
विटामिन व मिनरल की कमी बनी हुई है। संक्रमित होने के पहले ये लोग जितना कार्य कर लेते थे, उसकी तुलना में अब 70 प्रतिशत तक ही कार्य कर रहे हैं यानी उनकी 30 प्रतिशत कार्य क्षमता घटी है। कोविड हॉस्पिटल माधवनगर के प्रभारी डॉ. विक्रम रघुवंशी ने बताया कोविड के मरीजों में अभी भी बीमारी का असर देखने में आ रहा है। हालांकि ऐसे मरीजों की संख्या कम है।
कोरोना के यह भी साइड इफैक्ट- सिर से लेकर पैर तक ये बीमारियां
1 एंजायटी- घबराहट और बेचैनी होने लगी है। जिला अस्पताल के मनोरोग विभाग में रोज 5-7 मरीज पहुंच रहे हैं।
2 बालों का झडऩा- विटामिन और आयरन की कमी के चलते लोगों के बाल झड़ रहे हैं।
3 याददाश्त कमजोर- लोग बातें भूलने लगे हैं और डिप्रेशन में भी जा रहे हैं।
4 सांस फूलना- सीढ़ी चढऩे या दौड़ लगाने के दौरान सांस फूल रही है। थोड़ा हार्ड वर्क करना भी भारी पड़ रहा है।
5 ब्रेन व तंत्रिका तंत्र पर भी कोरोना का बुरा असर हुआ है।
6 शुगर बढऩे से दूसरी बीमारियों का खतरा।
7 आंखों का लाल होना व यूरीन डार्क हो जाने जैसी परेशानी भी।
8 लीवर व किडनी पर असर, इंफेक्शन का खतरा।
9 ब्लड में हाई स्तर का ब्लूरिविन की शिकायत।
10 हाइपोक्सिक ब्रेन इंजरी- मरीजों में ऑक्सीजन की कमी होने से मस्तिष्क पर प्रभाव पड़ा है। मरीज हाइपोक्सिक ब्रेन इंजरी का शिकार हो रहे हैं।
हर मरीज का कोविड टेस्ट
माधवनगर हॉस्पिटल में आने वाले मरीजों का कोविड टेस्ट करवाया जा रहा है। विशेष रूप से सर्दी-खांसी व बुखार के मरीजों की जांच की जा रही है। जिले में सर्दी-खांसी व बुखार के मरीज लगातार सामने आ रहे हैं। कोविड की आशंका में जिले में हर रोज 850 से ज्यादा मरीज अपनी जांच करवा रहे हैं।
उज्जैन
20 माह बाद भी पोस्ट कोविड सिंड्रोम, कार्य क्षमता 30 प्रतिशत घटी, कमजोरी से उबर नहीं पाए 30 से 60 साल वाले मरीज
- 07 Dec 2021