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भोपाल

200 डैम फुल:44 जिलों में कोटे से ज्यादा बारिश

  • 16 Oct 2024

मानसून...देरी से लेकिन दुरुस्त आया ... उज्जैन बाउंड्री पर; रीवा में सबसे कम
भोपाल । मध्यप्रदेश में मानसून ने अपना सफर पूरा कर लिया है। पिछली बार प्रदेश के आधे से ज्यादा जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई लेकिन इस बार लोगों को मानसून से ये शिकायत नहीं है। 44 जिलों में कोटे से ज्यादा बारिश हुई है। नतीजा ये रहा है कि सोयाबीन का उत्पादन प्रति हेक्टेयर 2 क्विंटल तक बढ़ सकता है। गेहूं और चने के किसान भी खुश हैं।
बुंदेलखंड के मैदान से मालवा के पठार तक 282 में से 200 से ज्यादा डैम करीब 100 फीसदी भर चुके हैं। सिंचाई और बिजली उत्पादन की चिंता खत्म हो गई है। भू-जलस्तर बढ़ने से पीने के पानी की किल्लत भी दूर होगी। सात दिन देरी से आया मानसून दुरुस्त गया है और सबको राहत बांट गया है।
सबसे ज्यादा बारिश मंडला जिले में
इंदौर समेत 5 जिलों में सामान्य के बराबर पानी गिरा। उज्जैन बाउंड्री पर रहा जबकि रीवा में सबसे कम बारिश हुई। पिछली बार 27 जिलों में कम बारिश हुई थी। इस बार सिर्फ 3 जिले ही इस दायरे में रहे।
ओवरऑल तस्वीर पर नजर डालें तो एमपी में 37.3 इंच की बजाय 44.1 इंच बारिश हो गई, जो 18% ज्यादा है। श्योपुर-भिंड में सामान्य से दोगुनी बारिश हो गई। जून, जुलाई, अगस्त और सितंबर में अच्छा पानी गिरने के बाद 2 अक्टूबर से मानसून की विदाई शुरू हो गई।
15 अक्टूबर को आखिरी 6 जिले- बुरहानपुर, बैतूल, छिंदवाड़ा, पांढुर्णा, दक्षिणी सिवनी और बालाघाट से भी मानसून लौटने की घोषणा कर दी गई। सबसे ज्यादा बारिश मंडला जिले में 60.6 इंच और सबसे कम बारिश रीवा में 29.2 इंच हुई।
21 जून को एंटर हुआ था मानसून
मध्यप्रदेश में इस साल मानसून 21 जून को आया। इससे पहले प्री-मानसून भी एक्टिव रहा। जून में कोटे के बराबर बारिश हुई तो जुलाई में कोटे से ज्यादा पानी गिर गया। ऐसा ही अगस्त-सितंबर में भी रहा। इस वजह से सामान्य से अधिक बारिश दर्ज की गई।
मानसून की विदाई 15 अक्टूबर तक हुई। पिछले 10 साल में दूसरी बार मानसून सबसे लेट लौटा है। इससे पहले साल 2020 को 14 जून को एंट्री और 21 अक्टूबर को विदाई हुई थी।
पेयजल संकट नहीं रहेगा
इस मानसून में प्रदेश के 282 में से 200 से ज्यादा डैम भर गए। इससे बड़े शहर भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर समेत अन्य शहरों में पीने का भरपूर पानी मिल सकेगा। भोपाल के 3 बांध- भदभदा, कोलार और केरवा डैम के फुल होने से 23 से 25 लाख की आबादी को अगले एक साल तक पीने के पानी की किल्लत नहीं होगी।
इसी तरह ग्वालियर के तिघरा डैम, जबलपुर के बरगी समेत इंदिरा सागर, ओंकारेश्वर, मड़ीखेड़ा, भदभदा, तवा, मोहनपुरा, हलाली, अटल सागर, बानसुजारा, जोहिला समेत कई बांधों में भरपूर पानी है।