इंदौर। आधुनिक युग में जहां डेकोरेशन के लिए तरह-तरह की आर्टिफिशियल चीजें सजावट के लिए बाजारों में बिकने को आ जाती है वहीं शहर में एक ऐसा परिवार भी है जो अपनी परंपरा जो 200 सालों से चली आ रही है उसे निभाते आ रहा है। 72 वर्षीय कलाकार नसीमउद्दीन बताते हैं कि कला रुह की पुकार है जो हमें मोक्ष प्रदान करती है। कलाओं से ईश्वर की प्राप्ति होती है। संगीत व नृत्य की विधाएं रही जिनमें परिवार के लोग कला को आगे बढ़ाते हैं अब शहर में फाइन आर्ट में भी परंपरा को आगे बढ़ा रही नई जनरेशन भी अपनी भूमिका निभा रही है। अब शहर में फाईन आर्ट में भी शेख पटेल को यह देखा जा रहा है कि बुजुर्ग, युवा, बच्चे भी कला व पुश्तैनी कार्य को आगे बढ़ा रहे हैं। 72 वर्षीय बांस कलाकार नसीमउद्दीन एमए करने के बाद खानदानी बांस पर काम कर रहे हैं। वो बताते हैं कि जिस स्थान पर बांस की कलाकारी की दुकान है व बांस गली के नाम से जानी जाती है।
नसीमउद्दीन के बेटे रियाजउद्दीन ने मास्टर ऑफ फाइन आर्ट करने के बाद बांस की कलाकारी को सीखा और वे बांस में ज्वैलरी, लैम्प, पाट समेत अन्य वस्तुएं बनाते हैं। रियाजुद्दीन के बनाए चित्रों व बांस कलाकारी ने अपनी विशिष्ट पचहान बनाई है। वे देश के जाने-माने चित्रकार के रुप में जाने जाते हैं तथा उनका कहना हैे कि आज जो पहचान है वो उनके पिता की शिक्षा की देन हैं।
इंदौर
200 सालों से निभाते आ रहे कला की परंपरा, नसीमउद्दीन व परिवार वाले बांस से बनाते है कई कलात्मक वस्तुएं
- 08 Dec 2021