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2023 अब तक का सबसे गर्म साल

  • 10 Jan 2024

वर्ष 2023 अब तक दर्ज सबसे गर्म साल रहा और औद्योगिकीकरण से पहले के स्तर की तुलना में औसत वैश्विक तापमान वृद्धि 1.5 डिग्री सेल्सियस के करीब पहुंच गई। यह जानकारी एक यूरोपीय जलवायु एजेंसी ने दी। कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस (सी3एस) के वैज्ञानिकों ने कहा कि जनवरी या फरवरी 2024 में समाप्त होने वाली 12 महीने की अवधि में 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा पार हो सकती है, जिससे जलवायु प्रभाव बढ़ सकता है। हालांकि, इसका मतलब पेरिस समझौते में निर्दिष्ट 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा का स्थायी उल्लंघन नहीं है क्योंकि यह कई वर्षों में दीर्घकालिक वार्मिंग को संदर्भित करता है।
वैज्ञानिकों ने कहा कि 2023 में पहली बार ऐसा हुआ जब हर दिन औसत वैश्विक तापमान पूर्व-औद्योगिक (1850-1900) काल के स्तर से एक डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया गया।। साल 2023 में लगभग 50 प्रतिशत दिन 1850-1900 के स्तर से 1.5 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म थे और पहली बार, नवंबर में दो दिन दो डिग्री सेल्सियस से अधिक गर्म थे। सी3एस के अनुसार, 2023 में वैश्विक औसत तापमान 14.98 डिग्री सेल्सियस था, जो 2016 में पिछले उच्चतम वार्षिक मूल्य से 0.17 डिग्री सेल्सियस अधिक था।
भविष्य में और बदतर होगा मौसम
यह 1991-2020 के औसत से 0.60 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म था और 1850-1900 के बीच पूर्व-औद्योगिक स्तर की तुलना में 1.48 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म था। बीबीसी से बात करते हुए टेक्सास ए एंड एम यूनिवर्सिटी में वायुमंडलीय विज्ञान के प्रोफेसर एंड्रयू डेस्लर कहते हैं, "जिस बात ने मुझे आश्चर्यचकित किया वह सिर्फ यह नहीं थी कि [2023] रिकॉर्ड-तोड़ था, बल्कि वह मात्रा भी थी जिससे इसने पिछले रिकॉर्ड तोड़ दिए।"
वैज्ञानिकों के खुलासे ने डराया
इस रिकॉर्ड वैश्विक गर्मी ने 2023 में दुनिया के बड़े हिस्सों में कई चरम मौसम की घटनाओं को बदतर बनाने में मदद की है। इसमें कनाडा और अमेरिका में तीव्र गर्मी और जंगल की आग से लेकर लंबे समय तक सूखा और फिर पूर्वी अफ्रीका के कुछ हिस्सों में बाढ़ तक की घटनाएं शामिल हैं। कई घटनाएं हाल के दिनों में देखी गई घटनाओं से कहीं अधिक या असामान्य समयों पर घटित हुईं। विश्व मौसम विज्ञान संगठन के महासचिव प्रोफेसर पेटेरी तालास ने कहा, "ये सिर्फ आंकड़ों से कहीं अधिक हैं। चरम मौसम दैनिक आधार पर जीवन और आजीविका को नष्ट कर रहा है।" अंटार्कटिक समुद्री बर्फ आश्चर्यजनक निचले स्तर पर पहुंच गई, साथ ही आर्कटिक समुद्री बर्फ भी औसत से नीचे पहुंच गई है।
साभार नवभारत टाइम्स