फ्लोरिडा: वैज्ञानिकों ने बृहस्पति के आकार के एक्सोप्लैनेट WASP-76 b पर अध्ययन किया है। इससे उन्हें पता लगा है कि दुनिया में लंबे समय से खोए हुए इस ग्रह के अवशेष वातावरण में मौजूद हैं। धरती पर 45 डिग्री तापमान पर हीट वेव की चेतावनी दी जाती है और इंसानों के लिए इससे बच पाना भी मुश्किल हो जाता है। लेकिन धरती से अलग कुछ ग्रहों पर इतना तापमान होता है कि सोचते ही आपकी रूह कांप जाए। अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने कुछ ऐसे ग्रहों का गहन अध्ययन किया है जिन पर 2400 डिग्री के आसपास तापमान बना रहता है। वैज्ञानिकों की टीम ने ऐसे 11 रासायनिक तत्वों का तलाशा है जो इन ग्रहों के पर्यावरण पर होते हैं। साथ ही इनकी मात्रा भी मापी गई है।
वैज्ञानिकों के मुताबिक सबसे दिलचस्प बात है कि दूर के ग्रह पर मौजूद ये तत्व जिनसे चट्टानों का भी निर्माण होता है, उन्हें अभी तक सौर मंडल के गैस से भरे ग्रहों शनि और बृहस्पति में नहीं मापा गया है। वैज्ञानिकों की टीम को लीड करने वाले और यूनिवर्सिटी डी मॉन्ट्रियल ट्रॉटियर इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च ऑन एक्सोप्लैनेट्स से जुड़े पीएच.डी. स्टीफन पेलेटियर ने कहा यह बात बहुत असाधारण है कि एक एक्सप्लानेट सैंकड़ों प्रकाश वर्ष दूर है। यह हमें कुछ ऐसी बातें बता सकता है जो सोलर सिस्टम के बारे में बिल्कुल असंभव सी लगती हैं। उन्होंने इसे एक अध्ययन का विषय बताया है।
वैज्ञानिकों के मुताबिक मीन नक्षत्र में करीब 634 प्रकाश वर्ष दूर स्थित, WASP-76 b का एक अजीब ग्रह अपने मूल तारे के करीब होने से अविश्वसनीय तापमान हासिल करता है। वैज्ञानिकों ने इसे 'अल्ट्रा-हॉट ज्यूपिटर' के तौर पर करार दिया है। यह एक विशाल ग्रह है जो अपने तारे के करीब मौजूद है और यह काफी अविश्वसनीय है।
उनका कहना है कि एक्सोप्लैनेट अपने तारे से दूरी का बारहवां हिस्सा है। WASP-76, दरअसल सूरज है। इसकी वजह से WASP-76 b कुछ असाधारण गुणों से लैस होता है। इस ग्रह को अपने तारे की परिक्रमा करने में 1.8 अर्थ डे का समय लगता है। हालांकि इस ग्रह का द्रव्यमान बृहस्पति के द्रव्यमान का करीब 85 फीसदी है। साथ ही यह सौर मंडल के गैस ग्रहों की चौड़ाई का लगभग दोगुना है।
WASP-76 b हमेशा से ही गहन अध्ययन का विषय रहा है। इसे साल 2013 में वाइड एंगल सर्च फॉर प्लैनेट्स (WASP) कार्यक्रम के हिस्से के रूप में पाया गया था। सबसे आश्चर्यजनक रूप से साल 2020 में इसकी खोज की गई थी। शोधकर्ताओं ने यह भी देखा कि तापमान में बदलाव के साथ रसायन WASP-76 b के ऊपरी वायुमंडल में लगातार स्थानांतरित हो रहे थे। जैसे ही ग्रह अपने तारे के चारों ओर घूमता है, विभिन्न तत्व तापमान में बदलाव का अनुभव करते हैं। ये बदलाव रात और दिन के साथ आते हैं और ग्रह तारे से दूर हो जाते हैं। ये ग्रह इन बदलावों का सामना करते हैं।
साभार नवभारत टाइम्स
विविध क्षेत्र
2400 डिग्री तापमान पर 'नया ज्यूपिटर' अपने ही पड़ोसी ग्रहों को खा गया
- 21 Jun 2023