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3500 साल पहले भारत के वैज्ञानिक प्रकाश की गति खोज  खोज चुके थे

  • 08 Aug 2020

अद्भुत भारत । अतुल्य सनातन धर्म ।

मैं जो कहने जा रहा हूँ 
इसको ज़रा ध्यान से पढ़ियेगा। 
विश्वास है आप प्रभावित अवश्य होंगे। 

ऋग्वेद में एक श्लोक है 
जिस पर व्याख्या करते हुए कहा गया है : 

"तथा च स्मर्यते योजनानां सहस्त्रं द्वे द्वे शते द्वे च 
योजने एकेन निमिषार्धे- न क्रममाण नमोऽस्तुते"

अर्थात :
"हे सूर्यदेव, आप आधे निमेष में 
 2,202 योजन की यात्रा करते हैं, 
 आपको नमन।"

2,202 योजन 
3,18,94,042.81 मीटर के बराबर होता है। 

एक निमेष 16/75 सेकण्ड के बराबर होता है। 

इस श्लोक के अनुसार 
सूर्य के प्रकाश की गति निकलती है 
2.9907 X 10^8 मीटर प्रति सेकण्ड। 

हमारे आधुनिक वैज्ञानिकों ने प्रकाश की गति निकली है 
जो है 2.9979 X 10^8 मीटर प्रति सेकण्ड। 

3500 साल पहले भारत के वैज्ञानिक 
प्रकाश की गति खोज चुके थे 
और यह सब हमारे ग्रंथों में अभिलिखित है। 

भारत की ज्ञाननिधि असीम है 
और इसे अभिलिखित किया गया था 
विश्व की सबसे वैज्ञानिक भाषा में "संस्कृत" में। 

क्या हमें संस्कृत सीखनी चाहिए? 
यदि भारत की महानता एक खजाना है 
तो उसकी चाबी संस्कृत है। 
हमारे ऊपर हमारे महान पूर्वजों 
और आने वाली पीढ़ियों का ऋण है कि,
हम संस्कृत सीखें और सिखाएं। 

संस्कृत को आम बोलचाल की भाषा बनायें
ताकि, अपने पूर्वजों द्वारा संग्रहीत ज्ञान का 
लाभ उठाकर जीवन को सरल सार्थक और
उत्कृष्ठ लक्ष्य प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त कर सकें!