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श्योपुर

4 पीढिय़ों बाद हुआ परिवार में बच्ची का जन्म, झूम उठा पूरा गांव

  • 05 May 2022

श्योपुर. लिंग भेद के लिए बदनाम ग्वालियर चंबल संभाग में बेटियों के प्रति सीन बदल रहा है. लड़कियों के जन्म को अच्छा न मानने वाले और कोख में कत्ल के लिए बदमान इस इलाके से एक अच्छी खबर आयी है. यहां के श्योपुर जिले में बच्ची के जन्म पर पूरा परिवार झूम उठा. साथ में गांव वाले भी नाचे और जश्न मनाया.
जिस ग्वालियर-चंबल में कल तक बेटी को बोझ समझा जाता था, खास तौर पर चंबल इलाके के श्योपुर जिले में जहां बेटी की किलकारी गूंजते ही अधिकांश लोगों के घरों में खामोशी छा जाती थी. अब बदलाव की बयार आती दिख रही है. लोग बेटी को बोझ नहीं बल्कि, अपना स्वाभिमान समझने लगे हैं. और उनका जन्म उत्सव बड़े ही धूम-धाम से मनाकर समाज के दूसरे लोगों को संदेश दे रहे हैं कि, बेटी है तो कल है.
बेटी नहीं लक्ष्मी है
ताजा मामला श्योपुर जिले के नागर गांवड़ा गांव में देखने को मिला. यहां एक दलित परिवार ने बेटी के जन्म पर खूब जश्न मनाया. इस घर में करीब 80 साल यानि तीन पीढिय़ों के बाद बेटी का जन्म हुआ है. बेटी के आने पर पूरा परिवार झूम उठा. बहू को अस्पताल से गाजे बाजे के साथ घर लाए. उनके लिए तो मानो साक्षात लक्ष्मी आ गयी इसलिए इसे उत्सव के तौर पर मना रहे हैं. बहू और नवजात की आरती उतारी गयी. फिर बच्ची के पद चिन्ह लेकर उसकी स्थापना अपने घर में करवाई.
बेटी दो घरों को जोड़ती है
नवजात बेटी के पिता भूपेंद्र जाटव ने बेटी के जन्म की सूचना मिलते ही सबसे पहले अपने करीबी और रिश्तेदारों को बुलाकर उनका मुंह मीठा करवाया. अपने नए घर के ग्रह प्रवेश पर उन्होंने अपनी नन्ही बेटी के स्वागत में फूल बिछाए और बेटी के पैरों में रोली लगाकर उनके पद चिन्हों की स्थापना नए घर में कराई. कार्यक्रम में डीजे भी लगाया गया. उसकी धुन पर न सिर्फ परिवार के महिला-पुरुषों ने जमकर ठुमके लगाए बल्कि, गांव के लोग भी नाचे. अब इस बेटी के सत्कार को लेकर आयोजित किए गए कार्यक्रम की चर्चाएं पूरे जिले भर में हो रही हैं. परिवार के मुखिया का कहना है बेटी नहीं लक्ष्मी है, उन्हें बेटे के जन्म पर इतनी खुशी नहीं होती, जितनी बेटी के जन्म पर हुई है क्योंकि, बेटी एक नहीं बल्कि दो परिवारों को जोड़ती है. बेटी के बिना संसार नहीं चल सकता.