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भोपाल

5 साल में 1100 से अधिक मुठभेड़, 80 मामलों में वन और पुलिसकर्मियों को नुकसान पहुंचा

  • 16 May 2022

भोपाल। गुना जिले में बीते दिनों तीन पुलिसकर्मियों को तस्करों ने मौत के घाट उतार दिया था. पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई की है. प्रदेश में पहली बार नहीं है जब तस्करों ने बुलंद हौसलों के साथ पुलिसकर्मियों पर हमला किया हो. इससे पहले भी कई बार इस तरह की घटनाएं सामने आ चुकी हैं. कमजोर सरकारी सिस्टम की वजह से तस्करों के साथ 5 साल में 1100 से अधिक मुठभेड़ की घटनाएं सामने आ चुकी हैं. इनमें 80 मामलों में वन और पुलिसकर्मियों को नुकसान पहुंचा है. साथ ही करीब 11 लोगों की मौत भी हुई है.
गुना जिले में तीन पुलिसकर्मियों की हत्या के बाद वन क्षेत्र में फैले तस्करों का मामला फिर उठने लगा है. इस मामले में वरिष्ठ पर्यावरणविद सुदेश वाघमारे ने कई महत्वपूर्ण जानकारियां दी. वाघमारे वन विभाग से रिटायर्ड अधिकारी भी हैं. उनके पास वन क्षेत्र का काफी लंबा अनुभव है. उन्होंने बताया 5 साल में वनकर्मी, पुलिसकर्मी की तस्करों के साथ आमने सामने मुठभेड़ की 1100 से ज्यादा घटनाएं हुई. करीब 80 घटनाओं में वनकर्मी और पुलिसकर्मियों को नुकसान हुआ. वहीं आमने-सामने की मुठभेड़ में करीब 11 वनकर्मी और पुलिसकर्मी की मौत भी हुई.
इन जिलों में होती है सबसे ज्यादा तस्करी
सुदेश वाघमारे ने बताया कि सतना भोपाल होशंगाबाद इंदौर भिंड मुरैना श्योपुर बेतूल में सबसे ज्यादा तस्करी की जाती है. वाघमारे ने गुना कांड के पीछे आधुनिक हथियार की कमी, स्पेशल विंग न होने, मुखबिर तंत्र की कमजोरी की वजह बताई. वन क्षेत्र में लकड़ी की तस्करी, वन प्राणी के शिकार की तस्करी और अतिक्रमण की घटनाएं बढ़ रही हैं.
इन घटनाओं को रोकने के लिए आधुनिक हथियार, स्पेशल टीम, स्मार्ट इंटेलिजेंस, वन कर्मियों को पुलिस की तरह अधिकार, तकनीक से युक्त वाहन उपलब्ध कराने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि हमारे पुलिस और वन कर्मी घटना की सूचना मिलने के बाद तत्काल एक्शन में आ जाते हैं. उनकी तत्परता की वजह से वन क्षेत्र में तस्करों पर शिकंजा कसने का काम किया जा रहा है. हालांकि तमाम कमियों की वजह से तस्करों के हौसले बुलंद हो रहे हैं ऐसे में उन कमियों को दूर करने की जरूरत है.