इंदौर। लॉकडाउन खत्म हो चुका है मगर स्कूली बच्चों की पढ़ाई ऑनलाइन ही रहेगी। ज्यादातर स्कूलों ने व्यवस्थित पढ़ाई आरंभ करवा दी है लेकिन अभी तक किताबें पूरी तरह बाजार में नहीं आई हैं। कुछ कोर्स की तो केवल इक्का-दुक्का किताबें ही आई हैं। तीसरी क्लास से 12 वीं तक कई स्कूलों की 20 से 50 फीसदी तक किताबें नहीं आई हैं।
ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर बच्चे पहले ही ऑनलाइन के कारण सही पढ़ नहीं पा रहे और किताबे नहीं आएगी तो क्या होगा। संभावना जताई जा रही है कि बड़ी संख्या में किताबें अब छपना शुरू हुई है। ऐसे में अगले माह सारी किताबें बाज़ार में आ सकती हैं। अभी मैथ्स, साइंस, सोशल साइंस, कम्प्यूटर, ईवीएस और इंग्लिश विषय की किताबें बाज़ार से गायब हैं। आने वाले दिनों में बाज़ार में यह किताबे आ सकती हैं। शहर में कुछ चुनींदा पुस्तक विक्रेताओं के यहां ही किताबें मिल रही हैं।
कोविड की वजह से नेहरू नगर निवासी आशीष की दोनों बेटियां ऑनलाइन क्लासेस के ज़रिए घर में ही पढ़ाई कर रही है लेकिन रामलाल के घर में एक ही लैपटॉप है। उन्हें वर्क फ्रॉम होम भी करना था और दोनों बेटियों की अलग-अलग ऑनलाइन क्लास भी थी। बेटियां स्मार्ट फोन से क्लास नहीं लेना चाहतीं, क्योंकि क्लास के दौरान शेयर स्क्रीन भी करनी होती है। जिसमें उनका कहना है कि दिक्क़त आती है। पूरे शहर में लॉकडाउन होने की वजह से बहुत-से माता-पिता बच्चों की पढ़ाई में इस तरह की परेशानी से जूझ रहे हैं। अब तो कई प्राइवेट स्कूल ज़ूम और माइक्रोसॉफ्ट टीम जैसे प्लेटफॉर्म के ज़रिए क्लासेस ले रहे हैं, लेकिन एक सर्वे के मुताबिक हर पांच में से दो माता-पिता के पास बच्चों की ऑनलाइन क्लासेस के सेटअप के लिए ज़रूरी सामान ही नहीं है। अब तो किताबें तक बाज़ार में नहीं आ रही हैं। ऐसे में बच्चे कैसे अपनी पढ़ाई पूरी करेंगे।
यह सवाल बरकरार है। सीमा शर्मा ने बताया कि ऑनलाइन पढ़ाई में गरीब बच्चों के लिए कई सारी चुनौतियां हैं। एमपी बोर्ड में बहुत दिक्कत आ रही है। हो सकता है, उनके पास स्मार्ट फोन या लैपटॉप ना हो। इंटरनेट की सुविधा ना हो और वो इन उपकरणों को ठीक से इस्तेमाल करना ना जानते हों.। ऐसे में ज्यादातर स्कूल ऑनलाइन क्लास ही नहीं ले रहे हैं।
इंदौर
50 फीसदी किताबें भी बाजार में नहीं आई, बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई पर हो रहा असर
- 03 Jul 2021