भोपाल। ग्वालियर के रहने वाले एनके शर्मा ने दूसरी ट्रेन का 630 रुपए टिकट खरीदा। वे ट्रेन का इंतजार करने लगे। इस बीच किसी यात्री से पता चला कि उनकी ट्रेन रद्द नहीं हुई है। शर्मा तुरंत उसी पूछताछ केंद्र पर गए, जहां इस बार बताया गया कि ट्रेन रद्द नहीं हुई। वह सूचना गलत थी। उन्होंने जब दूसरा टिकट लौटाने का कहा तो मना कर दिया गया।
शर्मा ने पहले रेलवे में शिकायत की। फिर उपभोक्ता आयोग में केस दर्ज कराया। अब 6 साल बाद फोरम ने रेलवे को टिकट के 630 रुपए के अलावा 15 हजार रुपए और चुकाने के आदेश दिए हैं। फैसला भोपाल जिला उपभोक्ता की आयोग की बेंच 2 की अध्यक्ष गिरीबाला सिंह और सदस्य अंजुम फिरोज ने सुनाया है।
एनके शर्मा (49) ने आयोग में आईआरसीटीसी और पश्चिम मध्य रेलवे की शिकायत 1 दिसंबर 2018 को की, जिसमें बताया कि आईआरसीटीसी से उन्होंने ट्रेन नंबर 12192 श्री धाम एक्सप्रेस में थर्ड एसी में सीट बुक की। 21 दिसंबर 2017 को स्टेशन पहुंचे, तब रेलवे के डिस्प्ले बोर्ड पर श्रीधाम एक्सप्रेस के रद्द होने की जानकारी दी जा रही थी।
उन्होंने पूछताछ केंद्र पर रंजना जैन से इस संबंध में जानकारी मांगी, तो बताया गया कि श्रीधाम एक्सप्रेस रद्द हो गई है। दूसरी ट्रेन से ग्वालियर पहुंचने के लिए शर्मा ने जानकारी प्राप्त की और ट्रेन क्रमांक 12779 गोवा एक्सप्रेस में तत्काल में टिकट बुक किया, जिसके लिए 630 रुपए चुकाए।
जब शर्मा प्लेटफॉर्म पर गोवा एक्सप्रेस के आने का इंतजार कर रहे थे, तभी अन्य यात्रियों से पता चला कि 12192 श्रीधाम एक्सप्रेस रद्द नहीं हुई है। उन्होंने तुरंत कर्मचारियों को अवगत कराया परंतु रेलवे के कर्मचारियों ने कोई सहायता नहीं की। वे चाहते थे कि गोवा एक्सप्रेस का टिकट रेलवे अपनी गलती मानते हुए वापस करें।
फोरम ने माना रेलवे सेवा में कमी के लिए उत्तरदायी
एनके शर्मा ने टिकट के अलावा डिस्प्ले बोर्ड की फोटो, होटल रेड-सी प्लाजा भोपाल के बिल की प्रति, गोवा एक्सप्रेस के टिकट और 21 दिसंबर 2017 की शिकायत की प्रति, शिकायत पुस्तिका, डीआरएम भोपाल को वॉट्सऐप पर भेजी गई शिकायत की प्रति भी उपभोक्त फोरम को दिखाई। इसके अलावा उन्होंने रेलवे ने कर्मचारी रंजना जैन के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई का पत्र भी फोरम को दिखाया।
फोरम ने कहा कि कैंसिलेशन होने की सूचना डिस्प्ले बोर्ड पर थी। वहीं, रेलवे ने भी इस बात को स्वीकारा है। विभाग अपने कर्मचारियों पर क्या कार्रवाई करता है यह उनका आंतरिक मामला है, लेकिन जब रुपए लेकर टिकट दिए जाते हैं, तब यात्रियों को सुरक्षित पहुंचाने का दायित्व भी रेलवे का है। परिवादी को शारीरिक, मानसिक वेदना के साथ नया टिकट खरीदने को भी मजबूर होना पड़ा। इन सभी चीजों को देखते हुए रेलवे सेवा में कमी के लिए उत्तरदायी है।
भोपाल
6 साल बाद 15 हजार जुर्माना
- 01 May 2024