भोपाल। प्रदेश में लोगों को खुश रखने सरकार ने छह साल पहले आनंद विभाग शुरू किया था। इसके जरिए खास से लेकर आम लोगों को जोड़कर लोगों के बीच हैप्पीनेस कार्यक्रम करने थे। लेकिन, अपने बनने से लेकर अब तक सिर्फ 59640 सदस्य ही जोड़ पाया। इन सदस्यों में सबसे ज्यादा 30339 कॉमन मैन की है।
दूसरे नंबर पर 25829 सरकारी अधिकारी और कर्मचारी हैं। फिर 1927 बिजनेसमैन, 609 स्टूडेंट, 391 डॉक्टर्स, 216 आंत्रप्योनर, 202 गृहणि, 82 आर्किटेक्ट और 43 चार्टर्ड अकाउंटेंट जुड़े हैं। लेकिन बड़ी बात ये है कि सिर्फ 10 फीसदी यानी 6 हजार सदस्य ही अभी एक्टिव हैं। यही कारण है कि प्रदेश के हर गांव और मोहल्ले में हैप्पीनेस प्रोग्राम का दावा करने वाले भोपाल में बमुश्किल 10 आयोजन ही करवा सके। इसमें भी कुछ संस्थाएं और फाउंडेशन की मदद ली गई। जबकि भोपाल में 20 आनंद क्लब बने हैं, लेकिन इतने कार्यक्रम भी नहीं हो सके। हालांकि कोरोना की दोनों लहर के दौरान आनंदकों ने बेहतर काम किया, लेकिन इसमें प्रदेश के 700 बिजनेसमेन ने पूरी मदद की थी।
खुशहाली का सर्वे- 30 लाख रुपए खर्च, हाथ में कुछ नहीं
आनंद विभाग बनाने के बाद सरकार ने कहा था कि वे आईआईटी खडग़पुर की मदद से एक ऐसा सर्वे करवाएंगे, जिससे पता चल सकेगा कि प्रदेश की जनता कितनी खुश है। प्रदेश में उपलब्ध अवसर, सामाजिक तथा आर्थिक स्थिति कैसी और सरकार को लेकर जनता के मन में कितना संतोष है पूछा जाना था। फरवरी 2018 में भोपाल में दो दिन की अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित की गई, जिसमें 80 से अधिक विशेषज्ञों ने इंडेक्स और प्रश्नों की प्रकृति पर विचार मंथन किया। अब तक करीब 30 लाख रुपए भी खर्च हुए, लेकिन सर्वे बाहर नहीं आया।
भोपाल
6 साल पहले आनंद विभाग बना; 60 हजार लोग जुड़े, 10 प्रतिशत ही एक्टिव
- 08 Nov 2021