Highlights

भोपाल

7 हजार करोड़ के अटल प्रोग्रेस-वे का काम अटका

  • 19 Jun 2021

भोपाल। श्योपुर, मुरैना और भिंड से गुजर रहे अटल प्रोग्रेस-वे प्रोजेक्ट के लिए मुरैना के किसान व अन्य लोगों ने जमीन देने से इनकार कर दिया है, जबकि श्योपुर के 30त्न और भिंड के 50त्न लोग ही राजी हुए हैं। रोड डेवलपमेंट कार्पोरेशन के सामने अब बड़ा चैलेंज है क्योंकि जो डीपीआर नौ माह में बननी थी, वह तीन माह में ही न केवल तैयार हो गई है, बल्कि उसे केंद्र सरकार को भी भेज दिया गया है।
इसी माह केंद्र सरकार इसकी अधिसूचना जारी कर सकती है। जुलाई से मप्र सरकार निजी भूमि का अधिग्रहण शुरू करेगी। एनएचएआई का प्लान भी ऐसा है कि जब तक उसे 90त्न जमीन नहीं मिलेगी, वह टेंडर करके कार्यादेश जारी नहीं करेगा। इस प्रोजेक्ट में चंबल के बीहड़ों समेत कुल 3055 हेक्टेयर भूमि आएगी।
इसमें से 1523 हेक्टेयर सरकारी, 1248 हेक्टेयर निजी और 284 हेक्टेयर वन भूमि है। राज्य सरकार ने शासकीय जमीन दे दी है। निजी में भू-स्वामियों से बात शुरू हो गई है। अटल प्रोग्रेस-वे का कुछ हिस्सा उत्तरप्रदेश और राजस्थान में भी बनना है। मप्र की पहल पर राजस्थान सरकार ने स्वीकृति दे दी है। उप्र में प्रस्ताव विचाराधीन है। पीडब्ल्यूडी के प्रमुख सचिव नीरज मंडलोई का कहना है कि एनएचएआई को जल्द 90 फीसदी जमीन अधिग्रहित करके दे सकें तो काम जल्द प्रारंभ हो जाएगा।
जमीन के बदले जमीन की नीति बनी मुश्किल
श्योपुर में 506 हेक्टेयर निजी भूमि आ रही है। सरकार की योजना जमीन के बदले जमीन देने की है। श्योपुर के 30त्न किसान व ग्रामीणों ने स्वीकृति दे दी है। मुरैना में 621 हेक्टेयर जमीन है, जिसे देने पर सहमति नहीं मिली है। वे लोग जमीन के बदले पैसा मांग रहे हैं, क्योंकि बीहड़ की जमीन बदले में लेने से उन्हें कोई फायदा नहीं दिख रहा। भिंड में 118 हेक्टेयर जमीन में 50त्न लोग देने पर सहमत हो गए हैं। मुरैना केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का संसदीय क्षेत्र भी है।