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जल संसाधन विभाग में ... बिना काम 877 करोड़ का अग्रिम भुगतान, आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ ने दर्ज की प्राथमिकी

  • 12 Jun 2021

भोपाल। मध्य प्रदेश में जल संसाधन विभाग की ओर से बिना काम के निर्माण एजेंसियों को 877 करोड़ रुपये अग्रिम भुगतान का मामला जांच के दायरे में आ गया है। आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) ने प्राथमिकी दर्ज कर ली है। बिना किसी काम के इस अग्रिम भुगतान (घोटाले) के लिए नियमों की अनदेखी की गई थी। इस मामले में प्रदेश के मुख्य सचिव रहे एम. गोपाल रेड्डी भी जांच के दायरे में हैं। यह भुगतान कमल नाथ सरकार के रहते किया गया था।
इस बहुचर्चित घोटाले में टेंडर की शर्तों में बदलाव कर चुनिंदा कंपनियों को अग्रिम भुगतान किया गया था। तब रेड्डी जल संसाधन विभाग के अपर मुख्य सचिव थे और आरोप है कि उन्हीं के निर्देश पर नियम विरुद्ध टेंडर की शर्तों में बदलाव किया गया था। इस बदलाव से पहले संबंधित कंपनियों को वर्क आर्डर जारी कर दिए गए थे। रेड्डी बाद में प्रदेश के मुख्य सचिव बने और शिवराज सिंह चौहान के मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्हें इस पद से हटा दिया गया था। इसी वर्ष मार्च में राज्य शासन ने मामले की जांच के लिए ईओडब्ल्यू को पत्र लिखा था। उस पर अब जांच एजेंसी ने प्राथमिकी दर्ज कर शासन से दस्तावेज मांगे हैं। मालूम हो, ई-टेंडरिंग मामले में भी रेड्डी प्रवर्तन निदेशालय की जांच के दायरे में हैं।
तीन प्रोजेक्ट के लिए नहीं हुआ जमीन अधिग्रहण भी
जल संसाधन विभाग द्वारा अगस्त 2018 से फरवरी 2019 के दरमियान सात सिंचाई परियोजनाओं पर बांध एवं प्रेशराइज्ड पाइप नहर प्रणाली के लिए 3,333 करोड़ रुपये लागत की सात निविदाएं स्वीकृत की गईं थी। इसमें बांध का निर्माण कर, जलाशय से जल उद्वहन कर निश्चित क्षेत्र में पंप हाउस, प्रेशराइज्ड पाइप लाइन आदि बिछाकर सिंचाई के लिए जलप्रदाय किया जाना है। बाद में शर्तों में बदलाव कर कुछ कंपनियों को 877 करोड़ रुपये अग्रिम भुगतान कर दिया गया। इसमें गंगा कहार (रीवा) के मुख्य अभियंता की भूमिका भी रही थी। उन्हीं ने भुगतान की शर्तों को शिथिल करने संबंधी आदेश जारी किया था। यह तथ्य शासन की ओर से ईओडब्ल्यू को भेजी शिकायत में है। जब कंपनियों को भुगतान किया गया था, उस वक्त हनोता, बंडा और गोंड बांध का काम शुरू ही नहीं हुआ था। इसके लिए जमीन अधिग्रहण का काम भी बाकी था। इसमें फलोदी कंस्ट्रक्शन एंड इंफ्रा प्रालि को हनोता और बंडा तो मेंटोना कंस्ट्रक्शन प्रालि एवं मेसर्स पटेल इंजीनियरिंग लिमिटेड को गोंड बांध के लिए भुगतान किया गया था।
इस संबंध में अजय कुमार शर्मा, प्रभारी महानिदेशक, ईओडब्ल्यू का कहना है कि जल संसाधन विभाग की ओर से कंपनियों को अग्रिम भुगतान करने के मामले में प्राथमिकी दर्ज की है। इससे संबंधित दस्तावेज शासन से मांगे गए हैं।