इंदौर। कहने को तो परिवहन विभाग के कार्यालय में जो हो जाए वह कम है और अधिकांश मामले जब अखबारों की सुर्खियां बनते हैं तो यह बात सच साबित भी होती दिखती है। कुछ ऐसा ही इन दिनों यहां पर देखने को मिल रहा है। दरअसल नायता मुंडला स्थित आरटीओ कार्यालय में काम करने वाले एजेंटों पर अधिकांश के आपराधिक रिकार्ड हैं। यह हर दिन वहां काम करते नजर आते हैं। सूत्र बताते हैं कि कई तो केवल मानीटरिंग करने आते हैं और अपने पट्ठों को काम करने के लिए छोड़ रखा है, वहीं यह राजनीतिक रसूख बताकर अफसरों पर भी दबाव बनाते नजर आते हैं। अफसर भी त्रस्त हैं, लेकिन वे आपराधिक प्रवृत्ति के एजेंटों को कार्यालय से बाहर करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रहे हैं।
आरटीओ कार्यालय का नाम आते ही सबसे पहले जुंबा पर एजेंट का नाम आता है, क्योंकि यहां अधिकांश काम एजेंट के भरोसे ही होता है। आवेदक कोई काम सीधे लेकर नहीं पहुंचता। दरअसल कार्यालय में किसी भी काम को कराने की प्रक्रिया बेहद जटिल है, यही वजह है कि हर कोई एजेंट का सहारा ही लेता है। आरटीओ कार्यालय में हर दिन के साथ ही एजेंटों की संख्या में इजाफा हो रहा है, लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि आरटीओ कार्यालय में जो एजेंट ज्यादा सक्रिय हैं, उनमें से अधिकांश के आपराधिक रिकार्ड हैं।
शहर के विभिन्न थाना क्षेत्रों में उनके खिलाफ प्रकरण भी दर्ज हैं, लेकिन इसके बावजूद ये पूरे रसूख के साथ कार्यालय में काम करते हैं। यहां तक कि काम को लेकर ये कई बार आरटीओ अफसरों से भी भिड़ंत करते नजर आते हैं, लेकिन आपराधिक प्रवृत्ति वाले एजेंटों को कार्यालय से बाहर करने के लिए आरटीओ जितेंद्र रघुवंशी सहित किसी भी अफसर ने अब तक कोई कदम नहीं उठाया है। यही वजह है कि कई बार आरटीओ में बड़ी गड़बड़ी सामने आ चुकी है।
पुलिस में करना चाहिए शिकायत
आरटीओ से जुड़े सूत्रों का कहना है कि आपराधिक पृष्टभूमि से नाता रखने वाले लोगों का कुछ सालों से आरटीओ कार्यालय में दखल बढ़ा है। ऐसे में आरटीओ अफसरों को चाहिए कि आपराधिक रिकार्ड वाले एजेंटों की शिकायत उन्हें क्षेत्रीय पुलिस थाने में करना चाहिए, ताकि इन्हें बाहर का रास्ता दिखाया जा सके, लेकिन आरटीओ अफसर इस ओर पूरी तरह उदासीन हैं। यही वजह है कि इनका दखल लगातार बढ़ता जा रहा है।
निरस्त होंगे माफियाओं द्वारा दबाए गए 180 परमिट
परिहवन विभाग में बसों के संचालन के लिए बस ऑपरेटरों द्वारा परमिट लेने के बावजूद संबंधित मार्ग पर बसों को संचालन नहीं किया जा रहा है। अब ऐसे परमिट को आरटीओ द्वारा निरस्त करने की तैयारी की जा रही है। इंदौर से विभिन्न मार्गो पर करीब 180 बस परमिट हैं जिन पर बसें नहीं चल रही है। बस ऑपरेटरों द्वारा पिछले करीब डेढ़ साल में कई ऐसे मार्गाे के परमिट तो लिए लेकिन उन पर बसों का संचालन नहीं किया। परिवहन उपायुक्त संजय सोनी को कुछ दिनों से शिकायतें मिल रही थी कि कुछ बस ऑपरेटरों ने बसों के लिए परमिट ले लिए हैं लेकिन बसों का संचालन नहीं किया जा रहा है। जांच- पड़ताल के बाद असलियत सामने आई कि इसके पीछे परिवहन माफियाओं की गैंग शामिल है और वे प्रमुख मार्गो पर कब्जा करने के लिए परमिट लेकर रख लेते हैं। दरअसल बस ऑपरेटरों द्वारा प्राइम रूट पर एक तरफा कब्जे के लिए आरटीओ को परमिट के लिए आवेदन किया जाता है और परमिट स्वीकृत होने पर परमिट तो लेते हैं लेकिन वाहन नहीं चलाते। यह परमिट इसलिए लिए जाते हैं ताकि संबंधित मार्ग पर परिवहन विभाग का कोटा पूरा हो जाए और अन्य बस मालिक को परमिट नहीं मिल सके। दरअसल किसी भी मार्ग पर परिवहन विभाग द्वारा निर्धारित परमिट ही जारी किए जाते हैं। परिवहन उपायुक्त सोनी के अनुसार अब ऐसे 180 परमिट निरस्त किए जाएंगे जिन्हें जारी करने के बाद से ही इन परमिटों पर वाहन नहीं चल रहे हैं। बताया जाता है कि स्वीकृत होने के बाद ये परमिट लेने ही नहीं आए हैं।
अब 30 दिन में निरस्त भी होंगे
माफियाओं पर नियंत्रण के लिए परिवहन विभाग द्वारा नई व्यवस्था की जा रही है जिसके अनुसार इन 180 परमिट वाले मार्गो पर फिर से परमिट जारी किए जाएंगे तथा अबकी बार परमिट जारी करने के बाद एक माह में परमिट लेकर बस शुरू नहीं करने पर परमिट निरस्त कर दिया जाएगा।
18-19 में जारी हुए है सारे परमिट
परिवहन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार सितंबर से दिसंबर के बीच 30 परमिट स्वीकृत किए गए जिन्हें कोई लेने नहीं आया जबकि उससे पहले के एक साल में 150 परमिट स्वीकृत किए थे, जिनकी स्वीकृति के बाद कोई लेने नहीं आया। अब इन्हें निरस्त कर नए सिरे से परमिट देंगे।
विशेष चैकिंग अभियान भूला परिवहन विभाग
परिवहन मुख्यालय भोपाल से जारी छह माह पुराने आदेश को आरटीओ भूल गया है। इस आदेश में दस अहम बिंदु थे, लेकिन हालत यह है कि उनमें से आधे से ज्यादा का भी पालन नहीं हो रहा। दरसअल आरटीओ इनमें से कुछ खास बिंदु पर सड़क पर उतरकर कार्रवाई तक नहीं कर पा रहा। जबकि यह आम आदमी की समस्या से जुड़े हुए बिंदु थे।
मुख्यालय कभी भी कर सकता है आरटीओ से जवाब -तलब
खास बात यह है कि आने वाले दिनों में मुख्यालय से इस पर कभी भी जवाब-तलब भी किया जा सकता है। सबसे बड़ा बिंदु यह था कि जिन वाहनों के सायलेंसर से तेज (पटाखे, और बंदूक की गोली जैसी आवाज आती है, उनका उपयोग नहीं किया जाए। ना ही ऐसे सायलेंसर वाहन पर लगाएं जाएंगे। इसके अलावा हूटर का उपयोग भी आम लोग नहीं करें। वहीं वाहनों में तेज रोशनी वाले बल्ब का उपयोग भी नहीं करने सहित वाहनों में तय व अधिकृत नंबर प्लेट ही लगाने की बात कही गई थी। परिवहन विभाग के मुख्यालय से प्रदेशभर के आरटीओ में यह आदेश भिजवाए गए थे। साथ ही इसके पालन के लिए विशेष चेकिंग अभियान भी चलाया जाना था लेकिन अब तक ऐसा नहीं हो सका।
ये आदेश किए थे जारी
- हूटर का उपयोग अधिकृत वाहन के अलावा अन्य किसी भी वाहन के लिए विक्रय नहीं किया जाएगा। ना ही किसी वाहन स्वामी या मैकेनिक द्वारा लगवाया-या लगाया जाएगा।-
- निर्धारक ध्वनि मानक से अधिक के हार्न या भोंपू, तेज आवाज वाले सायलेंसर (जिन पटाखों या बंदूक जैसी आवाज) निकलती है, नहीं लाए जाएंगे।
- वाहनों की हेडलाइट में तेज रोशनी वाले बल्ब नहीं लगाए जाएंगे
- वाहन में आगे-पीछे बम्पर गार्ड का न तो विक्रय किया जाएगा। ना ही लगाया जाएगा ना लगवाया जाएगा।
- दो पहिया वाहन खरीदते समय अनिवार्य रूप से हेलमेट वाहन स्वामी को देना होगा। तभी वाहन पंजीकृत किया जाएगा।
- निर्धारित टायरों से अधिक ज्यादा चौड़े टायर, एलॉय व्हील वाहनों में नहीं लगाए जाएंगे।
- वाहनों में निर्धारित मापदंड वाली नंबर प्लेट ही लगाई जाएगी।
DGR विशेष
आपराधिक प्रवृत्ति के एजेंट : अफसरों ने अब तक नहीं कसा शिकंजा

- 26 Jan 2020