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  • 13 Jul 2020

हमारी संस्कृति, हमारा गौरव
आज आज हम बात करेंगे एलीफेंटा के गुफा मंदिरों की।
परिचय
1- मुंबई के उत्तरी तट से 10 किलोमीटर दूर अरब सागर के बीच स्थित है यह द्वीप, जिसे एलिफेंटा केव्स या गढ़पुरी के नाम से जाना जाता है।
आप यहां पहुंचने के लिए गेटवे ऑफ इंडिया से फेरी (नाव) लेकर 45 मिनट में यहां पहुंच सकते हैं।
2 - द्वीप का कुल क्षेत्रफल लगभग 10 वर्ग किलोमीटर है, जिस पर जिस पर दो पहाड़ उत्तर से पश्चिम की ओर फैले हैं। पूर्व के पहाड़ों में कुल 5 गुफाएं हैं जो कि हिंदू धर्म से संबंधित हैं वही पश्चिमी पहाड़ में दो बौद्ध स्तूप तथा दो बौद्ध गुफाएं हैं।
इतिहास
1 - इन गुफाओं के निर्माण काल को लेकर विद्वानों में मतभेद है किंतु अधिकांश मतों के अनुसार बौद्ध गुफाओं तथा स्तूपो का निर्माण ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी तथा हिंदू गुफाओं का निर्माण पांचवी से लेकर सातवीं शताब्दी के बीच हुआ। यह गुफाएं उसी समय से श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण तथा श्रद्धा का केंद्र बनी रही।
2 - गुजरात के सुल्तान ने पुर्तगाली व्यापारियों को यह द्वीप व्यापार के लिए अपनी छावनी बनाने के लिए दिया । 19वीं सदी में पुर्तगाली व्यापारियों ने यहां अपनी छावनियों का निर्माण किया। 
3 - द्वीप पर एक प्राचीन हाथी की मूर्ति थी जिसे देखकर पुर्तगालियों ने इस स्थान का नाम एलिफेंटा रखा 
स्थापत्य कला
1 - इन गुफाओं का निर्माण करने के लिए बेसाल्ट की चट्टानों को तराश के स्थान बनाया गया अर्थात् ये सभी गुफाएं प्राकृतिक नहीं है।
2 - चट्टानों को तराशने के बाद अनेक मूर्तियां जो भगवान शिव के विभिन्न रूपों तथा उनसे जुड़ी घटनाओं का विवरण प्रदर्शित करती थी, उन्हें उकेरा गया।
3 - गुफाओं में केवल शिव नहीं बल्कि मां दुर्गा भगवान विष्णु से संबंधित विवरण भी देखने को मिलते हैं
4 - सबसे अधिक गहरी गुफा गुफा संख्या एक है जिसकी गहराई लगभग 130 फीट है इन गुफाओं की स्थापत्य कला को समझते हुए यूनेस्को ने इन्हें वर्ल्ड हेरिटेज साइट घोषित किया है।
5 - आज बहुत सी मूर्तियां तथा गुफाएं अपनी प्राकृतिक अवस्था में नहीं है, इनके भंग होने का कारण मुख्यतः पुर्तगाली सैनिकों को माना जाता है जिन्होंने निशानेबाजी का अभ्यास करने के लिए इन मूर्तियों और गुफाओं का इस्तेमाल किया।
6 - ब्रिटिश राज में पत्थर के हाथी को निकालकर इंग्लैंड ले जाने का प्रयास किया गया किंतु हाथी खंडित हो गया आज यह हाथी आप जीजाबाई स्टेडियम मुंबई में देख सकते हैं।
विवरण
1 - गुफा संख्या 1 या मुख्य गुफा में प्रवेश करने पर सबसे पहले आपको एक बड़ा हॉल दिखाई देता है जिसमें सदाशिव की त्रिमूर्ति प्रमुख है इस मूर्ति की ऊंचाई लगभग 20 फीट है तथा इसमें आप शिव के तीन मुख वाले रूप का दर्शन कर सकते हैं
यह तीन मुख शिव को निर्माता पालक और संहारक के रूप में प्रदर्शित करते हैं
2 - सदाशिव त्रिमूर्ति के अतिरिक्त आप गुफा में शक्ति से जुड़ी अनेक मूर्तियां, शिव के अर्धनारीश्वर रूप गंगावतरण रूप नटराज रूप को देख सकते हैं
इसरी मूर्तियां अपने आप में हमारी संस्कृति की महानता को समझने के लिए पर्याप्त है
अधिकांश मूर्तियों की ऊंचाई 16 फीट या उससे अधिक हैं, इस गुफा में एक शिवलिंग भी गर्भ गृह में स्थापित है
गुफा संख्या दो अत्यंत भग्न अवस्था में थी जिसे 1970 में पुनः स्थापित किया गया इस गुफा में अंदर की ओर 2 कमरे हैं।
गुफा संख्या तीन में तीन कमरे हैं जिनमें से एक में शिवलिंग का गर्भ ग्रह है हालांकि फिलहाल वह शिवलिंग उपलब्ध नहीं है।
बौद्ध गुफाओं में गुफा संख्या 6 में 3 कमरे हैं जोकि बौद्ध भिक्षुओं से संबंधित हैं गुफा का मुख्य द्वार आकर्षक है किंतु इसके भीतर कोई मूर्तियां नहीं है यह ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि पुर्तगाली लोगों द्वारा छावनी निर्माण के समय इस गुफा का इस्तेमाल चर्च के रूप में किया गया
गुफा संख्या 7 अपूर्ण है जिसे पत्थर की कमजोरी के कारण आधा बना कर छोड़ दिया गया
लॉस्ट टेम्पल्स के माध्यम से हम सदैव यह प्रयास करते हैं कि आपको हमारी संस्कृति के ना केवल खूबसूरत मंदिरों से ही परिचित कराएं बल्कि आपको हमारे संस्कृति से जुड़े उन मंदिरों के बारे में भी जानकारी दें जो कि समय के साथ या आक्रमणों के कारण हमारे पास अपने पूर्ण गौरव में उपलब्ध नहीं है।