एक समसामयिक समस्या : जिससे लगभग पूरा समाज जूझ रहा है परन्तु समाधान की पहल न करना आश्चर्य को बढ़ा रहा
शादी के लिए बच्चों को
20 से 22 वर्ष से ज्यादा उम्र का ना होने दे
विशेषकर लड़कियों को
इस तथ्य को थोड़ा गहराई से पढ़िये
बिखरते परिवार...!
टूटता समाज ..!
और दम तोड़ते रिश्ते.!
जरा सोचिए ?
आज ये सब क्यों हो रहा है.?
????एक कटु सत्य..
आजकल लड़की के माँ-बाप
जरूरत से ज्यादा लड़कियों के घर में हस्तक्षेप करके उसका घर खराब कर रहे हैं!
यह मत भूलो कि,
शादी के बाद असली माँ बाप
उसके सास ससुर होते हैं।
आज जो हालात हैं
उसका जिम्मेदार कौन है..?
सर्वाधिक यह मर्यादाविहीन आधुनिक शिक्षा के
नाम पर संस्कार विहीन बच्चे।
रिश्ते तो पहले होते थे।
अब रिश्ते नही सौदे होते हैं।
किसी भी माँ बाप में
अब इतनी हिम्मत शेष नहीं बची कि,
बच्चों का रिश्ता अपनी मर्जी से कर सकें।
पहले खानदान देखते थे ।
सामाजिक पकड़ और सँस्कार देखते थे
और अब ....
मन की नहीं तन की सुन्दरता,
नौकरी, दौलत, कार, बँगला।
लड़के वालों को लङकी बडे़ घर की चाहिए
ताकि भरपूर दहेज मिल सके
और लड़की वालोँ को पैसे वाला लङका
ताकि बेटी को काम करना न पड़े ।
नौकर चाकर हो ।
परिवार छोटा ही हो
ताकि काम न करना पड़े
और इस छोटे के चक्कर में
परिवार कुछ ज्यादा ही छोटा हो गया है ।
दादा दादी तो छोड़ो,
माँ बाप भी बोझ बन गये हैं ।
आज परिवार सिर्फ़ मतलब के लिए रह गया !
आज के समय परिवार का मतलब
पति-पत्नी और बच्चे बस ।
जब परिवार इतना छोटा है
तो फिर समाज को कौन पूछता है..?
नौकरी-पेशा लड़का चाहे 20 हजार महीने ही कमाता हो
व्यापारी लड़का भले ही दो लाख महीने कमाता हो
परन्तु लडकी और लडकी के माता-पिता की
पहली पसंद नौकरीपेशा ही होगा ।
इसका कारण.......
केवल यह है कि,
नौकरी वाला दूर और अलग रहेगा ।
नौकरी के नाम पर
पूर्ण स्वतन्त्रता मिलेगी,
काम का बोझ भी कम ।
आये दिन होटल मे खाना घूमना ।
नौकरीपेशा वालों का
समाज से सम्बन्ध भी कम ही मिलेगा
ऐसे में समाज का डर भी नहीं ।
कोई लोक-लाज नही
"स्वच्छन्दता" के नाम पर "नग्नता"
"अभिव्यक्ति की आजादी" के नाम पर
"अमर्यादित जीवन शैली"
न खुद संस्कारपूर्ण जीवन जीना
और जब खुद मर्यादित नही रहे
तो भावी पीढ़ी के भविष्य को
दिशाहिन कर पशुवत जीवन
जीने के लिए छोड देना ........
सँयुक्त और बड़ा परिवार सदैव अच्छा होता है
दो मे एक गलत होगा
तो एक तो सही होगा!
क्योंकि पाँचो उँगलियाँ बराबर नही होती।
लेकिन एक ही है
तो सही हो या गलत भुगतो ।
पहले रिश्ता करते वक्त लोग कहते थे कि,
मेरी बेटी घर के सारे काम जानती है
और अब....
बडे गर्व से कहते हैं कि,
हमने अपनी बेटी से
कभी घर का काम नहीं कराया
यह कहने में शान समझते हैं ।
चूल्लूभर पानी मे डूबकर मर ऐसे माँ-बाप
आये दिन बायोडाटा ग्रुप खुल रहे हैं ।
उम्र मात्र 30 से 40 साल ।
एजुकेशन भी ऐसी कि,
क्या कहना...... ?
"कई कई डिग्री धारक"
सैकड़ों लड़के और लड़कियों के बायोडाटा आ रहे हैं
लेकिन रिश्ते नहीं हो रहे हैं।
इसका कारण एक ही है..
इन्हें रिश्ता नहीं बेहतर की तलाश है ।
रिश्तों का बाजार सजा है गाड़ियों की तरह ।
शायद और कोई नयी गाड़ी लांच हो जाये ।
इसी चक्कर मे उम्र बढ़ रही है ।
अब तो और भी बायोडाटा ग्रुप बन रहे हैं ।
"तलाकशुदा ग्रुप"
"विधवा विधुर ग्रुप"
अजीब सा तमाशा हो रहा है ।
अच्छे की तलाश में सब अधेड़ हो रहे हैं ।
अब इनको कौन समझाये कि,
एक उम्र में जो चेहरे में चमक होती है
वो अधेड़ होने पर कायम नही रहती,
भले ही लाख रंगरोगन करवा लो
ब्युटीपार्लर में जाकर ।
एक चीज और संक्रमण की तरह फैल रही है ।
"नौकरी वाले लड़के को
नौकरी वाली ही लड़की चाहिये।"
अब जब वो खुद ही कमायेगी
तो वो क्यों
तुम्हारी या तुम्हारे माँ बाप की इज्जत करेगी.?
"खाना होटल से मँगाओ या खुद बनाओ"
तनाव पूर्ण जीवन के बस यही सब कारण है
एक दूसरे पर अधिकार तो बिलकुल ही नहीं रहा ।
ऊपर से सहनशीलता तो बिल्कुल भी नहीं ।
इसका अंत आत्महत्या और तलाक।
घर परिवार झुकने से चलता है,
अकड़ने से नहीं ।
जीवन मे जीने के लिये
दो रोटी और छोटे से घर की जरूरत है बस
और सबसे जरूरी
आपसी तालमेल और प्रेम प्यार की
लेकिन.....
आजकल बड़ा घर व बड़ी गाड़ी ही चाहिए
चाहे मालकिन की जगह दासी बनकर ही रहे ।
एक गरीब अगर प्यार से रानी बनाकर भी रखे
तो वो पहली पसंद नहीं हो सकती ।
नौकरी पसंद वालों को इतना ही कहूँगा कि,
अगर धीरूभाई अंबानी भी नौकरी पसंद करता
तो आज लाखों नौकर उसके अधीन नहीं होते ।
सोच बदलो....
लडकियों के माँ-बाप भी
आजकल जरूरत से ज्यादा
लङकियों के घर में हस्तक्षेप करके
उसका घर खराब करते हैं।
मत भूलो,
शादी के बाद उसके असली माँ बाप
उसके सास ससुर होते हैं ।
आपके घर तो बस मेहमान थी।
कई सास बहू के सामने
बेटी की तारीफ करके
अपना खुद का घर खुद खराब करती हैं।
बेटी कभी भी बहू नही बन सकती।
बेटी की चाहत खून के रिश्ते के कारण है
लेकिन बहू अजनबी होकर भी
आपकी गृहलक्ष्मी भी है ,
नौकरानी भी है
और कुल चालक भी
और आपके और आपके बेटे के मध्य
सेतु भी ।
बहू खुश तो परिवार खुश
अन्यथा....
आजकल हर घरों में सारी सुविधाएं मौजूद हैं....*
कपडा धोने की वाशिँग मशीन
मसाला पीसने की मिक्सी
पानी भरने के लिए मोटर
मनोरंजन के लिये टीवी
बात करने के लिए मोबाइल
फिर भी असंतुष्ट...
पहले इनमे से कोई सुविधा नहीं थी ।
पूरा मनोरंजन का साधन
परिवार और घर का काम था,
इसलिए फालतू की बातें दिमाग में नहीं आती थीं ।
न तलाक न फाँसी
आजकल दिन में तीन बार
आधा आधा घँटे मोबाइल में बात करके,
घँटों सीरियल देखकर,
ब्युटिपार्लर में समय बिताकर।
मैं जब ये जुमला सुनता हूँ कि,
घर के काम से फुर्सत नहीं मिलती
तो हंसी आती है ।
लड़कियों के लिये
केवल इतना ही कहूँगा कि,
पहली बार ससुराल हो
या कालेज लगभग बराबर होता है ।
थोङी बहुत अगर रैगिँग भी होती है
तो सहन कर लो ।
कालेज में आज जूनियर हो
तो कल सीनियर बनोगे ।
ससुराल में आज बहू हो
तो कल सास बनोगी ।
समय से शादी करो ।
स्वभाव में सहनशीलता लाओ ।
परिवार में सभी छोटे बड़ों का सम्मान करो ।
ब्याज सहित वापिस मिलेगा ।
आत्मघाती मत बनो ।
जीवन में उतार चढाव आता है ।
सोचो, समझो फिर फैसला लो ।
बड़ों से बराबर राय लो ।
उनके द्वारा
बताए अनुभव पर पूरा विश्वास रखो
समाज के लोगों से बस इतना ही निवेदन है कि समाज में सही उम्र में शादी हो । उस दिशा मे काम करें । कम खर्चीली हो । धनी सेठ करोड़ों रुपए बेवजह शादी में लुटा देते हैं, उनके अनुसरण मे गरीब पिसते हैं।