गुरू कृपा क्या नहीं कर सकती ....शास्त्र कृपा क्या नहीं कर सकती ....
अध्यात्म को अभ्यास की ज़रूरत नहीं है ....सूत्र याद रखियेगा ....
इसका मतलब अभ्यास नहीं करना ऐसा नहीं ....अभ्यास करना चाहिये ...अध्ययन ...स्वाध्याय ...ये सब होना चाहिये ....लेकिन मैं आपको गुजरात की 1 महिला के बारे में कहूँ ....गंगासती ...जो भावनगर district में 1 समढियाडा गाँव है ...वहाँ हुई ....निपट अनपढ ....
उसने अपनी ...कहते हैं बहू ....कहते हैं शादी के साथ क्षत्रिय कुल में वो थी तो उसकी सेविका के रुप में जो एक पानबाई नामक महिला साथ में आयी थी ससुराल में ....उसको संबोधन करके जो अध्यात्म पद का गायन किया है साहब ....कौन अभ्यास था ?...
बड़े बड़े बुद्धपुरूषों को चकित कर देने वाली आपकी बानी है ....कई लोग आज गंगासती के पदों पर doctrate प्राप्त कर रहे हैं ...P.H.D.की पदवी प्राप्त करते हैं ....गंगासती को पता ही नहीं होगा कि P.H.D है क्या .....
अध्यात्म... गुरू कृपा से प्रगटता है .....चित्त शुद्धी से प्रगटता है ....
मन ...जितने लम्हे ...जितने क्षण अचंचल हो जाये ...जितने moment चित्त निरोध हो जाये ...अहंकार का शून्यावकाश हो जाये ....किसी बुद्धपुरूष की कृपा से ...उसी समय साधक के हृदय में अध्यात्म के कूपले फूटते हैं .....
रामकथा ।। मानस श्री ।।