Highlights

DGR विशेष

बोरिंग अनुमति के नाम पर चल रहा खेल

  • 23 Aug 2020

बोरवेल की फर्जी अनुमति कांड के बाद खुलने लगी पोल 
निगम पीएचई विभाग से लेकर कलेक्टर संकुल तक दलाल सक्रिय
इंदौर। कम बारिश और जमीन में वाटर लेबल कम होने के चलते शहर में बोरवेल की अनुमति मिलना लगभग बंद ही हो गई। इसके बाद भी शहर में जगह-जगह पर धड़ल्ले से बोरिंग किए जा रहे हें। आखिर इसकी अनुमति कैसे मिल रही है। गत दिनों जब राजेंद्र नगर थाना क्षेत्र की एक कालोनी में एसडीएम की फर्जी सील और साइन से बोरवेल की अनुमति का मामला सामने आने के बाद बोरवेल-ट्यूबवेल के राज खुलने लगे हैं। इसमें यह सामने आया कि अनुमति दिलाने के नाम पर हजारों रुपए का खेल चल रहा है और इस काम में पीएचई विभाग से लेकर कलेक्टर सुकुल तक दलाल तक सक्रिय हैं। प्रदेश के अधिकांश जिलों में अवैध बोरिंग का खेल बड़ी तेजी से फल-फूल रहा है, जिसमें शहर में निजी ट्यूबवेल कराने की प्रक्रिया में मशीन संचालक एजेंट एवं दलाल की भूमिका सर्वप्रथम होती है। 
जरा सी गलती और हो गया फर्जीवाड़े का खुलासा 
गत दिनों राजेंद्र नगर क्षेत्र की एक कॉलोनी में बोरवेल के दौरान एक बड़ा फजीर्वाड़ा पकड़ा गया है। पैसों के लालच में फर्जी सील-साइन से बोरवेल की अनुमति देने वाले पीएचई के मूसाखेड़ी ऑफिस पर तैनात मस्टर निगम कम्प्यूटर ऑपरेटर अंकित तिवारी को राजेंद्र नगर पुलिस ने गिरफ्तार किया है, जो कि निगम अफसरों की नाक के नीचे लंबे समय से यह फजीर्वाड़ा कर रहा था और अभी तक 12 अनुमति दे चुका है। इस बार ट्रेजर टाउन की अनुमति देने में अंकित गलती करने से पकड़ा गया। यह क्षेत्र राउ एसडीएम के अंतर्गत आता है और उसने प्लॉट पर बोरवेल की अनुमति में कनाडिय़ा एसडीएम की सील व हस्ताक्षर चिपका दिए। मामला राजेंद्र नगर पुलिस थाने पर पहुंचा तो अंकित का फजीर्वाड़ा सामने आ गया और वह सलाखों के पीछे पहुंच गया। अंकित का काम बोरवेल की रिपोर्ट पर जलयंत्रालय एवं ड्रेनेज विभाग के अपर आयुक्त, पीएचई के अधीक्षण यंत्री और कार्यपालन यंत्री के हस्ताक्षर करवाकर उसे कलेक्टोरेट में देने का था। 
आवक-जावक में रजिस्टर में दर्ज नहीं 
बात की जाए तो जिला प्रशासन कार्यालय में इस आदेश का आवक - जावक रजिस्टर में भी कोई क्रमांक दर्ज नहीं मिला। जिसके बाद उस बोरिंग को अवैध बताया गया। यदि बात करें इंदौर शहर की तो अधिकांश क्षेत्रों में मशीन संचालक द्वारा कई बोरिंग एजेंट दलालों के साथ मिलकर इस सरगना के रूप में दलाली कर सक्रिय दिख रहे हैं, जिन्हें इन अवैध बोरिंग का खेल तेजी से शहर में जाल बिच्छा कर किया जा रहा है। 
अपनी जेबें कर रहे गरम 
सूत्रों की माने तो अवैध बोरिंग के खेल में कई बोरिंग एजेंट माफिया गुंडागर्दी के साथ जनप्रतिनिधियों के नाम से भी बड़ा खेल कर रहे हैं जिसमें इनके साथ में दलाल मिलकर आमजन से हजारों रुपए जेब से निकाल कर अपनी जेब गरम कर रहे है। सूत्रों का यह भी कहना है कि इस खेल में निगम पीएचई विभाग से लेकर कलेक्टर संकुल तक कई दलाल सक्रिय हैं। 
दलाल हुए गायब 
राजेंद्र नगर थाना क्षेत्र में एसडीएम की नकली सील साइन होने का मामला सामने आने के बाद कलेक्टर संकुल में हड़कंप मच गया है साथ ही संकुल में नजर आने वाले दलाल भी गायब हो गए हैं। सूत्रों की माने तो इन दलालों के सरगना और भी अधिक सक्रिय हो गए हैं जिन्होंने निगम प्रशासन के बाद कलेक्टर संकुल से भी अपने दलाल हटा लिए हैं। सूत्र यह भी बताते हैं की इन दलालों का तालमेल बोरिंग माफिया के एजेंट के साथ अधिकतर देखा गया है जो इन माफिया के माध्यम से आम जनता को प्रशासनिक नियमों के आधार पर इन दलालों के साथ मिलकर मोटी कमाई का खेल करते आ रहे है।
ये है सजा का प्रवधान
ट्यूबवेल खनन में किसी भी व्यक्ति, संगठन, अभिकरण (सरकारी अथवा गैर सरकारी) को नलकूप, ट्यूबवेल, हैंडपंप खनन के लिए अनुमति लेना जरूरी है। वही दूसरी और यदि किसी व्यक्ति को पूवार्नुमति लेना हो तो वे भी नियम अनुसार ली जा सकती है। ऐसा नहीं करने पर पर्यावरण संरक्षण अधिनियम-1986 की धारा-15 के तहत कार्रवाई किए जाने का प्रावधान ह,  जिसमे एक लाख रुपए तक का जुमार्ना और 5 साल तक कैद या दोनों सजा के साथ होने का प्रावधान है।
और भी नाम आएंगे सामने 
एसडीएम की फर्जी सील और साइन से बोरिंग की अनुमति मामले में पुलिस ने एक और आरोपी को गिरफ्त में लिया, जो सत्ताधारी दल से जुड़ा बताया जा रहा है। इसके अलावा मामले की जांच में और भी नाम सामने आने की संभावना है। उधर, निगमायुक्त प्रतिभा पाल के निर्देश पर निगम अधिकारियों की एक टीम तथा पुलिस की टीम भी पूर्व बोरवेल की अनुमतियों की जानकारी जुटा रही है। इसके चलते संबंधित विभाग के भ्रष्टाचारियों में हड़कंप मचा हुआ है।