*टैक्स और डीजल की मार से आहत बस चालक
**लॉकडाउन के बाद आधी बसों का ही हो रहा संचालन
**बीमा परमिट फिटनेस का खर्च यथावत
**कोरोना ने पीट दिया सीजन
Intro / कोरोना संक्रमण के कारण लगाए गए लॉकडाउन के दौरान इंदौर से संचालित होने वाली अधिकांश बसों के चक्के भी थम गए थे। लॉकडाउन समाप्ति के 1 माह बाद भी इनके पहियों को अबतक गति नहीं मिल पाई है जिसे लेकर बसों के संचालक काफी परेशानियों का सामना कर रहे हैं।
इंदौर शहर के गंगवाल बस स्टैंड से आम दिनों में रोजाना लगभग 200 से अधिक बसों का संचालन किया जाता है। इस बस स्टैंड से धार राजगढ़ झाबुआ रतलाम के अलावा राजस्थान और गुजरात तक लंबे रूट की गाड़ियां संचालित की जाती है पिछले दिनों लॉकडाउन के चलते यहां की अधिकांश बसें पूरे समय खड़ी रही। लॉकडाउन समाप्ति के बाद बसों का संचालन शुरू किया गया। लेकिन अभी भी लगभग 100 से सवा सौ बसों के बीच ही गाड़ियां संचालित की जा रही है कई बार तो होता यह है कि संबंधित रूट की बस अपने निश्चित समय पर आकर खड़ी हो जाती है। लेकिन उसमें पर्याप्त मात्रा में जब सवारी नहीं मिलती है तो तत्काल बस को निरस्त कर पुनः बस स्टैंड पर खड़ा कर दिया जाता है और बसों में बैठी सवारियों को अगली बस में बेठाकर रवाना कर दिया जाता है ताकि उस बस का कुछ डीजल भाड़ा निकल सके। यही हाल इंदौर शहर के पूर्वी क्षेत्र स्थित तीन इमली बस स्टैंड का भी है। जहां से राजगढ़ ब्यावरा खातेगांव कन्नौद और खरगोन खंडवा रूट की बसें संचालित की जाती है। इसके अलावा एआई सीटीसीएल से भोपाल सहित कुछ अन्य रूटों की बसें संचालित की जा रही है यह भी यही स्थिति है वर्तमान समय में डीजल के भाव भी लगातार बढ़ रहे हैं हालांकि यात्री किरायों में 20% की वृद्धि की गई है। पर इससे बस संचालक संतुष्ट नहीं है बस संचालकों का कहना है कि बसों में काफी खर्च आता है बीमा परमिट फिटनेस का पैसा उन्हें पूरा पूरा देना पड़ता है। इसमें कहीं भी कन्सेक्सन नहीं मिलता है डीजल के भाव भी लगातार बड़ रहे हैं।
डिटेक्टिव ग्रुप रिपोर्ट की टीम से चर्चा करते हुए स्थानिय गंगवाल बस स्टैंड के प्रभारी सुनील वर्मा ने बताया कि वर्तमान में लगभग 130 गाड़ियां अलग-अलग रूटों की यहां से चल रही है कई बार आठ से 10 गाड़ियां सवारी नहीं मिलने के कारण एन वक्त पर निरस्त कर दी जाती है। - सुनील वर्मा प्रबंधक गंगवाल बस स्टैंड