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शब्द पुष्प

मैं अँधेरों से बचा...

  • 13 Jul 2021

मैं अँधेरों से बचा लाया था अपने-आप को,
मेरा दुख ये है मेरे पीछे उजाले पड़ गए।

खता

  • 12 Jul 2021

"खता ये हुई, तुम्हे खुद सा समझ बैठे,
जबकि, तुम तो...'तुम' ही थे।"

वादा

  • 10 Jul 2021

तुफान भी मेरे पास से हवा के झोके बनकर गुजरे हैं,
क्या बताएं वो हमसे क्या-क्या वादा करके मुकरे है।

कहीं ज़र्रा कहीं सहरा...

  • 06 Jul 2021
कहीं ज़र्रा कहीं सहरा कहीं क़तरा कहीं दरिया  मोहब्बत और उस का सिलसिला यूँ भी है और यूँ भी  न पा लेना तिरा आसाँ न खो देना तिरा मुमकिन  मुसीबत में ये जान-ए-मुब्तल...

बिकती है ना खुशी कहीं...

  • 03 Jul 2021
बिकती है ना खुशी कहीं, ना कहीं गम बिकता है,लोग गलतफ़हमी में हैं, कि शायद कहीं मरहम बिकता है, इंसान ख़्वाहिशों से बंधा हुआ एक ज़िद्दी परिंदा है,उम्मीदों से ही घा...

बहुत देर लगी

  • 08 May 2021
पर्दा आंखों से हटाने में बहुत देर लगीहमें दुनिया नज़र आने में बहुत देर लगी   नज़र आता है जो, वैसा नहीं होता कोई शख़्सख़ुद को ये बात बताने में बहुत देर लगी....

।। काँपते हॄदय से ।।

  • 08 May 2021
  हे दयानिधे ! रथ रोको अब, क्यों प्रलय की तैयारी है ।ये बिना शस्त्र का युद्ध है जो, महाभारत से भी भारी है । नैना रोते रोते सूखे, अब नीर कहाँ इन आँखों में ।परवाज...

डर लगत है!

  • 17 Apr 2021

उजड़ा उजड़ा सा, हर शहर लगता है,
हमें तो ये, कुदरत का कहर लगता है!
इंसान ने की, ऐसी भी क्या तरक्की
कि इंसान को, इंसान से ही डर लगता है!!

मेरी गुफ़्तुगू पसंद

  • 13 Mar 2021

चुपचाप सुनती रहती है पहरों शब-ए-फ़िराक़
तस्वीर-ए-यार को है मेरी गुफ़्तुगू पसंद

गुफ्तगू

  • 06 Mar 2021

चुपचाप सुनती रहती है पहरों शब-ए-फ़िराक़
तस्वीर-ए-यार को है मेरी गुफ़्तुगू पसंद

हाल पूछते हो...

  • 13 Feb 2021
पूछ लेते आप मिजाज मेरा ,कितना आसान था इलाज मेरा...पहले लगता था  कि तुम ही दुनिया हो,अब ये लगता है कि तुम भी दुनिया हो...आप भी मेरा हाल पूछते हो, आपको तो मालूम ह...