शब्द पुष्प
कुछ नये सपने
- 17 Dec 2019
कुछ नये सपने... उसी के देखना है, फिर मुझे...
सो गया हूँ मैं... बहा कर जिसकी यादें आंखों से
हवा को गुमान था...
- 09 Dec 2019
हवा को गुमान था अपनी आजादी पर,
किसी ने उसे भी गुब्बारे में भर के बेच दिया...
मगर बेख़बर नहीं.
- 10 Nov 2019
ये सोचना ग़लत है के, तुम पर नजऱ नहीं,
मसरूफ़ हम बहुत हैं मगर बेख़बर नहीं.
समंदर न सही
- 04 Nov 2019
समंदर न सही पर एक नदी तो होनी ही चाहिए।
तेरे शहर में जिंदगी कहीं तो होनी चाहिए।