प्रश्नपत्र छपवाने से लेकर ड्यूटी तक का पैसा बचा, फिर भी कॉलेज छात्रों की परीक्षा फीस वापस नहीं
ग्वालियर। कोरोना की वजह से माध्यमिक शिक्षा मंडल बोर्ड की 10 वीं-12 वीं की परीक्षाएं निरस्त करने के बाद उच्च शिक्षा विभाग ने भी ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन की परीक्षाएं ओपन बुक पद्धति (घर से कॉपी लिखकर जमा करना) से कराने का निर्णय लिया। इससे एमपी बोर्ड और उच्च शिक्षा विभाग का परीक्षा पर होने वाला खर्च 60 से 70 प्रतिशत तक बच गया है। लेकिन फिर भी छात्रों की परीक्षा फीस वापसी का निर्णय नहीं लिया जा रहा है। कॉलेज के छात्र परीक्षा की कॉपियां बाजार से खरीद रहे हैं और कॉलेज प्रबंधन ने प्रश्नपत्र ऑफिशियल वेबसाइट से अपलोड करने के निर्देश दे दिए हैं।
इससे कॉपियों और प्रश्नपत्र छपवाने पर होने वाला पूरा खर्च बच गया है। परीक्षा आयोजित न होने से ड्यूटी देने वाले पर्यवेक्षकों को दी जाने वाली फीस भी बच गई है। कॉपियों के मूल्यांकन का खर्च भी पहले के मुकाबले एक तिहाई रह गया है। अब सिर्फ कॉलेज प्रबंधन को अंकसूची और कॉपियों के जांचने पर ही परीक्षा फीस का एक छोटा सा हिस्सा खर्च करना है। परीक्षा विभाग से जुड़े विशेषज्ञों केे मुताबिक सीधे तौर पर 60 से 70 प्रतिशत तक खर्च बच गया है। उच्च शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अफसरों के मुताबिक परीक्षा फीस वापस करने पर विचार चल रहा है। कैसे और कब होगी इस पर अभी निर्णय नहीं हो पाया है। इधर फीस वापस न होने से छात्रों में भी आक्रोश है।
यह हो सकता है फार्मूला-अगले सत्र में एडजस्ट करें
उच्च शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अफसरों के मुताबिक परीक्षा फीस वापसी पर सरकार विचार कर रही है। लेकिन फार्मूला तय करने में दिक्कत है। ग्रेजुएशन में फस्र्ट ईयर, सेकंड ईयर और पोस्ट ग्रेजुएशन के फस्र्ट ईयर के छात्र-छात्राओं की फीस अगले सत्र में एडजस्ट की जा सकती है, लेकिन पीजी-यूजी के फाइनल ईयर के छात्र-छात्राओं की फीस एडजस्ट नहीं हो सकती। ऐसे में उन्हें एकाउंट में वापस करनी पड़ेगी। यह एक लंबा प्रोसेस है। इस वजह से इस पर निर्णय नहीं हो पा रहा है।
ऐसे हुई बचत
उत्तर पुस्तिका, प्रश्नपत्र और ड्यूटी पर नहीं हुआ खर्च, सिर्फ अंकसूची और कॉपी जांचने पर ही हुआ खर्च। ओपन बुक प्रणाली से यूजी-पीजी की परीक्षाएं होने से कॉलेज प्रबंधन का काफी खर्च बच गया है। पहला, उत्तर पुस्तिकाएं नहीं छपवानी पड़ी। उत्तर पुस्तिकाएं छात्र-छात्राएं बाजार से अपने पैसों से खरीद रहे हैं। दूसरा, प्रश्नपत्र छपवाने का खर्च भी बच गया। क्योंकि प्रश्न पत्र वेबसाइट पर अपलोड कर दिया है। यहीं से विद्यार्थियों को डाउनलोड करना है। तीसरा, परीक्षाओं के दौरान ड्यूटी देने वाले पर्यवेक्षकों को पैसा नहीं देना पड़ेगा। चौथा, कॉपी जांचने पर भी पहले के मुकाबले एक तिहाई ही खर्च होगा। यानी पहले 45 रुपए देने पड़ते थे, अब 15 रुपए ही देने पड़ेंगे। क्योंकि इस बार प्रश्नपत्रों के एक साथ दो से तीन सेट बना दिए हैं। यानी पहले तीस से 45 रुपए मिलते थे, अब 15 रुपए ही मिलेंगे। कॉलेज प्रबंधन को अब सिर्फ अंकसूची और कॉपी जांचने पर पैसा खर्च करना पड़ेगा।
शासन की जानकारी में विषय लाए हैं, अभी निर्णय नहीं हुआ
कॉलेज के छात्र-छात्राओं की परीक्षा फीस वापसी का विषय शासन की जानकारी में लाया गया है। इस संंबंध में अभी कोई निर्णय नहीं हो पाया है। इस बारे में विचार करेंगे कि क्या किया जा सकता है।
-मोहन यादव, उच्च शिक्षा मंत्री, मप्र शासन
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- 26 Jun 2021