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शहर की सरकार के चुनाव को लेकर चिंता में हैं भाजपा -कांग्रेस के दावेदार

  • 28 Feb 2021

दोनों दलों में लंबी फेलरिस्त, भाजपाई महापौर पद का कौन होगा प्रत्याशी...?
इंदौर। आने वाले दिनों में नगर निगम यानि शहर की सरकार के चुनाव होना है। हाईकोर्ट ने भी राज्य शासन को आदेश दे दिए हैं कि जल्दी से जल्दी नगरीय निकाय के चुनाव कराए जाए। हालांकि निर्वाचन विभाग की चुनाव को लेकर तैयारी पूरी है और अब जल्दी ही चुनावों की तारीख घोषित हो जाएगी। यह माना जा रहा है। इस चुनाव को लेकर भाजपा और कांग्रेस के दावेदार चिंता में है।
दरअसल दोनों ही पार्टियों के पास पार्षद पद पर चुनाव लडऩे के लिए वार्डों से अनेक नाम हैं, ऐसे में दावेदारों के साथ-साथ पाटियों के वरिष्ठ नेताओं को चिंता इस बात की सता रही है कि किसे टिकट दिया जाए और किसे नहीं। जिसे नहीं देंगे वह बगावत करेगा कहीं यह बगावत हार का कारण न बन जाए इसे लेकर पहले तो रूठों को मनाने के लिए दोनों दलों में वरिष्ठ नेताओं की एक-एक टीम बनाने का निर्णय हो चुका है। उधर, कांग्रेस ने शहर में महापौर पद के लिए संजय शुक्ला को उम्मीदवार घोषित कर दिया है, लेकिन भाजपा को लेकर अभी कई तरह संशय हैं। पहले रमेश मेंदोला का नाम सामने आ रहा था, लेकिन भाजपा में नई नीति के चलते अब कौन प्रत्याशी होगा ? इसको लेकर तरह-तरह की चर्चाएं हैं।
मतदाता सूची का काम पूरा
हालांकि चुनावों को लेकर निर्वाचन आयोग द्वारा अपनी सारी तैयारियां पूरी कर ली गई है और मतदाता सूची पर काम हो चुका है। अब अंतिम सूची लगने की तैयारी है। इधर, चुनाव आयोग की हरी झंडी को लेकर भाजपा और कांग्रेस पद के दावेदार चिंतित है कि चुनाव कब होंगे, चुनाव आयोग कब घोषणा करेगा, चुनाव अप्रैल में होंगे या आगे बढ़कर नवम्बर-दिसम्बर में जाएंगे।
भाजपा विधायकों को नहीं देगी टिकट
जहां भाजपा संगठन के दम पर चुनाव जीतने की तरफ विश्वास रखती है, वहीं कांग्रेस ने इस बार आत्मविश्वास से भरे संजय शुक्ला को उम्मीदवार बनाकर चुनाव मुकाबला रोचक करने की ओर कड़ा कर दिया है। भाजपा पहले ही कह चुकी है कि विधायकों को महापौर का टिकिट नहीं मिलेगा, अब महापौर का दावेदार संघ की ओर से होगा या भाजपा सेकंड लाइन में से किसी प्रत्याशी बनाएगी।
युवाओं को मिलेगा मौका
भाजपा जानती है कि उसका 1999 दिसम्बर से निगम परिषद पर कब्जा है और 4 बार भाजपा के महापौर रहने के साथ परिषद भी बनी है, इसलिए अब भाजपा सेकंड लाइन मजबूती से युवाओं के रूप में तैयार करना चाहती है, इस बार भाजपा एक उम्र निर्धारित कर उम्मीदवार के लिए बंधन भी कर सकती है, क्योंकि कांग्रेस भी कह चुकी है कि वह इस बार युवाओं को ही मौका देंगी। भाजपा के महापौर और प्रत्याशियों के पत्ते नहीं खुलने से भी अभी भाजपाई उम्मीदवार चुप्पी की लगाम लगाए हुए हैं। भाजपा की ओर से किसी भी दावेदार को यह नहीं कहा जा रहा है कि तैयार करो।
कांग्रेस डेमेज कंट्रोल नहीं कर पाती
कांग्रेस करीब 55 वार्डों में सम्मेलन आयोजित कर चुकी है। भाजपा का मानना है कि हममें डेमेज कन्ट्रोल करने की ताकत है, जबकि कांग्रेस टिकिट बांटने के बाद डेमेज कन्ट्रोल नहीं कर पाती है, भाजपा का संगठन मजबूत है, वहीं कांग्रेस का संगठन कमजोर बताया जाता है। कांग्रेस नेताबेस पार्टी है और भाजपा केडरबेस पार्टी है। कांग्रेस के उम्मीदवार का कांग्रेसी विरोध करते हैं और भाजपा के उम्मीदवार का विरोध करने गलती से कोई आ भी जाता है तो उसे समझाकर काम पर लगा दिया जाता है और नियंत्रण कर लिया जाता है यही भाजपा के विजयी का सबसे बड़ा कारण है।
भाजपा का कब्जा हटाने को आतुर कांग्रेस
कांग्रेस इस बार 20 साल के भाजपा के कब्जे को हटाने के लिए भी आतुर है। इस बार कांग्रेसियों में उत्साह है तो भाजपा में संगठन पर अति आत्मविश्वास चुनाव जीतने को लेकर है। संजय शुक्ला ने 10 साल के भाजपा के कब्जे को विधानसभा एक से हटाया था, इसलिए वे 20 साल के कब्जे को हटाने के लिए भी आत्मविश्वास से प्रेरित है।