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Health is wealth

IVF में डॉक्टर का चुनाव समझदारी से करें

  • 12 Jun 2024

आज की मुलाकात

डॉ दीक्षा तिवारी के साथ


कोई भी दम्पती जो आईवीएफ प्रक्रिया कराने जा रहा होता है उसने कभी ये नहीं सोचा होता है कि अगर मेरा आईवीएफ असफल होगा तो मैं क्या करूंगा। आईवीएफ क्योंकि एक महंगी तकनीक है तो असफलता के बाद दम्पती आर्थिक व मानसिक रूप से टूट जाते हैं और यह सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि क्या हम कभी माता-पिता बन पाएंगे ।
न्यू होप फर्टिलिटी की डायरेक्टर डॉ. दीक्षा तिवारी आई वी एफ स्पेशलिस्ट बताती है कि आईवीएफ प्रक्रिया की सफलता दर विश्वभर में 100 प्रतिशत नहीं है जिसके कारण कुछ दम्पतियो को पहले आईवीएफ चक्र में निराशा हाथ लगती है। क्या इसका ये मतलब है कि उन दम्पतियों के लिए आगे सारे रास्ते बंद हो गए? कदापि नही। आईवीएफ प्रक्रिया की सफलता दर काफी पैमानो पर निर्भर करती है और उनमें से सबसे पहला और अहम है आईवीएफ सेन्टर का चुनाव क्योंकि हर आईवीएफ सेन्टर की सफलता दर एक जैसी नहीं होती।
आईवीएफ की सफलता दर पत्नी के अण्डे, पुरुष के शुक्राणु और उनसे बने भ्रूण की गुणवत्ता पर भी निर्भर करती है। गर्भाशय व उसके अंदर की परत एंडोमेट्रियम का भी अच्छा व स्वस्थ होना आवश्यक है क्योंकि भ्रूण को उसी परत पर चिपकना होता है व नौ महीने वहीं बड़ा होना होता है। आईवीएफ की सफलता फर्टिलिटी डॉक्टर की कुशलता पर भी निर्भर करती है क्योकि किस दम्पती के लिए कौनसी आईवीएफ प्रक्रिया का चयन करना है और उस प्रक्रिया को कैसे कुशलतापूर्ण निभाना है वह भी डॉक्टर पर निर्भर करता है। डॉ दीक्षा का कहना है कि एम्ब्रियोलॉजी लेब जहाँ भूण का निर्माण होता है तथा भूण वैज्ञानिक जो अण्डे व शुक्राणु को मिलाने में मदद करता है अथवा इन्क्यूबेटर जिसमें भ्रूण को विकास होता है यह सब भी आईवीएफ की प्रक्रिया में अहम भूमिका निभाते हैं। एक अच्छी एम्ब्रियोलॉजी लेब जो अत्याधुनिक उपकरणों से लेस हो व एक कुशल भ्रूण वैज्ञानिक की देखरेख में संचालित हो इस पर भी कई हद तक आईवीएफ की सफलता निर्भर करती है। किसी भी दम्पती को आईवीएफ सेंटर का चुनाव बहुत सोच समझ कर करना चाहिए क्योकि जहाँ ज्यादा सुविधाएं है वहां ज्यादा संभावनाएं हैं।
डॉ. दीक्षा दम्पत्तियों एवं परिवारों को सलाह देती हैं की आज के परिदृश्य में हम सभी को भामक विज्ञापन एवं प्रचार के प्रलोभन में ना आकर, किसी योग्य डॉक्टर की सलाह लेना चाहिए। आई वी एफ की प्रक्रिया में सबसे अहम् होता है की डॉक्टर दंपत्ति के मन को समझे और उन्हें करुणापूर्वक हैंडल करें।
ये परिवार को मैनेज करने जैसा होता है।