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DGR विशेष

हरियाली होती जा रही गायब , बढ़ रहा  ... कांक्रीट का जंगल

  • 16 Jun 2021

कमजोर हो रहे पेड़, जड़ें भी छोड़ रहे
भोपाल। गत दिनों कोरोना की दूसरी लहर में लोगों को ऑक्सीजन का महत्व पता चला और इसके लिए जमकर मारामारी हुई। सभी जानते हैं पेड़ ही हमें शुद्ध वायु और ऑक्सीजन देते हैं। बावजूद हरियाली को लेकर अभी भी कुछ लोग लापरवाह बने हुए हैं। प्रदेश की राजधानी कहे जाने वाले भोपाल  शहर में 50 साल से पुराने 7000 से अधिक पेड़ मौजूद है। यह संख्या दो साल पहले हुए सर्वे में सामने आई थी। इसके बाद से नगर निगम के उद्यानिकी शाखा और राजधानी परियोजना प्रशासन द्वारा उम्रदराज पेड़ों की न तो कोई गिनती करवाई गई और ना ही सर्वे।
नतीजा यह है कि शहर में दिनोंदिन कांक्रीट का जंगल बढ़ते जा रहा है और हरियाली गायब होती जा रही है। कहीं पेड़ के आसपास चबूतरा बनवाया दिया जाता है तो कहीं आरसीसी की रोड डलवा दी जाती है। इसके कारण पेड़ों को हवा और पानी पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पाता है। इतना ही नहीं जड़ों को भी पानी नहीं मिल पाने के कारण वह फैल नहीं पाती हैं। इसके चलते पांच से सात साल के अंदर पेड़ कमजोर पड़ जाते है, जो अचानक मामूली हवा के झोंके से धराशायी हो जाते हैं।
राजधानी में विगत दिनों नगर निगम के कंट्रोल रूम में एक ही दिन में 40 से अधिक जगहों पर पेड़ गिरने की शिकायतें आई थीं। इसमें से भोपाल टॉकीज के पास एक इमली का विशाल पेड़ गिरने से दो लोगों की मौत होने का मामला भी सामने आया था। यह स्थिति तब बनी थी, जब राजधानी में महज 40 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से हवाएं चली। अगर तेज आंधी आती तो शायद एक दिन में 50 से ज्यादा पेड़ गिरने की शिकायतें आतीं। हैरत की बात तो यह है कि इस घटना के दूसरे दिन भी 10 से अधिक पेड़ गिरने की शिकायत दर्ज की गई। जब इस संबंध में पर्यावरणविदों से बातचीत की गई तो सभी ने कांक्रीट के जंगल बढऩे के कारण यह स्थिति बनने की बात कही।
इस तरह की घटना होने के पीछे चार प्रमुख कारण है। पहला कि उम्रदराज पेड़ों को पहले ही शिफ्ट नहीं किया गया। दूसरा, जो पेड़ पहले से ही झुके हुए हैं, उन्हें आबादी वाले क्षेत्रों से हटा दिया जाना चाहिए। तीसरा, पेड़ों के आसपास सीमेंटीकरण से इसकी जड़े नहीं फैल पाती हैं। चौथा, स्थानीय पेड़ लगाए जाने चाहिए क्योकि वे हमारी जलवायु के अनुसार ढले होते है।
पर्यावरणविदों का कहना है कि किसी भी पेड़ की परिधि के आसपास एक मीटर की जगह खुली होनी चाहिए। यह सभी सावधानियां नहीं बरतने के कारण पेड़ कमजोर हो जाते है और जरा सी हवा चलने पर गिरने लगते है।