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कोरोना बना कमाई का जरिया, 17 महीने में भोपाल में 102 नए अस्पताल खुले

  • 09 Jun 2021

29 तो दूसरी लहर के तीन महीने में खुल गए
एक-एक डॉक्टर पर 3 से 10 अस्पताल रजिस्टर हो गए
एमसीआई को खबर नहीं
भोपाल। कहा जाता है कि डॉक्टर धरती के भगवान होते हैं, लेकिन जब वहीं डॉक्टर अपने पेशे को महामारी के दौर में केवल कमाई का ही जरिया बना लें तो इसे क्या कहा जाएगा। प्रदेश की राजधानी भोपाल में एक दो नहीं, बल्कि अनेक डॉक्टरों ने मुसीबत के समय में जमकर कमाई की। भोपाल में कोरोनाकाल (जनवरी 20 से मई 2021 तक) में 102 नए प्राइवेट अस्पताल शुरू हुए हैं। इनमें भी 29 अस्पताल मार्च, अप्रैल, मई में खुले। इनके रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेशन जारी करते वक्त जिम्मेदार अफसरों ने डॉक्टर्स के नाम और उनके एमसीआई रजिस्ट्रेशन तक ठीक से नहीं जांचे।
ऐसे हुआ खुलासा
नतीजतन एक-एक डॉक्टर के नाम से तीन से 10 अस्पताल मध्यप्रदेश नर्सिंग होम एक्ट के तहत रजिस्टर्ड हो गए। यह खुलासा सीएमएचओ भोपाल के मध्यप्रदेश नर्सिंग होम एक्ट के तहत रजिस्टर्ड अस्पतालों के रिकॉर्ड में हुआ है। इस मामले में सीएमएचओ भोपाल डॉ. प्रभाकर तिवारी का कहना है कि कोई एमबीबीएस डॉक्टर अधिकतम तीन अस्पतालों में बतौर रेसीडेंट ड्यूटी कर सकता है। यदि कोई इससे ज्यादा ड्यूटी कर रहा है तो संबंधित अस्पतालों के दस्तावेजों की जांच कराएंगे।
पांच में परमानेंट रेसीडेंट तो दो में प्रोविजनल रेसीडेंट डॉक्टर बताया
रायसेन रोड स्थित एक कॉलोनी में रहने वाले 68 वर्षीय डॉ. हरिओम वर्मा भोपाल, सीहोर और शाजापुर के 10 निजी अस्पतालों में बतौर रेसीडेंट डॉक्टर रजिस्टर्ड हैं। नर्सिंग होम रजिस्ट्रेशन शाखा के रिकॉर्ड के अनुसार इनमें से 8 अस्पताल जुलाई 2020 से अप्रैल 2021 के बीच शुरू हुए। भोपाल के 7 अस्पतालों में से 5 के संचालकों ने नर्सिंग होम रजिस्ट्रेशन के लिए जमा किए दस्स्तावेजों में उन्हें परमानेंट तो 2 ने प्रोविजनल रेसीडेंट डॉक्टर बताया। सीहोर और शाजापुर के 3 अस्पतालों में वे परमानेंट रेसीडेंट हैं। डॉ. वर्मा से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मैं अभी नागपुर न्यूरो हॉस्पिटल और अर्नव हॉस्पिटल में बतौर रेसीडेंट डॉक्टर हूं। इसके अलावा किसी भी दूसरे अस्पताल में ड्यूटी नहीं कर रहा हूं।
अलग-अलग एमसीआई रजिस्ट्रेशन
नर्सिंग होम रजिस्ट्रेशन पोर्टल के अनुसार 51 वर्षीय डॉ. गौतम चंद्र गोस्वामी एमबीबीएस हैं। वह भोपाल के पांच और सीहोर के एक निजी अस्पताल में परमानेंट रेसीडेंट डॉक्टर कार्यरत हैं। भोपाल के पांचों अस्पतालों के रिकॉर्ड में उनका एमसीआई रजिस्ट्रेशन एमपी 14059 और सीहोर के निजी अस्पताल के दस्तावेजों में रजिस्ट्रेशन नंबर 017226 दर्ज है। डॉ. गोस्वामी जिन 6 अस्पतालों में रेसीडेंट डॉक्टर के रूप में काम कर रहे हैं, उनमें से दो अस्पताल बीते साल और 4 अस्पताल इस साल ही शुरू हुए हैं।
यह है नियम
नर्सिंग होम में रेसीडेंट डॉक्टर 8 घंटे की वार्ड ड्यूटी करता है। इस कारण एमबीबीएस डॉक्टर अधिकतम 2 अस्पतालों में बतौर रेसीडेंट ड्यूटी कर सकता है। दो से ज्यादा अस्पतालों में अगर कोई एमबीबीएस डॉक्टर रेसीडेंट के रूप में ड्यूटी कर रहा है, तो संबंधित अस्पतालों के रिकॉर्ड की जांच होना चाहिए। संभव है संबंधित डॉक्टर के स्थान पर दूसरे अनक्वालीफाइड डॉक्टर ड्यूटी कर रहे हों। - डॉ. केके ठस्सू, रिटायर्ड, स्वास्थ्य संचालक
यह कार्रवाई हो सकती है
नर्सिंग होम का रजिस्ट्रेशन निरस्त किया जा सकता है, क्योंकि उसने रजिस्ट्रेशन के लिए उन डॉक्टरों का कार्यरत होना बताया है, जो उनके यहां काम नहीं कर रहे। नर्सिंग होम के रजिस्ट्रेशन के लिए संबंधित संस्था को गलत रजिस्ट्रेशन नंबर देने के लिए मेडिकल काउंसिल संबंधित डॉक्टर को दोषी मानकर काउंसिल का रजिस्ट्रेशन निरस्त कर सकती है।