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DGR विशेष

कोरोना का असर दो ''भगवानों'' पर

  • 06 Sep 2020

एक का खजाना खाली, दूसरे का भर गया
खजराना गणेश मंदिर पर पहली बार पांच माह में एक रुपए का भी नहीं आया दान, अन्य मंदिरों में भी यही हाल
इंदौर। वैश्विक महामारी कोरोना के असर हर कोई प्रभावित हुआ है। जहां इस महामारी के कारण लगाए लॉक डाउन ने उद्योग-धंधों को चौपट कर दिया। वहीं पहली बार ऐसा हुआ है कि एक-दो दिन या एक - माह के लिए नहीं, बल्कि कई महिनों तक मंदिर बंद हैं। यानि इसका सीध असर भगवान और उनके भक्तों पर भी पड़ा है। भक्तों के मंदिर नहीं पहुंचने पर भगवान का खजाना (दानपेटियां) खाली हो गया, जबकि धरती के दूसरे भगवान यानि डॉक्टरों का खजाना भर गया है। कोरोना में निजी अस्पताल प्रबंधन और डॉक्टरों ने जमकर  'चांदीÓ काटी। बीमारी का उपचार करने के नाम पर मरीजों के  परिजनों से फीस नहीं ली गई, बल्कि यूं कहे कि जमकर लूटा गया तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। यह हाल केवल इंदौर शहर का नहीं, वरन पूरे देश का है।
5 माह से नहीं आया दान
बात करें शहर की तो इस महामारी संकट के बीच पहली बार देशभर के भक्तों के आस्था के केंद्र खजराना गणेश मंदिर पर पिछले 5 माह में एक रुपए का भी दान नहीं आ पाया। यही हाल अन्य मंदिरों का भी है। खजराना गणेश मंदिर की आखिरी बार जब पेटियां खुली थी तब पिछले दो ढाई माह का दान निकाला गया था। उसके बाद कुछ नहीं आया। यहीं नहीं खजाना खाली होने से मंदिर से जुड़े मंजूर करोड़ों के विकास कार्य भी लंबे समय से ठप पड़े है। वहीं इस साल गणेश चतुर्थी के बावजूद पिछले 150 से भी ज्यादा दिनों से बंद मंदिर नहीं खुलने से 10 दिन भी खाली रह गए, जबकि हर साल गणेश चतुर्थी सहित चार बड़ी चतुर्थी पर भक्तों की भारी भीड़ उमडऩे पर लाखों रुपए का दान आता है, लेकिन इस बार चतुर्थी पर होने वाली भक्तों की भीड़ नहीं होने से बप्पा का खजाना खाली रह गया।
22 से 25 लाख आता था दान
खास बात यह है कि कोरोना वायरस जैसी गंभीर महामारी के इंदौर शहर में बढ़ते प्रकोप के चलतें लगभग 150 से भी ज्यादा दिनों से आम भक्तजनों के लिए बंद मंदिर के पट नहीं खुलने से भगवान का खजाना भी खाली पड़ा है। इतने सालों में ऐसा पहली बार हो रहा है जब पांच माह से किसी ने भी एक रुपए का भी दान नहीं दिया हो। जबकि हर माह यहां की दान पेटियों में लगभग 22 से 25 लाख रुपए तक का दान आ जाता था। हर तीन माह में जब मंदिर की तमाम पेटियां खुलती थी तो 70 से 75 लाख रुपए के आसपास दान और विदेशी मुद्रा, सोने-चांदी के सिक्कें और सोने - चांदी एवं हीरे के जेवरात भी आतें थे। इस मान से लॉक डाऊन के इन पांच माह में मंदिर को लगभग डेढ़ करोड़ से भी ज्यादा के आने वाले दान का भी नुकसान हो गया है।
जब तक नहीं खुलेंगे मंदिर,तब तक रहेगा पैसों का संकट
इधर आगे भी मंदिर कब खुलेंगे ये भी कोई बताने को तैयार नहीं। हालांकि गणेश मंदिर पर सबसे ज्यादा तिल चतुर्थी के मेले और गणेश चतुर्थी के दौरान गणेश भक्तों की भारी भीड़ उमडऩे से दस दिनों में जमकर धन बरसता है। लेकिन अब इस साल बड़े गणपति सहित खजराना गणेश मंदिर में बप्पा का खजाना खाली ही रहने वाला है। वहीं इस साल जब तक खजराना गणेश मंदिर सहित शहर के तमाम मंदिर नहीं खुलेंगे तब तक भक्तों का संकट दूर करने वाले बाबा के मंदिर पर भी पैसों का संकट बना रहेगा। इधर बड़ी बात यह है कि मंदिर बंद होने और लॉक डाउन के बाद से ऑनलाइन दान भी ज्यादा नहीं आ रहा है।
अस्पतालों ने जमकर की कमाई
एक ओर जहां कोरोना महामारी के दौर ने हर वर्ग को प्रभावित किया और आमजन के साथ संपन्न लोगों के सामने भी आर्थिक संकट गहरा गया, वहीं कुछ निजी अस्पताल और लालची डॉक्टर ही ऐसे हैं, जिनके लिए यह महामारी कमाई का जरिया बन गई। हम यहां पर सभी अस्पतालों और डॉक्टरों को इसलिए नहीं गिन रहे हैं, क्योंकि कुछ ने तो अपनी वास्तविक फीस और शुल्क ही लिया, जबकि अधिकांश ने मरीजों से कोरोना नाम पर जमकर लूट मचा रखी है। शहर के ही अनेक ऐसे निजी अस्पताल और डॉक्टर हैं, जिन्होंने बीमारी का इलाज करने के नाम पर लाखों रुपए फीस वसूली।
सीएम भी हुए नाराज
अस्पतालों की लूट का यह मामला मीडिया में प्रकाशित होने के बाद मुख्यमंत्री शिवराजसिंह तक भी पहुंचा और उन्होंने गत दिनों अपने इंदौर दौरे के दौरान इस पर नाराजगी भी जताई थी। अब जाकर राज्य शासन के निर्देश पर जिला प्रशासन ने निजी अस्पतालों और डॉक्टरों की मनमानी पर शिकंजा कसते हुए अंकुश लगाया है। हालांकि अभी भी कुछ अस्पताल ऐसे हैं, जो अपनी मनमानी करते हुए मोटी फीस वसूल रहे हैं।
11 सौ ऑपरेशन रह गए पेंडिंग
वैश्विक महामारी के निपटान और इससे बचाव में केंद्र व राज्य सरकार जुट गई और आलम यह हो गया कि दूसरी बीमारियों के मरीजों अस्पतालों में लेना ही बंद कर दिया गया। यही कारण है कि शहर के अस्पतालों में करीब 11 सौ ऑपरेशन पेंडिंग हो गए।
सबसे ज्यादा यह ऑपरेशन रूके
कोरोना काल में अस्पतालों में होने वाले नियमित ऑपरेशन पर सबसे ़ज्यादा असर पड़ा है। शहर के 43 रजिस्टर्ड प्रमुख अस्पतालों में मार्च, अप्रैल और मई में यह ऑपरेशन होना थे। लेकिन कोरोना के कारण जो टले तो फिर हो ही नहीं पाए। 150 से ़ज्यादा ऑपरेशन तो एमवाय में होना थे लेकिन मरीज़ नहीं आए। खंडवा, खरगोन, धार, झाबुआ, अलीराजपुर और अन्य जिलों के कई मरीज़ों ने ऑपरेशन निरस्त करवा लिए। सिफऱ् जरूरी ऑपरेशन हुए। असल मे सामान्य बीमारी के ऑपरेशन टाले गए हैं। उनमें पथरी, पाईल्स, मोटापा, घुटने, मिर्गी से जुड़े 500 ऑपरेशन हैं।जबकि सबसे ज्यादा 300 ऑपरेशन मोतियाबिंद के भी होना थे, लेकिन डाक्टरों की सलाह पर ही मोतियाबिंद ऑपरेशन टाले गए। वहीं जो बायपास सर्जरी इमरजेंसी में नहीं होना थी, वह भी टाल दी गईं।
ऑपरेशन टालने की यह है वजह
- अस्पतालों में कोरोना इंफेक्शन का सबसे ज्यादा खतरा। मरीज़ या परिजन को कोरोना होने का डर।
- अस्पतालों द्वारा अनिवार्य की जा रही कोरोना जांच।
- ऑपरेशन के दौरान ब्लड की जरूरत पडऩे पर उसकी कमी या कोरोना का खतरा।
- जो ऑपरेशन इस साल जरूरी नहीं, उनके लिए डॉक्टरों की ख़ुद ऑपरेशन टालने की सलाह।

प्राइवेट लैब में कोरोना पॉजिटिव, सरकारी जांच में निगेटिव
अलग-अलग जगह जांच कराने पर आ रही अलग-अलग रिपोर्ट से लोग हो रहे परेशान
इंदौर। कोरोना को लेकर अब कई तरह की चर्चाएं बाजार में हो रही है। कई मुद्दे कोरोना की आड़ में चल रहे पॉजिटिव, निगेटिव के खेल पर सवाल खड़े कर रहे हैं। ऐसा ही एक मामला सामने आया जहां प्रायवेट लैब में जांच पॉजिटिव आई और सरकारी जांच में निगेटिव का मैसेज आया।
बंगाली चौराहे के समीप रेवेन्यू नगर निवासी मुकेश का सीएचएल अस्पताल में एक ऑपरेशन होना था। इससे पहले अस्पताल प्रबंधक ने मुकेश की सिटी स्वैसन और कोविड जांच करवाई। सेंट्रल लैब में यह जांच 23 अगस्त को कोरोना पॉजिटिव बताई गई। मुकेश को कोई लक्षण नहीं होने के कारण  प्रबंधक ने होम कोरेंटाइन हो जाने को कहा। मुकेश के भतीजे सोहन ने बताया कि रेवेन्यू नगर में 24 अगस्त को हमारे घर के समीप कुछ और लोग पॉजिटिव निकले तो हम सभी की सरकारी जांच हुई। मेरे अंकल मुकेश और मेरे सहित चार लोगों की कोविड जांच निगेटिव मैसेज देकर बताई गई। जिसके बाद यह बात सीएचएल अस्पताल के प्रबंधक को बताई गई तो वे सकते में आ गए और जवाब देने में आना-कानी करते नजर आए। कुल मिलाकर सरकारी और प्रायवेट लैब में अलग-अलग आ रही रिपोर्ट से अब लोग परेशान हो रहे हैं और इसे कोविड की आड़ में खेल बता रहे हैं। गौरतलब है कि निजी अस्पतालों को लेकर कई शिकायतें हो चुकी है। इसे लेकर दो दिन पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान से भी शिकायत की गई।